बहुत समय से समय न होने के कारण बहुत देर से कोई फिल्म भी नहीं देखी, परन्तु इस बार बच्चों ने 3 फिल्में दिखा दी 2 थिएटर में और एक नेटफ्लिक्स पर। तीनों फिल्में एक-दूसरे से भिन्न और जिक्र करने वाली हैं।
पहली फिल्म एनिमल जिसके नाम से ही समझ लग जाती है वो कैसी फिल्म होगी। मारधाड़, हिंसा से भरपूर फिल्म जिसे शायद मेरे लिए देखना बहुत ही मुश्किल हो रहा था, परन्तु मेरे बच्चे बड़े प्यार से मुझे दिखाने लाए थे तो सोचा उनके लिए सह लूं और छोटे बच्चों की तरह पॉपकोेन खाते हुए बड़े बेमाने दिल से पिक्चर देखती रही। दोनों बेटे-बहुएं फिल्म अभिनेता और उनकी एक्टिंग की बहुत तारीफ कर रहे थे। गाने की बहुत तारीफ कर रहे थे। उन्होंने कहा मां स्टोरी पर न जाओ एक्टिंग देखो। रणबीर कपूर, सन्नी देओल की कितनी अच्छी एक्टिंग है। बड़ी अननैचुरल फिल्म है, परन्तु एक्टिंग तो वाकय में बहुत अच्छी है। दोनों को एनिमल वाले रोल दिए गए और उन्होंने वैसे ही निभाए। बच्चों का उनकी एक्टिंग पर ध्यान था। उस फिल्म में एक ही अच्छी बात थी कि एक पिता जो अपने बेटे को कभी समय नहीं दे पाया। तब भी उसका बेटा उसे कितना प्यार करता है और उसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार है। दूसरा सीखने मिला कई बार अपने घर में ही दुश्मन होते हैं, परन्तु पारिवारिक लड़ाई को बहुत ही हिंसक तरीके से बताया है, जो देखकर दिल घबराता है। मेरे हिसाब से ऐसी फिल्में नहीं बननी चाहिएं, जो युवाओं में हिंसक प्रवृति पैदा करें क्योंकि कई हीरो युवाओं के आईकॉन हाेते हैं। जब बाहर निकल रहे थे तो एक महिला कानों को हाथ लगा कर कह रही थी इसे तो एनिमल ही देख सकते हैं। बड़ी बेहूदी पिक्चर है, पर एक्टिंग अच्छी है। सुना जा रहा है कि पिक्चर बहुत पसंद की जा रही है और युवाओं की पसंद है।
दूसरी फिल्म मेरे बच्चे मुझे लेकर गए और पहले ही हंसते हुए कह रहे थे, मां प्रॉमिस यह फिल्म आपको बड़ी पसंद आएगी, वो थी सेमबहादुर मानिक शाह। वाकय क्या फिल्म है, विशेषकर जिनको हिस्ट्री मालूम है। देश के लिए भावना है और उस पर विक्की कौशल की एक्टिंग क्या कमाल है। मुझे लगता है उसने बड़ी स्टडी करके अपने आपको उसके रोल में उतारा है। इस फिल्म को देखकर देशभक्ति का जज्बा और अपने आर्मी वालों के लिए तहेिदल से सैल्यूट करने को दिल करता है कि आर्मी लाइफ कितनी कठिन है। वाकय ही हम अगर चैन की नींद सोते हैं तो इन जवानों के कारण और हमारे मानिक शाह हमारी आर्मी के लिए एक आईकॉन रहे हैं। इस फिल्म को देश के हर जवान, बूढ़े और आर्मी वालों को देखना चाहिए और युवाओं को हिस्ट्री समझ कर मेरे बेटे-बहुओं को मेरे से भी ज्यादा मालूम था और उन्होंने इस फिल्म को बहुत ही एंजॉय किया। विशेषकर खुश नजर आए कि मां खुश है। ऐसी फिल्में बहुत बननी चाहिएं।
तीसरी फिल्म देखी 'द आर्चीज', वो मुझे, मेरे बच्चों ने नेटफ्लिक्स पर लगाकर दी। इस फिल्म को देखने का मुझे बहुत शौक था, क्योंकि सुहाना को मैं अभी-अभी उसकी नानी सविता छिंबा के यहां मिली थी। बहुत ही प्यारी डाउन टू अर्थ बच्ची है। सबसे बड़े प्यार से अपने माता-पिता शाहरुख और मां गौरी की तरह मिल रही थी। हमारे फ्रैंड्स इस फिल्म के प्रीमियर के लिए भी गए। अरे क्या कमाल की फिल्म बनाई है। यंग एक्टर्स को लेकर क्या सबने एक्टिंग की है और फिल्म का क्या अच्छा थीम है कि अगर युवा पीढ़ी किसी काम को सोच ले, ठान ले तो वो करके छोड़ती है। उनके नए-नए तरीके, नए-नए अंदाज। इसमें पत्रकार बेटे-बाप का रोल भी बहुत सराहनीय है। कहने को तो सभी युवाओं का जिन्होंने इसमें भूमिका निभाई है बहुत ही बढ़िया है, परन्तु विशेषकर वेदांग रैना, मिहीर आहूजा, अदिति डॉट ने दिल को छू लिया।
अगस्तय नंदा, सुहाना खुशी का तो बहुत अच्छा रोल है। मुझे पूरी उम्मीद है आने वाले समय में यह बहुत ऊंचाइयों को छुएंगे। एक-एक बच्चे की एक्टिंग बहुत अच्छी है। यह युुवाओं को बहुत पसंद आएगी। विशेषकर इसके सब्सीट्यूूट इंग्लिश में भी साथ-साथ चल रहे, सो विदेशों में रह रहे भारतीयों को भी अच्छी लगेगी। सबसे बड़ी बात एक्टिंग के साथ-साथ थीम की, कैसे ग्रीन पार्क को बचाने के लिए बच्चे मुहिम चलाते हैं। यह पेड़ों को बचाने के लिए भी सपोर्ट कर रही है। मुझे लगता है और मेरा मानना है कि आज के समय में ऐसी फिल्में बननी चाहिएं, जो युवा पीढ़ी को प्रेरणा देकर उत्साहित करें।
इसमें कोई शक नहीं तीनों फिल्मों में सभी किरदार निभाने वालों की एक्टिंग बहुत ही अच्छी है। रणबीर कपूर और सन्नी देओल के जीन्स में एक्टिंग है। अगर वो अच्छी थीम वाली पिक्चर में एक्टिंग करें तो और भी अच्छा होगा। रणबीर कपूर को मैं व्यक्तिगत रूप से अमेरिका में मिली। मुझे 3 अक्तूबर, 2018 का समय कभी नहीं भूलता। जिस दिन अश्विनी जी की एम.एस.के.सी. हाॅस्पिटल में सर्जरी हो रही थी। दूसरी तरफ ऋषि कपूर का इलाज हो रहा था। मैं, मेरे बेटे और नीतू सिंह, रणबीर कपूर एक ही स्थान पर बैठे थे। मेरा रोना बंद नहीं हो रहा था। नीतू सिंह बहुत बैलेंस थीं। उसको देखकर तो अब भी मेरे बच्चे जब मैं रोती हूं तो कहते हैं उसकी तरफ देखो, कितनी बहादुर है। कैसे अपनी लाइफ को सैट कर रही है, कैसे हालात से समझौता कर लाइफ नार्मल जी रही हैं। आप भी वैसे ही करो। कहने का भाव है कहीं न कहीं यह एक्टर हमारी जिन्दगी में असर छोड़ते हैं।