महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति (भाजपा, शिंदे शिवसेना, अजित पवार एनसीपी) पर टूट का खतरा मंडरा रहा है। भले ही अजित पवार पीएम की ताजा महाराष्ट्र रैली में नज़र आ गए हों, पर उनका गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा। एक तो अजित पवार गठबंधन में अपनी पार्टी को दी जा रही इतनी कम सीटों से बेहद क्षुब्ध हैं। दूसरा उन्हें इस बात का भी गुस्सा है कि उनके लोगों को स्थानीय कॉरपोरेशन में भी यथोचित जगह नहीं दी जा रही, हर जगह सीएम शिंदे अपने लोगों को भर रहे हैं।
जैसे सिडको के चेयरमैन पद के लिए अजित अपनी पार्टी के एक नेता के नाम की पैरवी कर रहे थे, पर शिंदे ने अजित की बातों काे अनसुनी करते अपनी पार्टी के ही एक विधायक संजय शिरसर को इस पद पर बिठा दिया। इसके बाद अजित अपने एक विश्वासपात्र को एससी-एसटी कमीशन का चेयरमैन बनवाना चाहते थे, पर शिंदे ने इस पद भी पर अपनी पार्टी के नेता आनंद अदसुल की भर्ती कर दी। इस बात से अजित पवार इतने नाराज़ होकर बैठक में नहीं पहुंचे, कहते हैं चुनाव आयोग की भी राज्य में नवंबर माह में चुनाव करवाने की पूरी तैयारी है। अब अजित को मनाने की जिम्मेदारी महाराष्ट्र के भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव को सौंपी गई है, क्योंकि अजित देवेंद्र फडणवीस से भी बात करने को राजी नहीं थे। अजित पवार ने भी जिद ठान रखी है कि वे दिल्ली जाकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व (अमित शाह) के समक्ष अपनी बातें रखेंगे।
आतिशी ने कैसे मारी बाजी
पार्टी के एक से एक धुरंधरों को चित्त करते हुए अपेक्षाकृत राजनीति में नई आतिशी सिंह ने सीएम पद की रेस में कैसे बाजी मार ली, यह बात भी अब कोई पहेली नहीं रह गई है। दरअसल पार्टी कैडर के गिरते-फिसलते मनोबल को केजरीवाल को एक बड़ा संदेश देना था कि 'मुख्यमंत्री के तौर पर आतिशी का चयन मैरिट के आधार पर लोकतांत्रिक तरीके से हुआ है।' बीते वर्ष मार्च में पहली दफे कैबिनेट मंत्री बनीं आतिशी केजरीवाल सरकार में वित्त, िशक्षा, ऊर्जा, पर्यटक जैसे अहम कोई 14 विभाग संभाल रही थीं। खास कर बतौर िशक्षा मंत्री उनके 'परफॉरमेंस' ने केजरीवाल व सिसोदिया दोनों को मंत्रमुग्ध कर दिया, ये दोनों ही नेता आतिशी के 'डिलिवरी' के कायल हो गए। तभी तो सीएम की रेस में जहां गोपाल राय, रामनिवास गोयल, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज, यहां तक कि सुनीता केजरीवाल का नाम चल रहा था, पर बाजी आतिशी ने मार ली। क्योंकि सुनीता केजरीवाल ने अपने नाम के लिए खुद ही मना कर दिया।
अब पार्टी सुनीता केजरीवाल को 'स्टार कैंपेनर' बनाकर हरियाणा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा घुमाना चाहती है ताकि वह पब्लिक रैलियों की अभ्यस्त हो सकें। वैसे भी केजरीवाल पर भाजपा सबसे बड़ा आरोप उनके आलीशान सीएम आवास को लेकर लगाती रही है और भाजपा ने सीएम हाउस को केजरीवाल का 'शीश महल' कह कर खूब प्रचारित भी किया। सो, केजरीवाल येन-केन-प्रकारेण किसी तरह अपने इस घर से बाहर निकलना चाहते थे, अपनी पत्नी के सीएम चुने जाने की सूरत में उन्हें इस कथित शीश महल में ही रहना पड़ जाता जो उन्हें गवारा नहीं था, अब वे जनता के बीच रह कर, उनके पास जाकर अपने को उनमें से एक साबित करना चाहेंगे और फिर वही पुराना 'नैरेटिव' दुहराना चाहेंगे कि उन्हें घर, गाड़ी या किसी पद का कोई लोभ नहीं, वे तो जनता की सेवा के लिए ही राजनीति में आए हैं। सो, केजरीवाल के लिए एक नए सरकारी घर की तलाश जारी है, जिसका लुक भी आम सरकारी घर की तरह होगा।
