प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी लोकप्रियता दिन प्रतिदिन निरंतर बढ़ती जा रही है। क्या नेता क्या अभिनेता सभी तरफ इनके फैन है। इस वर्ष जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत में हुआ। वही बीते दिनों संपन्न हुए विधानसभा चुनावो में पांच में से तीन राज्यों में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली। पार्टी ने इस जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व को दिया। दो राज्यों में से बीजेपी ने सत्ता रूढ़ दल को सरकार से बाहर किया वही मध्यप्रदेश में पार्टी दोबारा शासन में आई। 2024 में होनेवाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को मिली यह प्रचंड जीत काफी अहम है। हाल में मॉर्निंग कंसल्ट की अप्रूवल रेटिंग में नरेंद्र मोदी अव्वल रहे। वे दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता हैं।
कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष राहुल गांधी ने इस वर्ष की शुरुआत भारत यात्रा संपन्न कर की। । सितंबर 2022 में शुरू हुई यह यात्रा श्रीनगर में समाप्त हुई। राहुल ने इस यात्रा के बारे में संसद में बताया और इससे जुड़े अनुभव को साझा किया। वही वो लगातार केंद्र सरकार पर लगातार हमला भी करते नज़र आए। इस बीच उन्हें संसद की सदस्यता भी गंवानी पड़ी और फिर बाद में अदालत से उन्हें राहत भी मिली। साल के अंत में संपन्न विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्होंने गौतम अडानी और पीएम मोदी का नाम करीब हरेक मंच पर लिया। साल के अंत में हुए चुनाव में इनकी पार्टी को एक राज्य में सफलता हासिल हुई।
बिहार की राजनीति में नीतीश का नाम कुमार बड़े राजनीति के पहलवानो में आता है। 2005 से बाद से बिहार की सत्ता पर लगातार बने हुए। कभी एनडीए तो कभी इंडिया महागठबंधन जिससे उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता पर भी असर पड़ा है। हालंकि 2024 चुनाव के लिए महागठबंधन बनाने की कवायद नितीश ने 2022 में ही प्रारंभ कर दी थी। जब वह एनडीए से अलग हुए थे। फ़िलहाल उन्हें एनडीए का संयोजक पद अभी तक नहीं मिल पाया। नीतीश कुमार ने बिहार में जातीय जनगणना कराया और इसपर देश की राजनीति केंद्रित करने का प्रयास भी कर रहे हैं। लेकिन बिहार विधानसभा में जिस तरह से जनसंख्या नियंत्रण पर उन्होंने बयान दिया उससे काफी बवाल मचा और बाद में उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी। इसके बाद दूसरे ही दिन सदन में वे जीतन राम मांझी पर बिफर पड़े और तू-तड़ाक कर दिया।
बात अगर राजनीति की हो और उत्तर प्रदेश का जिक्र ना हो तो बात पूरी नहीं हो सकती। इस साल भी बुलडोजर जमकर चला और चर्चा का विषय बना रहा। फरवरी 2023 में प्रयागराज में हुए उमेश पाल मर्डर केस के बाद विधानसभा में जो उन्होंने बयान दिया था, उसकी गूंज अभी तक कायम है। उमेश पाल हत्याकांड में माफिया अतीक अहमद का नाम सामने आया। विधानसभा में हंगामे के दौरान योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि इस माफिया को मिट्टी में मिलाने का काम उनकी सरकार करेगी। धीरे-धीरे अतीक और उसके गुर्गों पर योगी सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया। उमेश पाल हत्याकांड में शामिल अतीक का बेटा पुलिस एनकाउंटर में मारा गया।
महाराष्ट्र की राजनीति में 2018 से उथल – पुथल जारी रहा 2023 में फिर एक बार वहा की राजनीति में फिर तूफान शुरू हुआ। कभी पार्टी के नेताओं ने बगावत कर सरकार बना ली तो वही चाचा – भतीजे की कलह भी चर्चा का विषय बना रहा।
एनसीपी के नेता अजीत पवार ने अपने राजनीतिक गुरु और चाचा से बगावत कर एनडीए का दामन थाम लिया और महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम बन गए। इसके साथ एनसीपी पार्टी पर भी दावा ठोक दिया 2019 में भी अजीत पवार ने बगावत कर बीजेपी से हाथ मिला लिया था।
टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा इस साल खूब सुर्खियों में रहीं। पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में लोकसभा की एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर उनकी संसद की सदस्यता रद्द कर दी गई है। हालांकि इस दौरान संसद में खूब हंगामा हुआ। दरअसल महुआ पर आरोप है कि उन्होंने दर्शन हीरानंदानी नाम के कारोबारी से रिश्वत लेकर अडानी ग्रुप और पीएम मोदी को निशाना बनाने वाले सवाल पूछे।
मध्य प्रदेश की राजनीति में इस वर्ष बीजेपी की नई युग की राजनीति शुरू हुई। सभी के कयासों पर विराम लगाते हुए। इस राज्य में मुख्यमंत्री पद से शिवराजसिंह चौहान को आराम दे दिया गया। वे जनता के बीच मामा के नाम से लोकप्रिय हैं। उनकी सरकार चलाई गई लाडली लक्ष्मी योजना काफी लोकप्रिय रही। विधानसभा चुनावों में बंपर जीत के बाद पार्टी ने नए शख्स के हाथों में राज्य का नेतृत्व सौंपने का फैसला लिया और शिवराज को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा है।
मोहन यादव का नाम चौकाने वाले था पार्टी के इस फैसले ने सभी के कयासों को ध्वस्त कर दिया। मोहन यादव शिवराज सरकार में मंत्री में रहे है। विधानसभा चुनावों में पार्टी की प्रचंड जीत के बाद विधायक दल की मीटिंग में मोहन यादव को नेता चुन लिया गया। शिवराज की जगह अब उन्होंने मुख्यमंत्री का पद संभाल लिया है।
राजस्थान में मुख्यमंत्री पद का चेहरा सबसे अंतिम में लिया गया हालंकि यहाँ सभी ये उम्मीद लगा चुके थे। अब यहा भी नया नाम ही आना था। जयपुर में विधायक दल की मीटिंग के बाद भजनलाल शर्मा रातों रात सुर्खियों में आ गए। उस मीटिंग में उन्हें विधायक दल का नेता चुन लिया गया। वे पहली बार विधानसभा के लिए चुनकर आए हैं। तमाम दिग्गज नेताओं के मौजूदगी के बीच पार्टी ने उन्हें सीएम के लिए चुना। उन्होंने अपने जन्मदिन के दिन 15 दिसंबर को उन्होंने सीएम पद की शपथ ली।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने विष्णुदेव साय को सीएम बनाया। विधायक दल की मीटिंग में उन्हें नेता चुना गया। ये नाम हालंकि राष्ट्रीय राजनीति में नया है। इनका केंद्र से लेकर राज्य तक सभी प्रकार की राजनीति खासा लंबा अनुभव था।