संपादकीय

सरमा ने राहुल को लाइमलाइट में आने का मौका दिया

Shera Rajput

पूर्व से पश्चिम तक राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण को मीडिया के एक वर्ग ने वस्तुतः नजरंदाज कर दिया था। भारतीय मीडिया जो राम मंदिर उद़घाटन समारोह को लेकर आह्लादित था। लेकिन असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सरमा ने कांग्रेस के अपने समय की हताशा का बदला लेने और भाजपा हाईकमान को प्रभावित करने के लिये राहुल गांधी की यात्रा में बाधाएं खड़ी करके अचानक से कांग्रेस की इस न्याय यात्रा को सुर्खियों में ला दिया। इसके परिणाम स्वरूप मीडिया अचानक जाग उठा और उसने कांग्रेस यात्रा को कवर करने के लिये उनके साथ सफर शुरू कर दिया। टीवी चैनलों पर दिखाया गया कि राहुल गांधी को गुवाहाटी में प्रवेश करने से रोका गया जिसके चलते कांग्रेस कार्यकर्ता उग्र हो गये और तोड़फोड़ शुरू कर दी। इससे राहुल गांधी को लाइमलाइट में आने का अवसर मिला और उन्होंने भाजपा हाईकमान पर उनकी यात्रा को रोकने का आरोप लगा दिया। इसके बाद वह एक बार फिर टीवी की हेडलाइन्स में थे जब उन्होंने कहा कि नौगांव जिले के बताद्रवा मंदिर में प्रार्थना करने से रोका जा रहा है। सरमा ने भी राहुल गांधी पर निशाना साधने के लिए टीवी पर काफी समय लिया और लगातार वह राहुल गांधी की यात्रा और उनके आरोपों का जवाब देते रहे। ऐसा लगता है कि कांग्रेस इस विवाद को लेकर काफी उत्साहित है। यात्रा का असम चरण, इसे मिला कवरेज और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच इसकी प्रतिक्रिया से कांग्रेस के उत्साह में वृद्धि हुई। राहुल गांधी ने कर्नाटक में पार्टी की जीत के सूत्रधार सुनील कनुगोलू को असम में पार्टी के चुनाव ​अभियान का नेतृत्व करने का जिम्मा दिया है। वह 2026 के विधानसभा चुनाव में सरमा और भाजपा को हराने का खाका तैयार करेंगे। कनुगोलू असम में आधार स्थापित करेंगे और आगामी लोकसभा चुनावों में उनकी रणनीतियों का परीक्षण किया जाएगा।
मीडिया में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर था जोरदार उत्साह
राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर जितना उत्साह मीडिया में था उसे देख कर वहां मौजूद राम भक्त और बीजेपी और आरएसएस कार्यकर्ता भी आश्चर्यचकित थे। प्राण प्रतिष्ठा के समय इसे कवर कर रहे, पत्रकार और कैमरापर्सन बेहद उत्साहित दिखे। अयोध्या में विशेष रूप से बनाए गए मीडिया सेंटर में विशाल टीवी स्क्रीन पर समारोह का आनंद उठाते मीडिया कर्मियों ने नृत्य किया, गाना गाया और जय श्री राम के नारे लगाये. कुछ लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी की जय-जयकार के नारे भी लगाए। मीडिया पेशेवरों को बाहर के राम भक्तों से अलग करना मुश्किल था।मीडिया सेंटर विशेष रूप से लगभग 2,000 पेशेवरों के काम करने के लिये बनाया गया था जो इस कार्यक्रम को कवर करने के लिए अयोध्या में एकत्र हुए। वीआईपी लोगों के जाने के बाद मीडियाकर्मियों को दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी गई। वहां एक आभासी भगदड़ मच गई क्योंकि उनमें से 2,000 लोग वहाँ सबसे पहले पहुंचने के लिए दौड़ने और धक्का-मुक्की करने लगे।
जगनमोहन-शर्मिला के बीच कुछ भी सही नहीं
राजनीतिक राहों में जुदा हो चुके हुए भाई-बहन, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी, और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वाईएस शर्मिला हाल ही में गांधीपेट, तेलंगाना में आयोजित शर्मिला के बेटे के सगाई समारोह में एक-दूसरे के आमने-सामने हुए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दोनों के बीच गर्मजोशी का अभाव दिखा। दोनों ने शुभकामनाओं के आदान-प्रदान के बीच भी एक-दूसरे से नजरें नही मिलाई। पारिवारिक समारोह में भी राजनीतिक माहौल की कड़ी शारीरिक भाषा सबको नजर आ रही थी। इस आयोजन में दोनों बहन-भाई के बीच की दूरियां सबके सामने थी लेकिन जगनमोहन रेड्डी अपनी मां वाईएस विजयम्मा से गर्मजोशी से मिले हालांकि विजयम्मा ने राजनीतिक धरातल पर उतरने के शर्मिला के फैसले का समर्थन किया है। राजनीतिक महात्वकांक्षा के कारण शर्मिला को परिवार में खटास लाने का दोषी मानने वाले जगनमोहन का यह व्यवहार सबके लिये आश्चर्य का कारण था। इस समारोह में विजयम्मा ने अपने बेटे को गले लगाया और कुछ प्रत्यक्षदर्शियों को संदेह है कि उनकी आंखों में आंसू थे परिवार में जिस तरह से घटनाएं घटीं और मनमुटाव पैदा हुआ, उस पर सभी पार्टी वर्करों की निगाहें हैं। आंध्र के सीएम अपनी पत्नी के साथ समारोह स्थल पर पहुंचे लेकिन उनके मन में कोई उत्साह नहीं दिख रहा था। वह चुपचाप आए, अपने रिश्तेदारों से मिले, एक-दूसरे से खुशियां मनाईं और नए बच्चे को शुभकामनाएं देेकर वह बाहर निकल गये। जब जगन रेड्डी ने वाईएसआर कांग्रेस बनाने के लिए कांग्रेस छोड़ दी, तो उनकी बहन और मां भी उनके फैसले में शामिल थी। वे दोनों उसके साथ दृढ़ता से उनके साथ मौजूद थी। उन्होंने उनके लिए प्रचार किया और जब वह जेल में थे, शर्मिला ने उनका समर्थन किया था। जगन रेड्डी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके रिश्ते में गिरावट शुरू हो गई। जाहिर तौर पर, उनके बीच संपत्ति के साथ-साथ रेड्डी द्वारा अपनी बहन को सरकार में पद देने से इनकार करने को लेकर मतभेद हो गया। शर्मिला अब 2024 के लोकसभा चुनाव में फिल्मी स्टाइल में भाई-बहन की लड़ाई में कांग्रेस का नेतृत्व करेंगी।

 – आर.आर. जैरथ