संपादकीय

ग्लोबल होने की राह पर यूपीआई

Aakash Chopra

भारत जितनी तेजी से डिजिटल हुआ है कि कोई अन्य देश इतनी तेजी से डिजिटल नहीं हुआ। यही कारण है कि भारत के यूपीआई की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है। नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा संचालित यूपीआई सर्विस को मोदी सरकार द्वारा 2016 में लॉन्च किया गया था। यूपीआई के माध्यम से ऑनलाइन पेमेंट करने के तरीके को बेहद आसान बनाने का काम किया गया है। साथ ही यह रियल टाइम फंड ट्रांसफर करने में योग्य है और इसे आईएमपीएस मॉडल द्वारा डेवलप किया गया है। यूपीआई के आने के बाद से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में काफी बढ़ाैतरी देखने को मिली है। पिछले साल दिसंबर में यूपीआई से 18.23 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन किया गया था।
भारत सरकार के एक अनुमान के मुताबिक मार्च, 2021 तक डिजिटल सार्वजनिक ढांचे की वजह से सकल घरेलू उत्पाद के करीब 1.1 फीसदी खर्च की बचत हो पाई। इस साल अप्रैल में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी माना था कि भारत ने व्यापक उपयोग वाला एक विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक ढांचा खड़ा कर लिया है। आईएमएफ का ये भी कहना था कि भारत ने जिस तरह का विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक ढांचा खड़ा किया है उससे दूसरे देश सबक ले सकते हैं।
कहते हैं कि चुनौतियां न केवल व्यक्तिगत रूप से आदमी को बल्कि समाज और राष्ट्र को भी सक्षम बना देती है। कोरोना महामारी के दौरान बहुत कुछ बदला। बहुत कुछ हाथ में मोबाइल से सम्भव हुआ। ​ डिजिटल सार्वजनिक ढांचे के तहत विशिष्ट पहचान (आधार), यूपीआई और आधार समर्थित भुगतान सेवा के साथ डिजिलॉकर और खाता एग्रीगेटर जैसे डेटा विनिमय की व्यवस्था को आईएमएफ ने महत्वपूर्ण बताया था। आईएमएफ का कहना था कि भारत में तीनों तरह के डिजिटल सार्वजनिक ढांचे मिलकर सार्वजनिक और निजी सेवाओं तक ऑनलाइन, कागज-रहित, नकदी-रहित और निजता को अहमियत देने वाली डिजिटल पहुंच सुनिश्चित करते हैं। डिजिटलीकरण की प्रक्रिया से भारतीय अर्थव्यवस्था को संगठित बनाने में मदद मिली। इसी का नतीजा था कि जुलाई, 2017 से लेकर मार्च, 2022 की अवधि में करीब 88 लाख नए करदाताओं के पंजीकृत होने से सरकारी राजस्व में भी इजाफा हुआ।
भारत एक ऐसा देश है जिसने पिछले एक दशक में प्रौद्योगिकी को बहुत तेजी से अपनाया है। इसकी वजह से भारत की स्थिति ऐसी हो गई है कि अब वो इस क्षेत्र में दुनिया के सामने मौजूद समस्याओं का आगे बढ़कर हल निकाल रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी के यूएई के दौरे से एक बड़ी शुरूआत की गई है। यूएई में भी अब लोग भारतीय यूपीआई के माध्यम से पेमेंट करने में सक्षम होंगे। इससे सबसे अधिक फायदा भारतीय पर्यटकों को होगा। साथ ही वहां रह रहे भारतीयों को भी इस सुविधा का लाभ मिलेगा। इससे पहले 12 फरवरी को श्रीलंका में और मॉरिशस में यूपीआई पेमेंट की शुरुआत की गई। सिंगापुर में सबसे पहले भारतीय यूपीआई की शुरूआत हुई थी। आरबीआई के अनुसार दूसरे देश भी भारत के यूपीआई पेमेंट सिस्टम में रुचि दिखा रहे हैं। जल्द ही बांग्लादेश में भी यूपीआई सेवा शुरू होने वाली है। अभी तक कई देश इस पेमेंट सिस्टम से जुड़ चुके हैं और माना जा रहा है कि आने वाले समय में इस लिस्ट में और भी देशों का नाम शामिल हो जाएगा। भारतीय पेमेंट सर्विस का विस्तार 19 से अधिक देशों में हो चुका है। इसमें नेपाल, फ्रांस, भूटान, सिंगापुर ओमान, मलेशिया, थाइलैंड फिलिपींस, वियतनाम, कंबोडिया के जैसे कई और देशों का नाम शामिल है जिससे डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ाने में सहायता मिलेगी। अभी कुछ दिनों पहले जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्राें भारत आए थे तो वह भी यूपीआई से काफी प्रभावित हुए थे। उसके पहले जर्मन मंत्री का डिजिटल पेमेंट करता हुआ फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
जर्मनी के डिजिटल और परिवहन मंत्री वोल्कर विस्सिंग ने भी भारत में भुगतान करने के लिए यूूपीआई का उपयोग किया था। वह न केवल यूपीआई भुगतान के अनुभव से खासे प्रभावित हुए थे, बल्कि उन्होंने भारत के डिजिटल भुगतान मॉडल की सराहना करते हुए उसे दुनिया की बेहतरीन व्यवस्थाओं में एक बताया था। भारत में जर्मन दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर इसकी तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए थे, जिसमें जर्मन मंत्री यूपीआई से पेमेंट करते दिख रहे हैं। वह एक सब्जी बेचने वाले से सब्जी खरीदने के बाद उसको यूपीआई से पेमेंट कर रहे हैं। इस तरह यूूपीआई ग्लोबल होने की राह पर तेजी से अग्रसर है। भारतीय जैसे-जैसे नए-नए गैजेट्स इस्तेमाल कर रहे हैं उससे उनके जीवन की राह भी सहज हो रही है।