'पर्यावरण के रक्षक बनिए, भक्षक नहीं' इस सोच के साथ एक अध्यापक पद से रिटायर पर्यावरण प्रेमी ने शहर छोड़ गांव में आकर बसने का फैसला लिया। कहा जाए तो हरियाली की चादर ओढ़े क्षेत्र में जीवनयापन करने की इच्छा उन्हें गांव तक खिंची ले आईं। आखिर वह गांव वापस तो आए लेकिन एक संकल्प भी लिया कि वह अन्य लोगों को पर्यावरण के प्रति शिक्षित करेंगे। आइए जानते है नथमल पालीवाल के बारे में, जो पहले विद्यार्थियों को शिक्षित करते थे और अब गांव वासियों को शिक्षित करते हैं।
नथमल पालीवाल दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में अध्यापक थे, जहां वह इतिहास पढ़ाते थे। 30 जनवरी 2021 को वह स्कूल से रिटायर हो गए, जिसके बाद उन्होंने अपना घर छोड़ गांव में बसने का फैसला लिया। इसके साथ ही संकल्प लिया कि वह गांव वासियों को भी पर्यावरण को लेकर शिक्षित करेंगे। नथमल का कहना है कि "वह जमीन से जुड़े आदमी है वह हमेशा से ही गांव में बसना चाहते थे। शहर में बच्चों की पढ़ाई थी जिस वजह से वह दिल्ली में नौकरी कर रहे थे लेकिन रिटायरमेंट के बाद उन्होंने गांव में बसने का फैसला लिया"।
नथमल का कहना है कि "वह शिक्षा से जुड़े हुए आदमी हैं, इसलिए जब वह शहर से गांव में आए उन्होंने पालिवाल वाटिका की शुरुआत की। ताकि वह लोगों को पर्यावरण के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूक कर सके"। उन्होंने बताया कि "जब पालीवाल वाटिका में पेड़-पौधे लगाए तो उनकी ग्रोथ काफी अच्छी हुई। इनकी ग्रोथ देखकर लोग काफी प्रभावित हुए और लोगों ने भी पेड़ लगाने शुरु कर दिए"।
आगे नथमल बताते है कि "वह लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना चाहते है, ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए और पर्यावरण की रक्षा करें"। उनका उद्देश्य आज कामयाब भी हो रहा है क्योंकि लोग उनके पास आकर ये कहते है कि जब आप नए पेड़ लेकर आए तो हमें भी बताना ताकि हम भी उन्हें अपने खेत में लगा पाए।यहां तक की नथमल और उनके परिवार ने पालीवाल वाटिका के नाम से यूटू्यूब पर भी चैनल बनाया है, जहां वह खेती से जुड़ी वीडियो बनाते हैं।
नथमल पालीवाल अपने खेत में ऑर्गेनिक खेती करते हैं, आर्गेनिक खेती के लिए वह गोबर के खाद, सूखे पेड़-पौधों की पत्तियों को सड़ा-गला कर इस्तेमाल में लाते हैं। वहीं कीटनाशक के लिए वह नीम के तेल जैसी चीज़ों का यूज करते हैं। क्योंकि रासायनिक खेती से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, जिसके वह खिलाफ हैं।
नथमल रासायनिक खाद को इस्तेमाल नहीं करने की सलाह देते हुए कहते है कि "ऑर्गेनिक खेती मानवों के लिए लाभदायक हैं। क्योंकि रासायनिक खाद का इस्तेमाल करने से लोगों के शरीर में जहर जा रहा है और हमारा इम्यून सिस्टम की भी कमजोर हो रहा है"।वह कहते है "ऑर्गेनिक खेती से शुरुआत में उत्पाद कम होता है लेकिन ये स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है। क्योंकि रासायनिक खाद के इस्तेमाल से हम ना ही सिर्फ खुद के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करेंगे बल्कि इससे जमीन भी जहरीली हो जाती है"।
नथमल अपने खेत में अनार, पपीता, आम, बेर, नींबू, आंवला जैसे फलों की खेती करते हैं। बता दें, जब उन्होंने वाटिका में खेती करना शुरु किया तो कई प्रकार के पौधे लगाए जिससे वह उनकी स्टडी कर सके और जान पाए की इस क्षेत्र में कौन से पौधे की ग्रोथ अच्छी है। पौधों की स्टडी के लिए ही उन्होंने कई प्रकार के फलों का चयन किया। जिसमें नथमल ने आम में भी आम्रपाली, दशहरी आम लगाया।
राजस्थान जैसे राज्य में बेशक झीलों की नगरी हो लेकिन इसके कई क्षेत्र ऐसे है जहां पानी की समस्या देखने को मिलती है। ऐसे इलाकों में सिंचाई के कम खर्च से बड़े क्षेत्रफल तक पानी पहुंचाने के लिए नथमल ड्रिप सिस्टम के इस्तेमाल की सलाह देते है।
वह कहते है कि "राजस्थान में अब स्प्रिंकलर सिस्टम को अपना लिया गया है। इससे कम पानी में दूर तक सिंचाई की जा सकती है और इसकी लागत भी काफी कम होती है"। इन सिस्टम को अपनाकर किसान को कम पानी से ज्यादा पैदावार मिल सकती है।
जो लोग शहर में रहते है और बागवानी करना चाहते है और उनके पास खेती के लिए जमीन नहीं है। ऐसे में वह अपने खेती के शौक के लिए क्या कर सकते है सवाल पर नथमल कहते है कि "खेती करना शौक है और जिस व्यक्ति को खेती करना पसंद है वह शहर में रहते हुए भी खेती कर सकता है। वह बालकनी और छत पर अपनी पसंद के पौधे लगा सकते है"।
शहरों में खेती करने वालों को नथमल राय देते हुए कहते है कि कुछ छोटे-छोटे सब्जी और फलों के पौधे होते हैं जिन्हें बालकनी या छत पर उगाया जा सकता है। इनमें टमाटर, गोभी, बैगन, भिंडी, अनार जैसे पौधे शामिल हैं।
नथमल पालीवाल लोगों को सलाह देते हुए कहते है कि एक व्यक्ति को अपने जीवन में एक पेड़ तो जरूर लगाना चाहिए। क्योंकि आज के समय में होती पेड़ों की कटाई के कारण पर्यावरण खतरे में है। अगर प्रत्येक व्यक्ति एक पेड़ लगाएगा तो पर्यावरण को नष्ट होने से बचाया जा सकता है।
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