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ठंड से बचाने वाली अंगीठी इस जहरीली गैस के कारण उजाड़ देती है लोगों की जिंदगी

Ritika Jangid

इस समय दिल्‍ली, नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम, पंजाब, हरियाणा, उत्‍तर प्रदेश और सभी पहाड़ी इलाकों समेत पूरे उत्‍तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। ऐसे में लोग ठंड से बचने के लिए कई उपाय निकालते हैं। लोग हीटर, ब्‍लोअर, अंगीठी जैसी चीज़ें जलाकर घर के अंदर गर्माहट करने की कोशिश करते हैं। हालांकि छोटी सी लापरवाही लोगों की मौत का कारण भी बन जाती है।

ऐसे कई मामले देशभर से सामने आये है जहां लोगों ने ठंड से बचने के लिए हीटर, ब्‍लोअर, अंगीठी जलाई जिसके बाद उस परिवार के सदस्य बेहोश मिले या फिर मृत अवस्था में मिले। हाल ही में उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में एक परिवार के 5 बच्चों की मौत हो गई, वो अंगीठी जलाकर सो रहे थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि उन्होंने घर के अंदर कोयले की अंगीठी जलाई थी। पुलिस ने आशंका जताई कि इसी के चलते ये हादसा हुआ है। पुलिस ने आगे बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि अंगीठी के चलते कमरे में ऑक्सीजन की कमी हो गई, जिसके चलते बच्चों की मौत हो गई।

जबकि द्वारका से भी ऐसा केस सामने आया था जहां गर्माहट के कारण घर में जलाई गई अंगीठी से दंपत्ति की मौत हो गई जिसमें उनका 2 महीने का बच्चा बच गया। पुलिस ने बताया कि अंगीठी बंद कमरे में जलाई गई थी। इसमें वेंटिलेशन की कोई व्‍यवस्‍था नहीं थी। जलती अंगीठी के कारण दंपति का दम घुट गया। फॉरेंसिक टीम के मुताबिक, धुएं के कारण कमरे में रंगहीन और गंधहीन गैस कार्बन मोनोऑक्साइड घातक स्‍तर तक जमा हो गई थी।

अंगीठी जलाने से होता है ये नुकसान

ठंड के मौसम में अंगीठी, हीटर या ब्‍लोअर जलाने से ठंड से राहत मिल जाती है लेकिन थोड़ी सी लापरवाही जान भी ले लेती है। बता दें कि कोयले या लकड़ी की अंगीठी जलाने का इस्तेमाल होता है। इससे जहरीली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस निकलती है।

दरअसल, अगर तेल, कोयला या लकड़ी पूरी तरह से ना जले और धुआं बनने लगे तो कार्बन मोनोऑक्साइड गैस बनती है। यह गैस कमरे में ऑक्‍सीजन की कमी, सांस लेने में दिक्‍कत, सांस की बीमारियां, त्‍वचा से जुड़ी बीमारियां और सिर दर्द की समस्‍या का कारण बनती है। इसके अलावा आपकी आंखों को भी नुकसान हो सकता है।

बता दें, आंखों के स्वस्थ रहने के लिए उनका गीला रहना बहुत जरूरी होता है, लेकिन अंगीठी की वजह से हवा में मौजूद नमी सूख जाती है, जिसकी वजह से आंखें भी सूखने लगती हैं। ऐसे में आंखों में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। वहीं बच्‍चों और पालतू जानवरों के सीधे संपर्क में आने पर जलने का खतरा भी बना रहता है। अगर कमरे में वेंटिलेशन की सही व्‍यवस्‍था नहीं है तो अंगीठी ही नहीं हीटर और ब्‍लोअर भी घातक साबित हो सकते हैं।

अंगीठी से होता है एस्फिंक्सिया

बता दें, अंगीठी जलाने या हीटर, ब्‍लोअर चलाने पर वेंटिलेशन की सही व्‍यवस्‍था ना होने पर कमरे में ऑक्‍सीजन कम होने लगती है। ऐसे में वहां मौजूद लोगों के शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई धीरे-धीरे कम होने लगती है। ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने के बाद व्यक्ति को एस्फिंक्सिया होता है। एस्फिंक्सिया दिल, दिमाग और दूसरे हिस्सों में ऑक्सीजन की सप्लाई घटा देता है।

जब दिल को खून की आपूर्ति कम होने लगती है तो दूसरे टिशू सही मात्रा में ब्लड पंप करने में अयोग्य होने लगते हैं। इससे दिल का गंभीर दौरा पड़ता है। सामान्‍य तौर पर ऐसे व्‍यक्ति को तुरंत इलाज मिलना चाहिए, लेकिन बंद कमरे में बेहोश पड़े या दिल के दौरे के शिकार व्‍यक्ति को इलाज मिलना संभव नहीं हो पाता और इस कारण शख्स की मौत हो जाती है।

दम घुटने पर करें ये काम

कई बार लोग दम घुटने का अहसास होने पर घबरा जाते हैं। घबराहट में सांसें और धड़कन तेज हो जाती है। ऐसे में सांस लेना मुश्किल हो जाता है और बेहोशी छाने लगती है। अगर ऐसा हो तो उस जगह से फौरन खुली जगह चले जाना चाहिए। घबराहट में रेस्पिरेटरी और हार्ट रेट तेजी से बढ़ जाती है। सांस लेना मुश्किल हो जाता है, इससे बेहोशी की स्थिति हो जाती है। ये सिचुएशन रिस्की है। ऐसे में उस जगह से निकलकर खुली हवा में चले जाना चाहिए।

ज्यादा प्रॉब्लम हो रही है तो डॉक्टर से तुंरत मिलें। वहीं, अस्‍थमा, ब्रोंकाइटिस, साइनस, स्किन एलर्जी की समस्‍या वाले लोगों के साथ ही बुजुर्ग और बच्‍चों को अंगीठी से दूर ही रहना चाहिए।