संपादकीय

जयंत के प्यार में क्यों है भाजपा?

Shera Rajput

'नई नस्ल की यह कुछ
नई सी सियासत है
जब धूप चुभे पैरों में
फिर सूरज की इबादत है'
सियासत अगर सचमुच कोई खेल है तो फिर आप पीएम मोदी को इसका सबसे धुरंधर खिलाड़ी मान सकते हैं। पांच भारत रत्नों के ऐलान के साथ जैसे पांचों दिशाओं में भगवा मुनादी की गूंज ने आकार पा लिया हो। बात करते हैं सिर्फ किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की तो लगता है इससे देश के सबसे बड़े राजनैतिक दल ने रूठे जाटों को मनाने का स्वांग रचा है। चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी का तो पीएम मोदी ने 'दिल ही जीत लिया है' सो उन्हें भी पाला बदलने में किंचित कोई संकोच नहीं हुआ। सपा व अखिलेश के साथ अब तक दोस्ती के कसीदे पढ़ने वाले जयंत ने भी अपना असली रंग दिखा दिया है, जो रंग उन्हें अपने पिता व दादा से विरासत में मिले हैं।
अखिलेश जयंत की राष्ट्रीय लोकदल को गठबंधन धर्म के तहत यूपी में लोकसभा की सात सीटें देने को तैयार थे, मगर अब जयंत भाजपा द्वारा प्रस्तावित बागपत व बिजनौर सीट पर ही मान गए हैं, इसके अलावा उन्हें योगी सरकार में दो मंत्री पद व एक राज्यसभा सीट दिए जाने पर भी सहमति बन गई है। अब सवाल उठता है कि लगातार दो लोकसभा चुनावों में जब जयंत की पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई तो आखिरकार क्यों भाजपा ने बढ़-चढ़ कर जयंत का हाथ थामने की हड़बड़ी दिखाई?
दरअसल, पश्चिमी यूपी की तकरीबन 27 लोकसभा सीटों पर जाट मतदाता एक अहम भूमिका निभाते हैं, यहां उम्मीदवारों की जीत या हार तय करने में जाट वोटरों का दबदबा रहता है। 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव में मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल की 14 सीटों में से भाजपा सिर्फ आधी यानी 7 सीटें ही जीत पाई थी। शेष चार पर बसपा और तीन पर सपा ने जीत दर्ज की थी, इस बार भाजपा का लक्ष्य जयंत के साथ मिल कर इन सभी सीटों को जीतने का है।
राहुल का मन, सोनिया की उलझन
पिछले दिनों गांधी परिवार की करीबी माने जाने वाली एक वरिष्ठ पत्रकार सोनिया गांधी से मिलने उनके घर पहुंचीं और उन्होंने सोनिया से पहला सवाल यही पूछा कि 'ममता बनर्जी का मानना है कि इस दफे के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 40 सीटों पर ही सिमट जाएगी?' तो सोनिया ने संयत लहजे में जवाब देने की कोशिश करते हुए कहा कि 'कौन क्या कहता है इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, पर राहुल का भरोसे से मानना है कि इस दफे हम 130 से 140 सीटें जीतेंगे।' बातों ही बातों में सोनिया ने इस महिला पत्रकार से बताया कि 'कांग्रेस शीर्ष ने पार्टी के कम से कम 60 सीनियर नेताओं से इस दफे चुनाव लड़ने को कहा था, पर इनमें से 90 फीसदी नेताओं ने कोई न कोई बहाना बना कर चुनाव लड़ने से मना कर दिया है।'
राहुल ने जितने यंग लीडर्स मसलन ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद जैसों को तैयार किया था, एक-एक कर ये सभी विरोधी कैंप में चले गए हैं, सोनिया ने आगे कहा कि 'मैंने सुना है कि भाजपा फिर से सचिन पायलट पर डोरे डाल रही है', सो यह आने वाले चुनाव कांग्रेस की दिशा व दशा तय करने में एक निर्णायक भूमिका निभाने वाले हैं।
क्या अगला नंबर तेजस्वी का?
