भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। यह हमारे लिए बहुत गर्व और हर्ष का दिन है क्योंकि इसी शुभ दिन एक लम्बे संघर्ष के उपरान्त भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी। हम उन महान स्वतंत्रता सेनानियों, वीर सैनिकों तथा राष्ट्र-निर्माताओं के प्रति कृतज्ञ हैं जिनके अथक प्रयासों के फलस्वरूप हमारा देश आज अपनी मज़बूत और विशेष पहचान बना पाया है।
हिमाचल प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों ने भी आज़ादी के आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर दमनकारियोें का डटकर सामना किया। देश की एकता एवं अखंडता को बनाए रखने के लिए विकट परिस्थितियोें में हमारे वीर सपूतों ने अदम्य साहस का परिचय दिया, जिसके लिए उन्हें सर्वाेच्च सम्मान प्रदान किए गए।
हमारे लिए गर्व की बात है कि देश के पहले परमवीर चक्र से प्रदेश के वीर सपूत मेजर सोमनाथ शर्मा को नवाज़ा गया। हिमाचल प्रदेश से ही संबंध रखने वाले कर्नल डी.एस. थापा, कैप्टन विक्रम बत्तरा तथा सूबेदार मेजर संजय कुमार को भी परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
हिमाचल के नौजवान देश की सेनाओं का हमेशा महत्त्वपूर्ण अंग रहे हैं और हमारी सरकार वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानियों, सैनिकों, पूर्व सैनिकों तथा उनके परिजनों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हिमाचल के मेहनती और ईमानदार लोगों के बुलंद हौसलों और मेहनत के कारण हम विकास के पथ पर आगे बढ़ते रहे। हमें गर्व है कि हिमाचल प्रदेश आज दूसरे पहाड़ी राज्यों के लिए विकास का आदर्श बनकर उभरा है।
प्रदेश की जनता के भरपूर सहयोग और आशीर्वाद से 11 दिसम्बर, 2022 को कांग्रेस सरकार ने राज्य में जन सेवा का दायित्व संभाला। मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि मुझे सरकार का नेतृत्व संभालने का अवसर प्राप्त हुआ। 20 महीने के छोटे-से कार्यकाल में हमने राजनीतिक, आर्थिक और आपदा के मोर्चों पर तीन-तीन चुनौतियों का मजबूती के साथ सामना किया।
मैं सभी प्रदेशवासियों का हार्दिक आभार प्रकट करना चाहता हूं जिन्होंने हमारी सरकार पर अपना भरोसा बनाए रखा और भरपूर सहयोग दिया। प्रदेश में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के लिए कई साजिशें रची गईं। चुनी हुई प्रदेश की सरकार को धनबल और बेईमानी के सहारे गिराने के प्रयास भी बहुत किए गए। प्रदेश पर उप-चुनावों का आर्थिक बोझ पड़ा और विकास परियोजनाओं की गति रोकने के भी प्रयास किए गए। लेकिन प्रदेशवासियों ने उन्हें नाकाम कर दिया तथा लोकतंत्र को मजबूत करते हुए धनबल को हराकर जनबल की विजय का परचम लहराया।
हमारा संकल्प है कि हिमाचल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बने और आने वाले दस वर्षांे में देश के सबसे समृद्धशाली राज्यों की सूची में शामिल हो। हमने आबकारी नीति में बदलाव लाने जैसे कई साहसिक फैसले लिए हैं जिनसे केवल एक वर्ष में ही 2200 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त राजस्व अर्जित हुआ है। राज्य सरकार ने प्रदेश के हितों की अदालतों में भी पूरी मजबूती के साथ पैरवी की है। इन प्रयासों से अडाणी पॉवर्स और वाइल्ड फ्लावर हॉल जैसे मामलों का फैसला हिमाचल प्रदेश के पक्ष में आया है।
हिमाचल एक ऐसा प्रदेश बनता जा रहा है, जहां लोग अमीर हैं पर सरकार गरीब है। इसका कारण पिछली सरकार ने अमीर-गरीब दोनों को एक बराबर सब्सिडी देने की प्रथा शुरू कर दी। साथ ही कुछ ऐसे फैसले लिये जिनसे प्रदेश पर हजारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ गया। उदाहरण के तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली और पानी दोनों के बिल जीरो कर दिए। जो व्यक्ति जरूरतमंद है उसे यह सुविधा मिले, इसका हमारी सरकार विरोध नहीं करती। लेकिन सम्पन्न परिवारों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिलना चाहिए। बिजली का बिल जीरो करने से प्रदेश सरकार पर इस साल 780 करोड़ रुपये और पानी का बिल जीरो करने से 300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