सूत्र बताते हैं कि दिल्ली गेट के पास एक घर को फाइनल कर दिया गया है, जिसमें अभी एक आयोग की मुखिया रहती हैं। आतिशी को सीएम बनवा केजरीवाल ने स्वाति मालीवाल मामले से खराब हुई अपनी छवि को भी संवारने की कोशिश की है। साथ ही दिल्ली की जनता को यह बताने का जतन भी किया है कि भाजपा केवल महिला आरक्षण का खटराग अलापती है, उनकी पार्टी ने तो एक महिला के हाथों दिल्ली की बागडोर सौंप दी है।
अब यूट्यूब चैनलों में भी पैसा लगा रहे हैं ये शीर्ष उद्योगपति
सहारा प्रमुख सुब्रत राय अब इस दुनिया में नहीं हैं, पर एक दफे उन्होंने अपनी सफलता के मूल मंत्र का खुलासा करते हुए कहा था-'दुनिया में कोई भी ऐसी चीज नहीं है जो बिकाऊ न हो, बस आपको उसकी सही कीमत लगानी आनी चाहिए।' देश के इस शीर्ष उद्योगपति का अभ्युदय भी एक धूमकेतु के मानिंद ही हुआ था। पर हालिया दिनों में विवादों से उनका चोली-दामन का साथ रहा, वे जानते थे कि भले ही हिंडनबर्ग की हालिया रिपोर्ट में सेबी प्रमुख माधवी बुच का नाम आया हो, पर निशाना तो उन्हीं पर साधने की कोशिश हुई है।
उन्होंने पहले ही एक प्रमुख न्यूज़ चैनल को खरीद लिया था, पर सोशल व डिजिटल मीडिया के इस दौर में अंदर की खबरों की आमद पर बांध बांधना कोई आसान काम नहीं। सो, जो भी यूट्यूर्ब्स जिनके सब्सक्राबर्स मिलियन में हैं और जो उनके घराने पर निशाना साधने के अभ्यस्त हो चुके हैं, वे अब उनके समक्ष दोस्ती का हाथ बढ़ाने लगे हैं। चैनल चाहे पड़ोस के शर्मा जी के लड़के का ही क्यों न हो, जो पहले अखिलेश यादव का गुणगान कर रहे थे, आज पूजा-अर्चना के बाद उनका यह चैनल भी अदानी साहब का मुरीद हो गया है। अब तो यह चैनल भी स्विस बैंक में 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर के इनसाइड ट्रेडिंग को लेकर पूरा प्रोग्राम छाप रहा है, ये कहते हुए कि 'अदानी तो बहाना है, भारत पर निशाना है।' यानी देश के इस शीर्ष उद्योगपति की इमेज बचाने के लिए और उन्हें क्लीन चिट देने के लिए यूट्यूर्ब्स बंधुओं में होड़ मची है कि किसका मक्खन सबसे ताजा है।
हसीना कहां हैं?
बंगलादेश के पीएम पद से इस्तीफा देकर शेख हसीना कोई डेढ़ महीने पहले एक विशेष विमान से इंडिया पहुंची तो भारत सरकार ने एक रणनीतिक चूक करते हुए इस मामले को भारतीय मीडिया द्वारा महिमा मंडित करने की छूट दे डाली, खूब छपा, दिखाया भी गया कि वे वायुसेना के हिंडन बेस वाले गेस्ट हाउस में ठहर कर अपने लिए साड़ियों की शापिंग कर रही हैं। पर जब इल्म हुआ तो शेख हसीना से जुड़ी खबरों पर एक तरह से पूरी अघोषित रोक लगा दी गई।
वैसे भी जब शेख हसीना बंगलादेश से बच कर भारत आई तो इस ख्याल के साथ आई थीं कि उन्हें लंदन, अमेरिका, सउदी अरब या फिर किसी यूरोपीय देश में आनन-फानन में राजनीतिक शरण मिल जाएगी, पर बताते हैं कि हसीना अपनी बेटी के साथ सेंट्रल दिल्ली के एक बेहद पॉश कॉलोनी में रह रही हैं और उन्हें नियमित रूप से अपनी पुत्री साइमा वाजिद के साथ दिल्ली के लोदी गार्डन में वॉक करते देखा जा सकता है। साइमा 'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन' के लिए दिल्ली में स्टेशन पर रह कर काम करती रही हैं, इस नाते भी दिल्ली उनके लिए काफी जानी-पहचानी है।
…और अंत में
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चुपचाप हाईकमान के आदेशों को शिरोधार्य करने के लिए जानी जाती हैं। चूंकि भाजपा को भी दक्षिण के राज्यों में अपना जनाधार बढ़ाना है सो वह सीतारमण पर बतौर मंत्री ज्यादा भरोसा जता रही है। अब सुनने में आया है कि निर्मला सीतारमण की पुत्री भी सक्रिय राजनीति में आने की बेहद इच्छुक हैं, सनद रहे कि निर्मला के दामाद भी भाजपा शीर्ष को भी निर्मला की बेटी की प्रतिभा का इल्म है, सो किसी को हैरत नहीं होनी चाहिए जब आने वाले दिनों में वित्त मंत्री की लाडली भी सक्रिय राजनीति में आने का ऐलान कर दें।
– त्रिदिब रमण