बजट ये शब्द समाचार पत्र से लेकर टीवी तक हर जगह सुनाई और दिखाई देता है। इस शब्द के साथ कई उम्मीदे होती है। हर क्षेत्र की नजर बजट पर बनी होती है। सभी ये उम्मीद लगाए रहते है की हमे पिछली बार से बेहतर क्या मिलने वाला है। बजट को देश के वित्त मंत्री सदन में पेश करते है इस दौरान वो बजट पर अपना संबोधन देते है और बताते है किसी क्षेत्र को क्या और कितना मिला। बजट पेश होने के बाद सभी मीडिया चैनल पर इसकी समीक्षा होती है। अगले दिन सभी समाचार पत्रों के पन्नो पर विभिन्न रचनात्मक ढंग से बजट की जानकारी प्रेषित (छापी ) जाती है। हर वर्ग का व्यक्ति इसमें अपनी रूचि रखता है और अपने अनुसार बजट को आंकता है। लेकिन क्या पता है पहला बजट किसने और कैसे पेश किया था ? बजट प्रक्रिया में कितना बदलवा आया ? आज की इस रिपोर्ट में हम बजट से जुड़ी सभी बातो पर बात करेंगे।
आजदी से पूर्व भारत का पहला बजट वर्ष 1860 में स्कॉटिश अर्थशस्त्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था। आजाद भारत में पहला बजट 26 नवंबर 1947 में उस समय के वित्त मंत्री आरके षणमुगम चेट्टी के द्वारा पेश किया गया था। इस बजट में सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था के लेखा – जोखा दिया गया था। इस बजट के निर्माण में देश के प्रथम योजना आयोग के सदस्य व सांख्यिकीविद प्रोफ़ेसर पी सी महालनोबिस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके ठीक 95 दिवस के बाद 1948 -49 का संपूर्ण बजट पेश किया गया। बजट पेश करते हुए आरके षणमुगम ने कहा था कि इससे पर्व जो बजट पेश हुआ था वो अंतरिम बजट था। इसके बाद से मतदान वाले साल के बजट को अंतिरम बजट कहा जाता है। मतलब कम समय में लाया गया बजट अंतरिम बजट कहलाया जाना लगा।
अधिकतर बजट को वित्त मंत्री पेश करते है, लेकिन इतिहास में कुछ ऐसे घटनाक्रम भी घटे जब देश के प्रधानमंत्री ने भी बजट पेश किया। साल 1958 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने बजट पेश किया था। इसका कारण था उस समय के वित्त मंत्री टी टी कृष्णामाचारी ने त्यागपत्र दे दिया था। प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए नेहरू प्रथम प्रधानमंत्री थे। उसके बाद वर्ष 1970 में मोरारजी देसाई के वित्त मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उस समय की पीएम इंदिरा गांधी ने बजट पेश किया। 1987 -88 में वी पी सिंह के वित्त मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी ने बजट पेश किया।
वर्ष 1950 में जॉन मथाई भारत के वित्त मंत्री हुआ करते थे। देश में बजट पेश होना था। सभी तैयारियां पूर्ण हो चुकी थी। तभी बजट के लीक होने की खबर ने हड़कंम मचा दिया था। इस गलती के लिए जॉन मथाई को त्याग पत्र देना पड़ा। जिसके बाद बजट छपने का रिवाज बदल गया। 1950 तक बजट राष्ट्रपति भवन में छपता था , लेकिन लीक की घटना के बाद छपाई नई दिल्ली के मिंटो रोड में होने लगी। फिर साल 1980 में एक बार फिर छपाई की जगह बदली थी।