भारत का वित्त आयोग हर पांच साल के लिए ऐसे प्रदेशों को विशेष सहायता देता है जो रेवेन्यू सरप्लस नहीं होते यानी उनमें राजस्व पैदा करने के साधन कम होते हैं। देश में राज्यों का गठन सम्पूर्ण आर्थिक इकाइयों के तौर पर नहीं किया गया है इसलिये इन्हें राजस्व सरप्लस एरिया की तरह देखना ठीक नहीं है।
हिमाचल प्रदेश को भारत सरकार ने विशेष श्रेणी राज्य घोषित किया है और हमारे लिए राजस्व घाटा अनुदान का प्रावधान किया है।
15वें वित्त आयोग ने राजस्व घाटा अनुदान में कटौती कर प्रदेश के साथ अन्याय किया। हमने प्रदेश के हित में इस मामले को 16वें वित्त आयोग के सामने प्रमुखता से रखा है। वर्ष 2021-22 में यह ग्रांट 10 हजार 249 करोड़ थी, जो वर्ष 2025-26 में घटकर 3 हजार 257 करोड़ रुपये रह जाएगी। इसका अर्थ यह है कि आने वाले साल में प्रदेश को विकास के लिए लगभग 7 हज़ार करोड़ रुपये कम मिलेंगे। पिछली सरकार ने भारत सरकार के साथ इस मुद्दे को बिल्कुल नहीं उठाया। हमने इस मामले को 16वें वित्त आयोग के सामने प्रमुखता से रखा है।
हिमकेयर योजना के दुरुपयोग के कई मामले सामने आये हैं। बहुत से निजी अस्पतालों ने इसे पैसा कमाने का धंधा बना लिया था। इसलिए हमने 147 निजी अस्पतालों को इस योजना के दायरे से बाहर कर दिया है। सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में इस योजना का लाभ मिलता रहेगा। निजी अस्पतालों में डायलिसिस की सुविधा को बहाल रखा गया हैै।
वर्तमान परिस्थितियों के दृष्टिगत हमें अपने तौर-तरीके बदलने की ज़रूरत है। इस साल प्रदेश के 99 प्राइमरी स्कूलों और 10 मिडल स्कूलों में शून्य नामांकन थे, जिन्हें बन्द करने का निर्णय लिया गया है। हमने दो किलोमीटर दायरे के प्राइमरी स्कूलों और तीन किलोमीटर के दायरे के मिडल स्कूलों में पांच और इससे कम विद्यार्थी संख्या होने की स्थिति में इनका निकटतम विद्यालय के साथ विलय करने का निर्णय लिया है।
हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग में युवाओं के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को देखते हुए हमने इस आयोग को बंद कर भर्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य चयन आयोग खोला है। आयोग ने कुल लम्बित 2,983 पदों के परिणामों में से 1841 पदों के अंतिम नतीजे घोषित कर दिए हैं। चार साल से लटके जेओए (आईटी) पोस्ट कोड 817 का केस भी हमारी सरकार ने मजबूती के साथ लड़ा और न्यायालय से फैसला आने के बाद इस परीक्षा का परिणाम घोषित किया है। बाकी लंबित परीक्षा परिणामों को भी जल्दी घोषित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
पिछले वर्ष की तरह इस बरसात में भी हमें बहुत नुकसान उठाना पड़ा है। कई बहुमूल्य जीवन प्राकृतिक आपदा में हमने खोए हैं, जिन्हें मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मैं विश्वास दिलाता हूं कि दुख की इस घड़ी में हम आपदा प्रभावितों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और एक-एक परिवार को फिर से बसाना हमारा संकल्प है। हर प्रभावित परिवार को फौरी राहत के रूप में 50 हज़ार रुपये दिए गए हैैं। उन्हें तीन महीने तक किराए पर मकान के लिए शहरी क्षेत्र में 10 हजार रुपये और ग्रामीण क्षेत्र में 5 हज़ार रुपये प्रदान किए जा रहे हैं। प्रभावितों को मुफ़्त राशन, गैस, बर्तन, बिस्तर और सिलेंडर भी उपलब्ध करवाए गए हैं।
हमारी सरकार की पहली जिम्मेदारी समाज के संवेदनशील वर्गांे का संरक्षण और कल्याण सुनिश्चित करना है। मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना शुरू कर 6 हज़ार बच्चों को 'चिल्ड्रन आफ द स्टेट' के रूप में अपनाकर सरकार इनकी पढ़ाई, जेब खर्च का जिम्मा उठा रही है।
