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Holi पर चीनी रंगों का भारत में बहिष्कार, 50 हजार करोड़ का नुकसान

Aastha Paswan

Holi 2024: इस साल होली के त्यौहार से दिल्ली सहित देश भर के व्यापारियों में एक नई उमंग और उत्साह का संचार हुआ है और व्यापार के भविष्य को लेकर एक बार फिर नई आशा जगी है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष होली के त्योहारी सीजन में देश भर के व्यापार में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है जिसके कारण देश भर में 50 हज़ार करोड़ से ज़्यादा के व्यापार का अनुमान है। अकेले दिल्ली में ही यह 5 हज़ार करोड़ रुपये के व्यापार की संभावना है।

Highlights

  • 25 मार्च को मनाई जाएगी होली
  • चीन को 50 हज़ार करोड़ का घाटा
  • चीनी रंगों का किया जै रहा है बहिष्कार

कब है होली

इस बार 24 मार्च को होली जलाई जाएगी जबकि रंगों का पर्व 25 मार्च को मनाया जाएगा। होली के रंग में बाजार भी रंगे हुए नजर आने लगे हैं। बाजार में रंग बिरंगे गुलाल और पिचकारी के अलावा गुजिया के हार और मेवा से दुकानें सजी हुई है। बाजार में खरीददारी के लिए लोगों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

हर जगह खेली जाती है होली

गली-मोहल्लों में अब उतनी खुली जगह नहीं बची, जितनी पहले होती थी। तभी तो अब शादियां बैंक्वेट हॉल, फार्म हाउस और होटलों में होने लगी। इसी तरह कुछ अमीर-उमरा लोग अब होली समारोहों के आयोजन के लिए भी बैंक्वेट हॉल, फार्म हाउस, होटलों , रेस्टोरेंट एवं सार्वजनिक पार्कों में होली समारोह का आयोजन कर रहे हैं। इस सेक्टर ने दो वर्ष के बाद अच्छे व्यापार के दिन देखे हैं। सिर्फ दिल्ली की बात करें तो इस जगह छोटे-बड़े, कुल मिलाकर तीन हज़ार से ज़्यादा होली मिलन समारोह आयोजित हो रहे हैं। इसमें लोग मिलते-जुलते हैं, होली खेलते हैं और खाना-पीना करते हैं।

रंगों का कारोबार

पिछले वर्षों की तरह चीनी सामान का न केवल कारोबारियों ने बल्कि आम लोगों ने भी पूर्ण बहिष्कार किया। होली से जुड़े सामान का देश में आयात लगभग 10 हजार करोड़ का होता है जो इस बार बिल्कुल नगण्य रहा है। कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री एवं चाँदनी चौक से भाजपा प्रत्याशी प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की इस बार होली की त्यौहारी बिक्री में चीन का बने हुए सामान का व्यापारियों एवं ग्राहकों ने बहिष्कार किया है।

बिक रहे भारत में निर्मित सामान

इस बार केवल भारत में ही निर्मित हर्बल रंग एवं गुलाल, पिचकारी, ग़ुब्बारे, चंदन , पूजा सामग्री, परिधान सहित अन्य सामानों की जमकर बिक्री हो रही है वहीं मिठाइयां, ड्राई फ्रूट , गिफ्ट आइटम्स, फूल एवं फल, कपड़े , फ़र्निशिंग फैब्रिक, किराना, एफएमसीजी प्रोडक्ट, कंज्यूमर ड्युरेबल्स सहित अन्य अनेकों उत्पादों की भी ज़बरदस्त मांग बाज़ारों में दिखाई दे रही है. खंडेलवाल ने बताया की इस वर्ष दिल्ली सहित देश भर में भर में बड़े पैमाने पर होली समारोहों का आयोजन हो रहा है जिसके चलते बैंक्वेट हाल, फार्म हाउस, होटलों , रेस्टोरेंट एवं सार्वजनिक पार्कों में होली समारोहों आयोजनों का तांता लगा हुआ है और इस सेक्टर ने दो वर्ष के बाद अच्छा व्यापार के दिन देखे हैं।

खुदरा बाजार में रौनक

अकेले दिल्ली भर में छोटे बड़े मिलाकर 3 हज़ार से ज़्यादा होली मिलन समारोह आयोजित हो रहे हैं और सभी कार्यक्रमों में शामिल लोगों को चेहरों पर एक नई ख़ुशी तथा उत्साह का वातावरण देखने को मिल रहा है। होली का पर्व नजदीक आते ही दिल्ली के सभी थोक एवं खुदरा बाजार पूरी तरह सजे हुए हैं। सभी बाजारों में दुकानों पर गुलाल और पिचकारी के साथ होली के अन्य सामानों की खरीदारी के लिए भीड़ लगी है। मिठाई की दुकानों पर ख़ास तौर से होली पर बनने वाली गुंजिया आदि के बड़े स्तर पर बिक्री हो रही है।

होली के रंग में बाजार

होली के रंग में बाजार भी रंगे हुए नजर आने लगे हैं। बाजार में रंग बिरंगे गुलाल और पिचकारी के अलावा गुजिया के हार और मेवा से दुकानें सजी हुई है। बाजार में खरीददारी के लिए लोगों की प्रतिदिन बड़ती जा रही है। उन्होंने बताया की होली पर रिश्तेदारों के यहां हार और मिठाई के साथ में मेवे की माला ले जाने की परंपरा के चलते खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ दुकानों पर लगी रही। इसके चलते बाजार में चहल पहल बनी रही। केमिकल युक्त गुलाल, रंग की बजाय हर्बल रंग, अबीर और गुलाल की सर्वाधिक माँग बाज़ारों में है वहीं ग़ुब्बारे और पिचकारी की माँग पिछले सालों के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही है।

पिचकारी से लेकर इनकी डिमांड

खंडेलवाल ने बताया की इस बार बाजार में अलग-अलग तरह की पिचकारी गुब्बारे और अन्य आकर्षक आइटम आए हैं। प्रेशर वाली पिचकारी 100 रुपये से 350 रुपये तक की उपलब्ध है। टैंक के रूप में पिचकारी 100 रुपये से लेकर 400 रुपये तक में उपलब्ध है। इसके अलावा फैंसी पाइप की भी बाजार में धूम मची है। बच्चे स्पाइडर मैन, छोटा भीम आदि को बच्चे खूब पसंद कर रहे है वहीं गुलाल के स्प्रे की मांग बेहद हो रही है।

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