ऑनलाइन फ्रॉड की चर्चा बहुत दिनों से सुनते आ रहे हैं। बहुत से लोगों से करोड़ों रुपये ये फ्रॉड करने वाले जालसाज बैंक एकाउंट से उड़ा ले गए। झारखंड का जामताड़ा और हरियाणा का नूंह इस ऑनलाइन फ्रॉड करने के केंद्र के रूप में बहुचर्चित हो गया। यह सिलसिला रुकने का नाम भी नहीं ले रहा था कि अब एक नये रूप में आपके मोबाइल पर ऐसी धोखाधड़ी सामने आ गई है जिसे 'डिजिटल एरेस्ट का नाम दिया गया है।
डिजिटल अरेस्ट करने वाले धोखेबाज अपने-आप को सी. बी. आई., आर. बी. आई., पुलिस, इन्कम टैक्स या नशीले पदार्थ की रोकथाम में लगे अधिकारी, जैसे विभाग, की ओर से बात करते हैं। वो पहले से आपके विषय में बहुत जानकारी एकत्र कर लेते हैं - आपके परिवार, मित्रगण, व्यवसाय, आदि से सम्बंधित। ये जालसाज अपनी बात बहुत विश्वास और धमकाने वाले अंदाज से करते हैं। वीडियो कॉल पर तो ये जालसाज पुलिस या अन्य सरकारी यूनिफॉर्म में नजर आएंगे और बैकग्राउंड में सरकारी दफ्तर दिखाई देगा। बिल्कुल ऐसा लगेगा कि वो सही-सही उसी विभाग से बोल रहे हैं। आपको धमकाया जाएगा कि आपने यह गलत काम किया है जिसके लिए आपको जेल हो सकती है और आपका समाज में बहुत नाम खराब हो जाएगा। इससे बचने के लिए वो आपसे रुपये की मांग करेंगे। ऐसी धोखाधड़ी में बुजुर्ग व्यक्ति ज्यादा शिकार हो रहे हैं। टेक्नोलॉजी की समझ कम होना, जल्द किसी की बातों में आ जाना और उम्र के इस पड़ाव में ऐसी धमकी भरी बातों से घबरा जाना आम बात है। कुछ ही सप्ताह पहले एक बहुत ही प्रतिष्ठित बिजनेस ग्रुप के 82 वर्षीय सीईओ से ऐसे साइबर जालसाज ने सात करोड़ रुपये ठग लिए थे।
डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी का एक उदाहरण यहां देना चाहूंगा। एक लड़की का वीडियो कॉल आता है, आप रिस्पॉन्स देते है, कुछ अनाप-शनाप बाते होती हैं जिसे उस लड़की ने रिकॉर्ड कर लिया है। लाइन काट दी जाती है। आप निश्चिंत हो जाते हैं। पर अगले दिन सुबह एक पुरुष का फोन आता है और वह अपने को पुलिस का उच्च अधिकारी बताता है। वह कहता है कि कल आप एक लड़की से अश्लील बात कर रहे थे, सारी रिकॉर्डिंग हमे मिली है। आपको इस अपराध के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है। इसे हम यूट्यूब पर पोस्ट भी कर देंगे। प्रधान मंत्री ने डिजिटल सुरक्षा के तीन चरण की बात की। इसे समझाते हुए उन्होंने कहा कि ये तीन चरण हैं – 'रुको-सोचो-एक्शन लो कॉल' आते ही, 'रुको' - घबराएं नहीं, शांत रहें, जल्दबाजी में कोई कदम न उठाएं, किसी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी न दें, संभव हो तो स्क्रीनशॉट लें और रिकॉर्डिंग जरूर करें। इसके बाद आता है, दूसरा चरण, 'सोचो'। कोई भी सरकारी विभाग फोन पर ऐसे धमकी नहीं देती, न ही वीडियो कॉल पर पूछताछ करता है, न ही ऐसे पैसे की मांग करता है। और तीसरा चरण है - 'एक्शन लो'। राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर डायल करें, cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें, परिवार और पुलिस को सूचित करें, सबूत सुरक्षित रखें। ये तीन चरण आपकी डिजिटल सुरक्षा का रक्षक बनेंगे।
प्रधानमंत्री ने दोहराया कि डिजिटल एरेस्ट जैसी कोई व्यवस्था कानून में नहीं है। ये सिर्फ फ्रॉड है, फरेब है, झूठ है, बदमाशों का गिरोह है और जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वो समाज के दुश्मन हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि डिजिटल अरेस्ट के नाम पर जो फरेब चल रहा है, उससे निपटने के लिए तमाम जांच एजेंसियां, राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही हैं।
इन एजेंसियों में तालमेल बनाने के लिए नेशनल साइबर कोऑर्डिनेशन सैन्टर की स्थापना की गई है। नागरिकों से सहयोग का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि इस धोखाधड़ी से बचने के लिए बहुत जरूरी है हर नागरिक का जागरूक होना। जो लोग भी इस तरह के फ्रॉड का शिकार होते हैं, उन्हें ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को इसके बारे में बताना चाहिए। मुहिम में छात्रों को भी जोडऩे का आग्रह किया। समाज में सबके प्रयासों से ही इस चुनौती का मुकाबला किया जा सकता है। वरिष्ठजन घर पर छोटों से अपने स्मार्टफोन के विषय में ज्यादा से ज्यादा जानकारी लेने का प्रयास करें। उन्हें किसी भी अनजान नंबर से फोन आने पर रिस्पॉन्स नहीं करना चाहिए। जरूरत लगे तो आप उस नंबर पर मैसेज दे कि आप अभी व्यस्त है और वो कॉल करने वाला आपको मैसेज द्वारा अपना काम बताए। मोबाइल पर अंजान नंबर से अगर कोई लिंक आता है तो उसे क्लिक न करें। व्यक्तिगत जानकारी या बैंक के डिटेल्स किसी से भी सांझा न करें। ये छोटी छोटी सावधानियां आपको इस तरह के स्केम से बचाने में सहयोग करेंगी।
विजय मारु