अपनी चुनावी गारंटी को पूरा करते हुए हमारी सरकार ने इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख-सम्मान निधि योजना शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत पात्र महिलाओं को सम्मान राशि के रूप में हर महीने 1500 रुपये प्रदान किए जा रहे हैं। पूर्व में अन्य पेंशन योजनाओं से लाभान्वित हो रहीं लगभग 2.37 लाख महिलाओं को भी इसके दायरे में लाकर मासिक पेंशन को बढ़ाकर 1500 रुपये किया गया है।
प्रदेश के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले सरकारी कर्मचारियों को सरकार ने अपनी चुनावी गारंटी के मुताबिक पुरानी पेंशन योजना बहाल कर 1.36 लाख से अधिक कर्मचारियों और उनके लाखों परिजनों को लाभान्वित किया है। लेकिन कर्मचारियों के एनपीएस के लगभग 9 हजार 200 करोड़ रुपये अभी भी केन्द्र सरकार के पास फंसे हैं।
अपने एक और चुनावी वायदे को पूरा करते हुए हमने युवाओं के लिए 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्टार्ट-अप योजना शुरू की है। इसके अंतर्गत ई-टैक्सी खरीदने, निजी भूमि पर सोलर पैनल लगाने के लिए 50 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है। तीसरे चरण में किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जाएगा। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हिम उन्नति योजना भी लागू की गई है जिसके अंतर्गत लगभग 50 हजार किसानों को शामिल करने के लिए 2600 कृषि समूहों को स्थापित करने का लक्ष्य है।
प्रदेश के बच्चों को गुणात्मक शिक्षा की सुविधा प्रदान करना हमारी सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से अंग्रेज़ी माध्यम शुरू करने की गारंटी को हमने पूरा किया है। हर विधानसभा क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक व उपकरणों से युक्त राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल खोले जा रहे हैं। स्कूलों में बेहतर संसाधन जुटाने के उद्देश्य से हमने स्कूलों के क्लस्टर बनाए हैं।
हिमाचल प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे कैंसर के मामले गंभीर चिंता का विषय है। प्रदेश सरकार ने कैंसर मरीजों के लिए निःशुल्क इलाज और मुफ़्त दवाइयां प्रदान करने का निर्णय लिया है। टांडा मेडिकल कॉलेज में विशेषज्ञ डॉक्टरों और चिकित्सा अधिकारियों सहित विभिन्न श्रेणियों के 462 पद और आई.जी.एम.सी., शिमला व अटल सुपर स्पेशिल्टी आयुर्विज्ञान संस्थान, चमियाना, में 489 पद भरने का फैसला लिया है। स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा लगभग 2700 पदों को भरा जा रहा है।
बागबानी क्षेत्र का हमारे प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान है। बागबानों के हित में राज्य सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं। इस साल सेब सीज़न के दौरान यूनिर्वसल कार्टन का प्रयोग शुरू किया गया है। मंडी मध्यस्थता योजना के अंतर्गत सेब उत्पादकों की सभी देनदारियों का भुगतान करने के लिए 153 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं जिसमें पिछली सरकार की 90 करोड़ रुपये की देनदारी भी शामिल है। इस साल भी सेब, आम और नींबू प्रजाति के फलों को 12 रुपये के समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहंू को 40 रुपये प्रति किलोग्राम और मक्की को 30 रुपये प्रति किलोग्राम के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी। यह न्यूनतम समर्थन मूल्य देश के सभी राज्यों में सबसे अधिक है। हमने गाय के दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को 32 रुपये से बढ़ाकर 45 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध को 47 रुपये से बढ़ाकर 