संपादकीय

शह-मात के खेल में भारी पड़े योगी

Shera Rajput

ऐसा लगता है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल के लोकसभा चुनावों में यूपी में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए उनके और भाजपा आलाकमान के बीच आरोप-प्रत्यारोप के खेल में इस बार जीत हासिल कर ली है। आरएसएस के मजबूत समर्थन की बदौलत वे सीएम बने रहेंगे, जिसने पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के लिए उन्हें बलि का बकरा बनाने के प्रयासों को अस्वीकार कर दिया। योगी की जीत इस बात से स्पष्ट है कि उनके सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी और आलोचक डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं और अब वे उनकी तारीफ कर रहे हैं। दो हफ्ते पहले मौर्य ने भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राजनीतिक हलकों को चौंका दिया था, जिसमें उन्होंने योगी को देश का 'सर्वश्रेष्ठ सीएम' बताया था। इसके कुछ दिन बाद फिर केशव प्रसाद मौर्य ने योगी की और तारीफ की।
उन्होंने कहा कि सीएम राम भक्ति और राष्ट्र भक्ति से समझौता न करके अपने दिवंगत पूर्ववर्ती कल्याण सिंह के नक्शे कदम पर चल रहे हैं। केशव प्रसाद मौर्य के अचानक बदले सुरों ने सबको चौंका दिया क्योंकि उन्होंने अगस्त के मध्य तक योगी पर कटाक्ष करने के लिए हर संभव अवसर का इस्तेमाल किया। भाजपा के लोगों का मानना ​​है कि मौर्य हाईकमान की ओर से लड़ाई लड़ रहे हैं, जिनकी यूपी सीएम के साथ समस्याएं अब कोई रहस्य नहीं हैं। आरएसएस को भाजपा की यूपी इकाई में अनुशासन बहाल करने और उसे नियंत्रित करने में करीब तीन महीने लग गए। माना जा रहा है कि पार्टी में अंदरूनी कलह के कारण ही दस लंबित विधानसभा उपचुनावों की तारीखों की घोषणा अभी तक नहीं की गई है।
वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर पीछे हट सकती है सरकार
भाजपा को वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर अल्पसंख्यक मोर्चा से कड़े सवालों का सामना करना पड़ रहा है, जिसका उद्देश्य देशभर में वक्फ संपत्तियों पर अधिक सरकारी नियंत्रण लाना है। माना जा रहा है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू के साथ हाल ही में हुई बैठक में मोर्चा के सदस्यों ने इस बात पर चिंता जताई कि अगर सरकार वक्फ विधेयक पर आगे बढ़ती है तो मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को शामिल करने में दिक्कतें आएंगी। उन्होंने बताया कि जब पार्टी सदस्यता अभियान को फिर से शुरू करेगी तो वक्फ संपत्तियों के बारे में भाजपा की मंशा पर मुस्लिम अपनी चिंता जाहिर करेंगे।
मोर्चा के सदस्य इस बात से खास तौर पर चिंतित हैं कि सरकार द्वारा विधेयक पेश करने से पहले उनसे सलाह नहीं ली गई। उन्हें लगा कि मुसलमान सरकार के सामने अपनी शंकाओं और चिंताओं को व्यक्त न करने के लिए उनकी आलोचना करेंगे। विपक्ष की ओर से जोरदार आपत्तियों और सहयोगी दलों टीडीपी और जेडी (यू) की शांत सलाह के बाद विधेयक को संसदीय समिति के पास भेजा गया है।
शिवराज लेकर आएंगे 'किसान के मन' की बात
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के आगामी रेडियो टॉक शो को लेकर भाजपा में चर्चा है। इसे मोदी के 'मन की बात' की तरह इसे 'किसान की बात' कहा जा रहा है। चौहान के समर्थकों का दावा है कि मोदी के रेडियो टॉक शो की लोकप्रियता से प्रेरित होकर शिवराज इस शो को लेकर आये हैं और वह देशभर के किसानों तक इसी तरह की पहुंच बनाकर उनके नक्शेकदम पर चलना चाहते हैं। हालांकि चौहान 2023 में पार्टी की लगातार चौथी जीत के बाद मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने से संतुष्ट थे, लेकिन हाईकमान ने अलग तरह से सोचा और मोहन यादव को नए मुख्यमंत्री बन कर उभरे।
चौहान को केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में शामिल किया गया। चौहान लंबे समय से आरएसएस के पसंदीदा रहे हैं और इसलिए उन्होंने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जगह मिल पाई। अब, वह एक मासिक टॉक शो के साथ अपने आप को राष्ट्रीय प्रोफ़ाइल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा में भी घुसा विद्रोह का वायरस
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों की पूर्व संध्या पर भाजपा अपनी राज्य इकाइयों में विद्रोह की एक असामान्य समस्या का सामना कर रही है। हरियाणा में दो मंत्रियों के इस्तीफे के बाद जहां एक ओर राज्य में उथल-पुथल ने सुर्खियां बटोरीं, वहीं दूसरी ओर पार्टी की कश्मीर इकाई में भी विद्रोह की स्थिति बनी हुई है। चन्नपोरा विधानसभा क्षेत्र के अध्यक्ष अल्ताफ अहमद पंडित ने अपनी टीम के 40 सदस्यों के साथ इस्तीफा दे दिया है।
उन्होंने यह कठोर कदम तब उठाया जब भाजपा ने उनके स्थान पर कांग्रेस से आए एक व्यक्ति को इस क्षेत्र से उम्मीदवार बनाने का फैसला किया, हालांकि वह छह साल से अधिक समय से पार्टी से जुड़े हुए हैं। उम्मीदवार हिलाल अहमद वानी कुछ महीने पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। भाजपा भले ही घाटी में कोई बड़ी पार्टी न हो, लेकिन पार्टी में विद्रोह का वायरस तेजी से फैल रहा है।

– आर.आर. जैरथ