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 Jonty Rhodes Birthday: चीते सी फुर्ती और बाज़ सी पैनी नज़र, आज जोंटी रोड्स मना रहे हैं अपना 55वां जन्मदिन

Aniket Kumar Jha

Jonty Rhodes Birthday:  दक्षिण अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर जोंटी रोड्स शनिवार को अपना 55 वां जन्मदिन मना रहे हैं। जोंटी रोड्स का नाम सुनते ही क्रिकेट प्रेमियों के मन में एक ही छवि उभरती है चीते की तरह गेंद पर लपकते हुए कैच पकड़ना, रन रोकना और रन आउट करना। 1992 के विश्व कप में इंजमाम-उल-हक को किए गए दमदार रन आउट से रातों-रात स्टार बने जोंटी रोड्स ने अपने करियर में कई ऐसे पल दिए। जोंटी रोड्स निश्चित तौर पर एक असाधारण फील्डर थे, लेकिन इसके लिए वह अपनी टीम के बाकी सदस्यों से भी ज्यादा कड़ी प्रैक्टिस करते थे। बैकवर्ड पॉइंट पर उनकी फील्डिंग का कोई जवाब नहीं था, जहां वह हवा में छलांग लगाकर असंभव से लगने वाले कैच पकड़ते और रन बचाते थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि जोंटी रोड्स हॉकी के भी शानदार खिलाड़ी थे और 1996 के ओलंपिक खेलों के लिए उनका टीम में भी चयन हुआ था, लेकिन उनको ओलंपिक में भाग लेने से मना करना पड़ा था। फील्डिंग के अलावा, उन्होंने अपनी बल्लेबाजी पर भी खूब मेहनत की। साल 1997 में उन्होंने अपनी बल्लेबाजी तकनीक में बड़े बदलाव किए और उसके बाद से टेस्ट क्रिकेट में उनका औसत 50 के करीब रहा। हालांकि, साल 2000 में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट छोड़कर पूरी तरह से एकदिवसीय क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया।

क्रिकेट के अलावा भी कई क्षेत्रों में सफल जोंटी रोड्स

आज के आधुनिक क्रिकेट में फिटनेस, शॉट्स, विकेटों के बीच दौड़ आदि को लेकर जो तौर-तरीके देखने के लिए मिलते हैं, वह जोंटी रोड्स ने बहुत पहले ही शुरू कर दिए थे। उस जमाने में जोंटी रोड्स ने विकेटों के बीच दौड़ में सिंगल रन लेने की गुंजाइश में डबल रन लेने के मौके सफलतापूर्वक ढूंढ लिए थे। इतना ही नहीं, कोच बॉब वूल्मर के मार्गदर्शन में उन्होंने रिवर्स स्वीप' जैसा शॉट भी सीख लिया था। रोड्स अपने फैंस के भी चहेते थे। भले ही उनकी टीम बस में जाने के लिए देरी हो रही हो, मगर वह काफी देर तक बच्चों को ऑटोग्राफ देते रहते थे। रोड्स ने क्रिकेट के अलावा भी कई क्षेत्रों में सफलता हासिल की । दक्षिण अफ्रीका में किसी भी टीम के स्पोर्टस खिलाड़ी से ज्यादा उनके नाम के विज्ञापन हैं। जोंटी रोड्स ने खेल के साथ अपने परिवार को भी बड़ी अहमियत दी। उनको ऐसा पहला क्रिकेटर माना जाता है जिन्होंने अपनी बेटी के जन्म पर पितृत्व अवकाश लिया था। साल 2003 के विश्व कप में उंगली की चोट के कारण उन्हें संन्यास लेना पड़ा, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने काउंटी क्रिकेट में ग्लूस्टरशायर के लिए शानदार प्रदर्शन किया।

जोंटी रोड्स का भारत के साथ भी गहरा लगाव

क्रिकेटर रोड्स ने अपने करियर के दौरान 52 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 35.66 की औसत के साथ, 3 शतक और 17 अर्धशतक समेत 2,532 रन बनाए। इसके अलावा उन्होंने 245 एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मुकाबले खेले और 2 शतक और 33 अर्धशतकों के साथ, 35.11 के औसत से 5,935 रन बनाए। रोड्स के समय में टी20 अंतर्राष्ट्रीय मुकाबले नहीं खेले जाते थे। रोड्स ने बतौर फील्डर टेस्ट मैच में 34 कैच और वनडे प्रारूप में 105 कैच लिए। जोंटी रोड्स का भारत के साथ भी गहरा लगाव है। वह भारत की संस्कृति से काफी प्रेरित रहे हैं और उन्होंने भारत के कई हिस्सों की यात्रा भी की है। भारत के प्रति जोंटी रोड्स के प्रेम को इसी बात से समझा जा सकता है कि उन्होंने अपनी बेटी का नाम 'इंडिया' रखा है। रोड्स इंडियन प्रीमियर लीग यानी IPL में भी लखनऊ सुपरजायंट्स जैसे टीम के साथ बतौर फील्डिंग कोच जुड़े रहे हैं। सुपरजायंट्स जैसे टीम के साथ बतौर फील्डिंग कोच जुड़े रहे हैं।

 विश्व भर के करोड़ों युवाओं को करते हैं प्रेरित

कुल मिलाकर जोंटी रोड्स वो नाम है जो विश्व भर के करोड़ों युवाओं को प्रेरित करता है। उनकी शख्सियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत में भी कई युवा खिलाड़ी उन्हें अपना फील्डिंग आइडल मानते हैं। यहां तक कि भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे अच्छे फील्डरों में से एक मोहम्मद कैफ को 'भारत का जोंटी रोड्स' कहा जाता है। मोहम्मद कैफ भी कई इंटरव्यूज में जोंटी रोड्स की तारीफ़ करते हुए नज़र आए हैं। साथ ही साथ, जब भी किसी युवा को अच्छे फील्डिंग की बात सिखाई जाती है, तब उसे जोंटी रोड्स का ही मिसाल दिया जाता है। इससे साफ़ हो जाता है कि दक्षिण अफ्रीका के जोंटी रोड्स ने समूचे विश्व में अपना लोहा मनवाया है। आपको बता दें कि भारतीय क्रिकेट फैंस के बीच भी वह काफी प्रसिद्द हैं और उन्हें खूब प्यार मिलता है. ज़ाहिर तौर पर उनका यह जन्मदिन उनके हर फैन के लिए बेहद ख़ास होगा।