यह बात कही मानवता के फरिश्ते बहुत से लोगों के मसीहा डा. के.के. अग्रवाल ने अपने अंतिम वीडियो में 2020-21 हमारे लिए बहुत ही दुखदायी है। 2020 की जनवरी में मैंने अपने जीवन साथी अश्विनी जी को खोया, जिनके बाद ऐसा लगा कि जिन्दगी के कोई मायने नहीं रह गए। जीऊं तो कैसे जीऊं उस क्षण मुझे प्रेरणा देने वाले मेरे काम से जुड़े बहुत से लोग थे, जिन्होंने मुझे बार-बार फोन किए, मिलने आए कि आप इतना काम करती हो रुकना नहीं। अब समाज सेवा ही आपका काम है, परन्तु शायद ईश्वर मेरा बहुत ही इम्तेहान ले रहा है। मेरे को हमेशा आशीर्वाद देने वाले महाशय जी, भोला नाथ विज, नरेन्द्र चंचल, राजमाता और अब डा. के.के. अग्रवाल भगवान को प्यारे हो गए। डा. के.के. अग्रवाल जो हमेशा मेरा साहस बढ़ाते थे, क्योंकि जो मैं बुजुर्गों के लिए काम करती हूं उसमें तकरीबन हर दूसरे-तीसरे दिन कोई न कोई चला जाता है। ईश्वर को प्यारा हो जाता है, तो हम हमेशा यही कहते हैं कि शो मस्ट गो ऑन। यही नहीं अश्विनी जी जाते-जाते अपनी पुस्तक इट्स माई लाइफ में भी यही लिखकर गए कि जिन्दगी बाकी है शो मस्ट गो ऑन।
डा. के.के. अग्रवाल का जाना सारे देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है। एक साधारण सा दिखने वाला व्यक्ति जो अपने काम के प्रति बहुत गम्भीर और सेवा देने में सबसे आगे। मैं उनके काम के साथ लगभग 20 सालों से जुड़ी हुई थी। उनके बहुत से हैल्थ मेला अटैंड किए और 2005 में सबसे पहला हैल्थ कैम्प वरिष्ठ नागरिक का उनके साथ शुरू किया। बड़ा रोचक था क्योंकि पहली बार देखा कैसे डाक्टर साहब ने हार्ट अटैक आने पर क्या करना चाहिए। एक रबड़ के बने आदमी पर दिखाया। यही नहीं वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के सदस्य जो 60+ से 90+ तक होते हैं उनके एक-एक प्रश्न का उत्तर मुस्कराते हुए बड़ी विनम्रता से देते थे। 2005 से लेकर 24 दिसम्बर 2020 तक हमने बहुत से कैम्प और वेबिनार किए। दिल्ली के चारों कोनों में और हरियाणा में मेरे सेवा के काम में बहुत से दिल्ली के जाने-माने डाक्टर जुड़े हैं। डा. त्रेहन, डा. राना, डा. झिंगन, डा. रणधीर सूद, डा. यश गुलाटी, डा. हर्ष महाजन, डा. माला सभ्रवाल, डा. भागड़ा, डा. अनूप मिश्रा, डा. चन्द्र त्रिखा सभी बहुत दिल से काम करते हैं, परन्तु डा. के.के. अग्रवाल कुछ अपने तरीके के शांत स्वभाव और हमेशा मुस्कराते रहने वाले बहुत ही साधारण व्यक्ति थे। मैं कभी भी उनके परिवार से नहीं मिली, परन्तु उनकी पत्नी की बहन वसुधा रोहतगी मेरी बहुत अच्छी मित्र हैं, जो बहुत ही बुद्धिमान, संस्कारी पत्नी, मां हैं। उनसे ही मैं उनके परिवार के सदस्यों का अंदाजा लगा सकती हूं कि सभी कितने अच्छे होंगे। वैसे भी हमेशा कहा जाता है और सच भी है एक सफल व्यक्ति के पीछे एक औरत (पत्नी, मां) का हाथ होता है और वाक्य में एक व्यक्ति (के.के. अग्रवाल) जो 18 घंटे काम करता है तो उसके पीछे उनकी पत्नी और बच्चों का सहयोग होगा, तभी सेवा कर सकते थे। जब उनका वीडियो वायरल हुआ तो मैंने उनको फोन किया। यह क्या वो भी हंसे और मैं भी हंसी तो उन्होंने कहा मेरी प्यारी पत्नी वीणा मेरे लिए बहुत चिंतित रहती हैं और मुझे लोगों को समझाना था कि टीका लगवाना है तो मैंने हंसते हुए उन्हें कहा डा. साहब यह तो नार्मल है, हर व्यक्ति की हर मियां-बीवी की कहानी है, सब ऐसे ही करते हैं और जितना ज्यादा प्यार होता है उतनी नाराजगी भी होती है, वो तो नार्मल है। बस फर्क इतना है आपका सबके सामने आ गया लोगों का घरों में ही है। अगर कोई कहे कि मेरी पत्नी ऐसा नहीं कहती या हम मियां-बीवी में झगड़ा नहीं होता तो वह नार्मल हसबैंड-वाइफ नहीं हैं। और हम खूब हंसे थे। फिर उन्होंने कहा देखो कितना टैंशन वाला वातावरण है, मेरी पत्नी ने मेरा सहयोग किया है लोगों को हंसाने में।
