संपादकीय

जब मंत्री जी की चोरी पकड़ी गई

Trideeb Raman

'आसमां नहीं हूं मैं, पर ऊंचाईयों
का इतना अहसास है
घर लौटते परिदों के कतारों में
ही कहीं मेरा भी वास है'
किस्सा कुछ पुराना है, पर संदर्भ नया। दिल्ली से बिल्कुल लगे हुए राज्य से ताल्लुक है इन मंत्री जी का। पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखते हैं, सो राज्य में उस जाति विशेष के संतुलन को साधने के लिए इन्हें केंद्र में मंत्री बना दिया गया, पिछली सरकार में मंत्री बनवाने में इन्हें एक प्रमुख महिला नेत्री का सहयोग मिला था, वह भी उसी राज्य से ताल्लुक रखती थीं। वह महिला नेत्री नहीं रहीं, पर नेताजी 19 की नई सरकार में भी जगह पा गए। मंत्री जी की लेन-देन की प्रवृत्ति की भनक भाजपा के एक बड़े नेता के कान में पड़ती रही और समय-समय पर इनका विभाग भी बदला जाता रहा।
मंत्री जी के निर्वाचन क्षेत्र में पिछले दिनों एक बड़े अस्पताल व मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन भव्यता से हुआ। यह अस्पताल दक्षिण की एक प्रमुख अध्यात्मिक गुरु से जुड़ा है जिनके उक्त बड़े नेता से सीधे रिश्ते बताए जाते हैं और सत्ता के गलियारों में उनका आदर भी बहुत है। अब चूंकि मंत्री जी के निर्वाचन क्षेत्र में इस 2600 बेड के अस्पताल का निर्माण कार्य चल रहा था, सो अस्पताल प्रबंधन के पास मंत्री जी के लोगों की वसूली की कॉल चली गई, अस्पताल प्रबंधन अब तलक इसे क्षेत्र के लोगों के लिए एक परोपकार का कार्य मान रहा था, पर ऐसी मांगों से वे हैरत में पड़ गए।
प्रबंधकों ने आनन-फानन में इस बात की सूचना अपने शीर्ष गुरु तक पहुंचा दी, शीर्ष गुरु ने भी इस मामले का संज्ञान लेते हुए यह पूरा माजरा बड़े नेता को बता दिया। चूंकि इस बड़े नेता के उक्त शीर्ष गुरु से बहुत अच्छे निजी रिश्ते हैं और भाजपा भी दक्षिण में पार्टी का आधार बढ़ाने में जुटी है, सो इस मामले को गंभीर माना गया, मंत्री जी को बुला कर फटकार लगाई गई और अब पार्टी में भी मंत्री जी के विरोधियों को तरजीह दी जाने लगी है, सुना तो यह भी जा रहा है कि 24 में मंत्री जी का टिकट कटना लगभग तय ही है।
ठगे महसूस कर रहे हैं अर्नोल्ड
उत्तरकाशी के सिल्क्यारा निर्माणाधीन टनल में 17 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने में आस्ट्रेलिया मूल के एक अंतर्राष्ट्रीय टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स की एक महती भूमिका रही। सूत्र बताते हैं कि जब भारत सरकार की ओर से इन मजदूरों को बाहर निकालने के लिए इन आस्ट्रेलियाई विशेषज्ञ से संपर्क साधा गया था तब ये स्लोवेनिया में थे और उन्हें वहां से तीन दिन के लिए एक कांफ्रेंस में शामिल होने के लिए मुंबई आना था। सो, अर्नोल्ड अपनी टिकट पर तुरंत- फुरत मुंबई आ गए, जहां से उन्हें सरकार उत्तरकाश​ी ले गई।
लगातार 12 दिनों तक अर्नोल्ड वहीं उत्तरकाशी में जमे रहे और मजदूरों को बाहर निकालने के प्रयासों में जुटे रहे। चूंकि माईंस की देवी मां काली को माना जाता है, सो अर्नोल्ड भी नियम से मां काली की पूजा करते थे और नए उत्साह से लबरेज होकर अपने मिशन में जुट जाते थे। सूत्रों की मानें तो टनल के पास ही स्थित बाबा बौखनाग के मंदिर में वहां के पुजारियों द्वारा अर्नोल्ड ने विधिवत रूप से एक बड़ी पूजा भी करवाई थी। जब 17 दिनों बाद इन मजदूरों को सफलतापूर्वक व सुरक्षित उस सुरंग से बाहर निकाला गया तब तक अर्नोल्ड के स्लोवेनिया वापिस लौटने की टिकट कैंसिल हो चुकी थी, क्योंकि वापसी कब होगी इसका कुछ पता नहीं था। अब इस सफल मिशन के बाद अर्नोल्ड अपने एक मित्र की मदद से नई दिल्ली के अशोक होटल में टिके हुए हैं, उनकी वापसी की टिकट का पैसा कौन देगा इस पर अब भी सस्पेंस बना हुआ है। अर्नोल्ड को उम्मीद है कि इस मामले में कोई बड़ा विभाग हस्तक्षेप करेगा और वह या तो मंत्रालय से या फिर एनडीआरएफ से कहेगा कि उनकी वापसी की टिकट बुक कराई जाए। कम से कम किसी हीरो के साथ तो यह सुलूक नहीं होना चाहिए।