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद से ही ईडी के हौसले बम-बम हैं, पहले एजेंसी को कयास था कि सोरेन की गिरफ्तारी के बाद झारखंड में विरोध प्रदर्शनों के दौर शुरू हो सकते हैं, पर राज्य की राजनीति में ऐसा कोई उबाल आया नहीं, झारखंड की जनता ने भी कमोबेश सिर झुका कर केंद्रीय एजेंसी के इस फैसले को स्वीकार कर लिया।
इसी बात से उत्साहित एजेंसी आने वाले दिनों में लालू पुत्र तेजस्वी यादव पर अपना ​िशकंजा कस सकती है और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज सकती है। वहीं तेजस्वी करीबियों का कहना है कि 'बिहार की तुलना झारखंड से करने की भूल केंद्रीय एजेंसियों को नहीं करनी चाहिए, अगर तेजस्वी गिरफ्तार हुए तो बिहार में बवाल मच जाएगा।' वैसे अभी सबकी निगाहें आने वाली 12 फरवरी पर टिकी हैं जब बिहार में नवगठित जदयू-एनडीए गठबंधन को सदन में अपना बहुमत साबित करना है और तेजस्वी यादव ने पहले से ऐलान कर रखा है कि '12 फरवरी को खेला होगा।'
भाजपा का भज-गोविंदम
देश में मोदी शासन आने के बाद पहली बार ऐसा दिखा है कि भाजपा को अपने विधायकों को किसी सुरक्षित स्थान पर ले जाना पड़ रहा है जिससे इस 12 फरवरी को नीतीश कुमार सफलतापूर्वक सदन में अपना बहुमत साबित कर पाएं। कांग्रेस पहले ही अपने डेढ़ दर्जन विधायकों को हैदराबाद ले गई है, नीतीश कुमार ने अपने जदयू के विधायकों को एकजुट रखने के लिए विधायक दल की बैठक बुला ली है तो भाजपा ने 10-11 फरवरी को बोधगया में अपने विधायकों के लिए एक प्र​िशक्षण शिविर आयोजित किया है, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह वर्चुअल रूप से मौजूद रहेंगे, जहां शाह द्वारा उन्हें प्र​िशक्षित किया जाएगा, फिर उन्हें वहां से 12 फरवरी को सीधे पटना ले जाया जाएगा।
कांग्रेस का सोशल मीडिया पर खर्च
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का दूसरा चरण जारी है, पर इस बार पहली यात्रा की तुलना में सोशल मीडिया पर उनकी यात्रा को लेकर कम हलचल है। सो, माना जाता है कि टीम राहुल ने यात्रा को 'हाईप' देने के लिए कोई एक दर्जन सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर की सेवाएं ली हैं, जिनके फॉलोअर्स लाखों में हैं। सूत्र यह भी बताते हैं कि यात्रा के कुल बजट 150 करोड़ में से अकेले इन्फ्लूंएसर को मैनेज करने में 5 करोड़ रुपयों से ज्यादा की रकम फूंक दी गई है।
वहीं लोकसभा चुनाव में पैसों की तंगी झेल रही कांग्रेस पार्टी को अब अपने लिए ऐसे उम्मीदवारों की तलाश है जो अपने चुनावी खर्च के लिए पार्टी का मुंह न जोहे और अपने पल्ले से पैसे खर्च कर चुनाव लड़ने की काबिलियत रखते हों, साथ ही कुछ पैसे वे पार्टी फंड में भी जमा करा सकते हों।
…और अंत में
कांग्रेस के अंदर बड़े नेताओं के सबसे बड़े झंडाबरदार प्रमोद कृष्णम के पाला बदल कर भाजपा में जाने के चर्चे गर्म है। सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों अपने विशाल कल्कि आश्रम के अनावरण के आमंत्रण के सिलसिले में यह कांग्रेस नेता पीएम मोदी से भी मिले और माना जाता है कि उन्होंने आश्रम के उद्घाटन के लिए पीएम मोदी को आमंत्रित भी किया है। इस कांग्रेस नेता का यह विशालकाय आश्रम यूपी के संभल में बन कर तैयार है, यह वही संभल है जिसे सपा का गढ़ माना जाता है, क्योंकि यहां मुस्लिम वोटरों की एक बड़ी तादाद है। सूत्रों की मानें तो भाजपा संभल की इस लोकसभा सीट से प्रमोद कृष्णम को टिकट दे सकती है, जहां उनके अनुआईयों की एक बड़ी तादाद है।

– त्रिदीब रमण