यही नहीं मैंने पहली कभी ऐसी प्रेयर मीटिंग नहीं देखी जो शायद 2 घंटे चली (जो उनकी बेटी नयना, बेटा नीलेश) हैंडल कर रहे थे और सब अपनी रिकवेस्ट भेज रहे थे कि हमने भी बोलना है, शायद मुझे भी लगभग एक घंटा इंतजार करना पड़ा, क्योंकि मुझे उन्हें विदाई सम्मान देना ही था। क्योंकि डाक्टर साहब अपने व्यवहार और काम से सबके दिलों में बसे हुए थे। सब बहुत दुखी थे, भला 62 उम्र भी कोई जाने की होती है और वो व्यक्ति जो सबके लिए हमेशा सेवा देने काे तैयार रहता हो। यही नहीं पिछले 17 सालों में मैंने जितने भी वरिष्ठ नागरिक के फंक्शन किये वो सब में उपस्थित रहते थे। उन्हें लाइफ अचीवमेंट अवार्ड भी दिया गया। उनको तो देश का हर सबसे बड़ा अवार्ड मिला हुआ है। वो चुपचाप एक साधारण व्यक्ति की तरह पीछे आकर बैठ जाते थे। मेरे वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के सभी सदस्य जो देश-विदेशों में लाखों की संख्या में हैं, उनका उन पर बहुत विश्वास था, सब उनके जाने के बाद भय में हैं उनको हौसला देने वाला, साहस बढ़ाने वाला डाक्टर चला गया। आखिरी 24 दिसम्बर को जो हमारा वेबिनार था उसमें अमेरिका, लंदन से भी लोग जुड़े। मेरे लिए या सारे देश के लिए उनकी सेवाएं ऐसी ही थीं जैसे नाईटनगेल की थी, जिस व्यक्ति को पदमश्री पुरस्कार मिला हुआ हो और हाथ से सीपीआर देने की जीवन रक्षक तकनीक उन्नत करने के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में जिनका नाम दर्ज हो वह आदमी इतना डाऊन टू अर्थ कैसे हो सकता है। यह एक रिसर्च का विषय भी हो सकता है।
मैंने इतना सरल हृदय और दूसरों के लिए हर वक्त डटे रहने वाला आदमी जीवन में नहीं देखा। मेरी नजर में बड़े आम से, साधारण से दिखने वाले सेवा करने वाले देवदूत थे। मुझे आज भी याद है जब देश के प्रसिद्ध जाने-माने वकील मुकुल रोहतगी जी के बेटे की शादी थी, जिनके हमारे बड़े प्यारे पारिवारिक संबंध हैं तो वहां देश की जानी-मानी हस्तियां मौजूद थीं। डाक्टर साहब एक तरफ पगड़ी पहने खड़े थे तो मैंने जब उनको देखा तो बड़ी हैरानगी से पूछा कि डाक्टर साहब आप कैसे (क्योंकि मैं सच में ऐसे साधारण से दिखने वाले डाक्टर को वहां एक्सपैक्ट नहीं कर रही थी) तो उन्होंने बड़े शांत भाव से मुझे कहा कि मैं मुकुल जी की पत्नी की बहन का पति हूं और फिर मुस्कराने लगे। मैं सच में हैरान थी कि इतने बड़े परिवार से संबंध रखते हैं। यही नहीं अश्विनी जी के जाने के बाद मुझसे बात नहीं होती थी तो मैं रो पड़ती थी तो वह हमेशा मुझे यही कहते थे किरण जी आप साहसी महिला हो, रोती अच्छी नहीं लगतीं, आपके साथ बहुत से लोगों का साहस जुड़ा है। आप हमेशा मुस्कराती अच्छी लगती हो। काश आज मैं डा. के.के. अग्रवाल से पूछ सकती सदा लोगों को खुश रखने और जीने के तरीके सिखाने वाले सबको प्रेरणा देने वाले डा. साहब आपसे सभी लोगों का साहस था हौंसला था आप कैसे सबको छोड़ कर चले गए। मेरे 70+80+90+ वाले सदस्य मेरे से प्रश्न पूछ रहे हैं कि डा. साहब कैसे क्यों चले गए। उन्होंने तो दोनों टीके लगवाए थे, वो तो हमें जीना सिखाते थे, वो मदर टैरेसा जैसे काम करते थे। वह सेवा, समर्पण, सहयोग की परिभाषा थे। मेरे पास कोई जवाब नहीं। बस मैं यही कहती हूं यह होनी है, नियति है, ईश्वर के आगे हमारी नहीं चलती। शायद ईश्वर को भी अच्छे लोगों की जरूरत होती है, वो उन्हें जल्दी अपने पास बुला लेता है। डा. साहब अपने काम, सेवा आैर अपनी वीडियो के माध्यम से हमेशा हमारे बीच जीवित रहेंगे।