55 रुपये प्रति लीटर किया है। दूध खरीद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने वाला हिमाचल देश का एकमात्र राज्य है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में क्रांतिकारी पहल करते हुए प्रदेश सरकार ने 31 मार्च, 2026 तक हिमाचल को हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है। इसी कड़ी में प्रदेश में 6 ग्रीन कोरिडोर स्थापित किए जा चुके हैं। नालागढ़ में ऑयल इंडिया कम्पनी की भागीदारी से ग्रीन हाइड्रोजन गैस के उत्पादन के लिए एक मैगावाट का प्लांट स्थापित किया जा रहा है। ऊना जिला के पेखूबेला में 32 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना तैयार की गई है जिससे सालाना 19 करोड़ 17 लाख रुपये के राजस्व लाभ का अनुमान है। अघलौर में 10 मेगावाट और भंजाल में पांच मेगावाट क्षमता वाली सौर ऊर्जा परियोजनाओं का निर्माण कार्य जारी है। इन परियोजनाओं के संचालन से प्रदेश सरकार को 11 करोड़ रुपये से अधिक राजस्व प्राप्त होगा।
प्रदेश सरकार पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं और सेवाएं उपलब्ध करवा रही है जिससे पर्यटन गतिविधियों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। कांगड़ा को पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित किया जा रहा है। देहरा उप-मण्डल के बनखंडी में 619 करोड़ रुपये की लागत से वन्य प्राणी उद्यान स्थापित किया जा रहा है। कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार की प्रक्रिया भी जारी है। प्रदेश में 16 हेलीपोर्ट निर्मित किए जा रहे हैं और रोप-वे निर्माण को भी गति दी जा रही है।
राज्य सरकार सड़कों के विस्तार के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम प्रदेश के अति दुर्गम क्षेत्रों तक रोजाना लाखों यात्रियों को आवागमन की सुविधा उपलब्ध करवा रहा है। निगम को इलेक्ट्रिक बसें खरीदने के लिए 517 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
हमारी सरकार ने 20 माह के कार्यकाल में रोज़गार के 31 हजार से अधिक अवसर सृजित किए हैं। इसकी तुलना में, पूर्व भाजपा सरकार ने अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में केवल 20 हजार नौकरियां दी थीं जिनमें से अधिकतर कानूनी दाव-पेचों में उलझी रहीं।
प्रदेश में पहली बार तहसील और उप-तहसील स्तर पर विशेष राजस्व लोक अदालतों का आयोजन कर 1,87,500 से अधिक राजस्व मामलों का निपटारा किया गया। इस व्यवस्था से आम आदमी को भूमि से जुड़े मामलों में बार-बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने से राहत मिली है।
मैं प्रदेश के लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि राज्य सरकार व्यवस्था परिवर्तन से आत्मनिर्भर हिमाचल प्रदेश बनाने का सपना साकार कर रही है। पिछली भाजपा सरकार प्रदेश पर 75 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज तथा कर्मचारियों की लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारियों का बोझ छोड़ कर गई। यही वजह है कि राज्य सरकार को कर्ज और ब्याज चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है। आज हालात ये हैं कि 100 रुपये में से वेतन पर 25 रुपये, पैंशन पर 17 रुपये, ब्याज पर 11 रुपये, कर्ज अदायगी पर 9 रुपये, स्वायत्त संस्थानों की ग्रांट पर 10 रुपये और बचे हुए 28 रुपये पूंजीगत व्यय और अन्य गतिविधियांे पर खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन हमारा दृढ़ संकल्प है कि प्रदेश के विकास और जनकल्याण में खराब आर्थिक स्थिति को बाधा नहीं बनने दिया जाएगा।
मैं एक बार फिर समस्त प्रदेशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देता हूं तथा समस्त प्रदेशवासियों के सुखमय और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं।
जय हिन्द, जय हिमाचल…!