क्या अल्पसंख्यक मंत्रालय पर ताला लगेगा?
जब से केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय से मुख्तार अब्बास नकवी की विदाई हुई है यह मंत्रालय अपनी किस्मत पर रो रहा है। कयास तो यह भी लगाए जा रहे हैं कि 2024 में भाजपा सरकार की वापसी हो सकती है, जिसकी बहुत कुछ संभावनाएं दिख रही हैं, तो फिर इस मंत्रालय पर हमेशा के लिए ताला लटक सकता है। इसकी शुरूआत अभी से हो चुकी है। सूत्रों का दावा है कि नकवी साहब इस सारे मामले का केन्द्र बिन्दु बने हुए हैं, जो कुछ आज हो रहा है उसके जिम्मेवार वह खुद ही हैं। बताते हैं कि मंत्रालय के दो पीएसयू को बंद करने की पूरी तैयारी हो चुकी है, इनमें से एक है 'मौलाना आजाद एकेडमी ऑफ स्कीम्स' दूसरा है 'मौलाना आजाद एजुकेशन फाऊंडेशन'। साथ ही 'सेंट्रल वक्फ काउंसिल' को भी बंद करने की तैयारी है।
जब से इस मंत्रालय से नकवी की विदाई हुई है उनके साथ जुड़े अधिकारीगण जो मंत्रालय की विभिन्न स्कीम देखते थे, वे लगभग खाली बैठे हुए हैं, उन्हें दूसरे कार्यों में नहीं लगाया गया है, कई कर्मचारी जो कांट्रेक्ट पर थे उन्हें बाहर का दरवाजा दिखा दिया गया है। अधिकारियों को विभिन्न मंत्रालयों में एडजस्ट करने पर विचार हो रहा है। सच्चर कमेटी की सिफारिशों के अनुमोदन के लिए 2009 में मुस्लिम छात्रों की मदद के लिए 'मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप' शुरू हुई थी, इसे 2022 में बंद कर दिया गया है। इसके बाद एक और स्कीम पर भी तालाबंदी कर दी गई है। सारी स्कीमें बंद होने के पीछे पूर्व में नकवी साहब के किये हुए काम और उनकी करतूतें ही जिम्मेदार मानी जा रही हैं।
सियासत के महाबली
दिल्ली कांग्रेस के एक पुराने नेता जो राजधानी के पूर्वांचली समाज का प्रतिनिधित्व भी करते आए हैं वे पिछले काफी समय से आप के पाले में हैं। उन्होंने आप के साथ अपनी निष्ठा प्रमाणित करने के लिए दिल्ली के 4 बड़े कांग्रेसी नेताओं को पटाया और उन्हें ज्ञान दिया कि 'अब दिल्ली में कांग्रेस का कोई भविष्य बचा नहीं है, सो उनकी आगे की राजनीति के लिए आम आदमी पार्टी ही सबसे मुफीद दल है।' सो इस महाबली नेताजी ने इन चारों दिग्गज कांग्रेसी नेताओं की गुपचुप मुलाकात आप सुप्रीमो संग करा दी।
आप को भी दिल्ली में लोकसभा चुनाव लड़वाने के लिए कुछ ऐसे बड़े चेहरों की दरकार है जिनका यहां अपना भी कुछ जनाधार हो। आप सुप्रीमो के साथ यह गुप्त मुलाकात अच्छी रही और इन चारों नेताओं को भी आप से टिकट का आश्वासन मिल गया, तय हो गया है कि ये चारों कांग्रेस छोड़ कर आप ज्वॉइन करेंगे। लेकिन इसके बाद केजरीवाल और उनके नजदीकियों पर ईडी व सीबीआई का शिकंजा लगातार कसता रहा। सिसोदिया से लेकर संजय सिंह तक इसकी गिरफ्त में आ गए। नई ​िशक्षा मंत्री आतिशी के इर्द-गिर्द भी जांच एजेंसियों ने जाल बुनने शुरू कर दिए हैं, इसे देखते हुए ये कांग्रेसी दिग्गज हड़क गए हैं और इन चारों ने ही फिलहाल आप ज्वॉइन करने से मना कर दिया।
…और अंत में
मामा शिवराज को पूरी उम्मीद है कि इस बार प्रदेश की महिला मतदाता उनकी डूबती नैया को पार लगाएंगी और ऐसा हुआ तो 5वीं बार सीएम बनने का उनका सपना साकार हो सकता है। मध्य प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में 1 करोड़ 50 लाख महिला वोटरों ने अपने मत का प्रयोग किया था, मौजूदा चुनाव में मताधिकार का इस्तेमाल करने वाली महिला वोटरों की संख्या 1 करोड़ 81 लाख तक पहुंच गई है। शिवराज इसे अपनी 'लाडली बहना योजना' का कमाल बता रहे हैं, पिछले चुनाव में कम से कम 28 ऐसी सीटें थीं जिस पर भाजपा 2 हजार से कम मतों से हारी थी, इस बार थोकभाव में मामा जी ने महिलाओं के व्हाट्सअप ग्रुप बनवा दिए थे, जिन पर उन्हें लगातार सीएम के मैसेज मिल रहे थे, प्रदेश की महिला वोटर भी दोपहर दो बजे के बाद घर से निकलीं व शाम छह बजे तक जमकर मतदान किया।

– त्रिदीब रमण