संपादकीय

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

Kiran Chopra

आज की नारी बहुत सशक्त हो चुुकी है और उसकी ताकत को देखकर हम सभी को गर्व महसूस होता है। आप सभी ने गणतंत्र दिवस समारोह की परेड तो देखी होगी। इस बार इस परेड में भी नारी शक्ति ने अपना दम दिखाया। परेड में तीनों सेनाओं और अन्य सुरक्षा बलों की सभी टुकड़ियों का नेतृत्व महिलाओं ने किया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की झांकी का नेतृत्व वैज्ञानिक सुनीता जैन ने किया।
परेड में सेना के इंजीनियरिंग कोर बोम्बे सैपर्स के दल में भी पुरुष थे लेकिन उनका नेतृत्व दिव्या त्यागी कर रही थीं। परेड में महिला जवानों ने मोटरसाइकिलों पर एेसे जांबाज करतब दिखाए कि देखने वाले दांतों तले ऊंगली दबाने को मजबूर हो गए। भारतीय सेना में और अन्य बलों में यह ​सिर्फ महिलाओं की भागीदारी का मामला नहीं है, बल्कि इससे पता चलता है कि समाज अपने बंधन ताेड़कर कितना आगे बढ़ चुका है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने भारत से बाहर रहकर आजाद हिन्द फौज का गठन किया था तब उन्होंने रानी झांसी ब्रिगेड बनाई थी जिसमें सिर्फ महिलाएं ही थीं। आजादी के बाद अब जाकर भारतीय सेना में महिलाओं को शामिल किया जाना शुरू किया गया है। अब तो महिलाएं लड़ाकू की भूमिका भी निभा रही हैं। खास बात यह है कि सिर्फ सलामी देने वाली महिलाएं ही नहीं थीं, ​​बल्कि सलामी लेने वाली एक महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्म थीं। आज राजनीति में, औद्योगिक जगत में, शिक्षा क्षेत्र में, फिल्म, खेलों एवं अन्य क्षेत्रों में महिलाओं का बोलबाला है। पुरानी सोच काफी हद तक खत्म हो चुकी है लेकिन अभी भी पूरी तरह नहीं हुई जिसे खत्म करना भी जरूरी है। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं भी अब आगे आ रही हैं लेकिन उनके लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना जरूरी है। नारी सशक्त होगी तो परिवार सक्षम होगा, फिर समाज और भारत सशक्त होगा।
मोदी सरकार के बजट में जिस तरह से नारी को सशक्त बनाने का ऐलान किया गया है उससे लगता है कि मेरी इस अवधारणा को बल मिला है कि नारी कभी अबला नहीं रही। जिस महिला निर्मला सीतारमण ने छठी बार केंद्र सरकार का बजट प्रस्तुत किया वह यह उम्मीद जगाता है कि महिलाएं तेजी से सशक्तिकरण की ओर बढ़ रही हैं क्योंकि मोदी सरकार का काम अपने हर ऐलान को जमीन पर उतारना है। दो दिन पहले जो बजट आया उसमें लखपति दीदी योजना की जितनी तारीफ की जाये वह कम है। पहले बजट में मोदी सरकार ने लखपति दीदी योजना के तहत कहा था कि एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाया जायेगा। उससे अगले बजट में यह लक्ष्य दो करोड़ कर दिया गया और अब दो दिन पहले प्रस्तुत बजट में तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का टारगेट किया गया है। मैंने इसे अच्छी तरह से पढ़ा और समझा है और मेरा मानना है कि यही महिला सशक्तिकरण और उनकी आत्मनिर्भरता की एक बहुत बड़ी कोशिश है।
इसी कड़ी में आयुष्मान भारत के तहत स्वास्थ्य देखभाल के दायरे में महिलाओं को विशेष रूप से लड़कियों को नौ से चौदह साल की उम्र तक सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए टीकाकरण कार्यक्रम आरंभ करने का ऐलान किया गया है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। इस कड़ी में मातृ-शिशु देखभाल कार्यक्रम को भी शामिल किया गया है इससे आंगनबाड़ी और पोषण कार्यक्रम मजबूत होगा। सर्वाइकल कैंसर बच्चियों और गर्भ धारण करने वाली महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा है और एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में प्रतिदिन 211 से 240 महिलाएं और लड़कियां इसका शिकार हो रही है लेकिन उनके टीकाकरण की योजना एक अच्छा प्रयास है और यह दर्शाता है कि सरकार बेटियों के अच्छे स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दे रही है। क्योंकि मैं कमजोर वर्ग और निर्धनों को कारोबार चलाने के लिए चौपाल संस्था द्वारा ऋण दिये जाने के मिशन से जुड़ी हूं तो इसी तरह यह लखपति दीदी योजना है। इस योजना के तहत महिलाओं को अर्थात दीदीयों को पांच लाख तक का लोन बिना ब्याज के दिया जायेगा और इस दौरान उन्हें अपना कारोबार सैट होने के लिए एक निश्चित अवधि के तहत पैसा लौटाना होगा। यह एक सच्चा महिला सशक्तिकरण है। सबसे बड़ी बात है कि मोदी सरकार ने अब बजट में इसका प्रावधान रख लिया है। महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने के लिए सरकार ने जिस तरह से अब लखपति दीदी योजना का टारगेट तीन करोड़ किया है तो हम कह सकते हैं कि सामाजिक, आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को अब सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की सही राह मिल गयी है।
किसी भी योजना के कई पहलू होते हैं यद्यपि सरकार ने महिलाओं के उत्थान के लिए अच्छे प्रावधान रखे हैं परंतु यह शत-प्रतिशत जमीन पर उतरना चाहिए और निश्चित अवधि तय करनी चाहिए व उसके नियमों के बारे में भी जागरूक अभियान चलाये जाने चाहिए ताकि महिलाएं शक्तिकरण की राह में खुद आगे बढ़े, जब वे आगे आयेंगी तो सरकार के एक रोड मैप का भी सही मूल्यांकन होगा। शुरूआत अच्छी है और उम्मीद की जानी चाहिए कि यह योजना अपने लक्ष्य को प्राप्त करें। आमतौर पर घोषणाएं करना और निभाना दो अलग-अलग बातें हैं लेकिन मुझे विश्वास है कि लोग भी मोदी सरकार पर विश्वास रखते हैं और समय के साथ-साथ सरकार ने जिन उद्देश्यों से इन योजनाओं का ऐलान किया है यह अपनी मंजिल जरूर पा लेंगी।