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जानिए क्या होते हैं लव मैरिज होने के संकेत, कैसा रहेगा वैवाहिक जीवन?

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क्या आपकी लव मैरिज होगी?
कैसा रहेगा आपका वैवाहिक जीवन?

मुझे जो प्रश्न किए जाते हैं उनमें धन के संबंध में तो प्रश्न होते ही हैं लेकिन इसके अलावा यदि किसी समस्या को लेकर प्रश्नों की बहुतायत है तो वह सगाई और विवाह के बारे में हैं। आज मैं इसी विषय पर हस्तरेखाओं, ज्योतिष और वास्तु शास्त्रानुसार क्या कुछ संकेत मिलते हैं उनके बारे में संक्षेप में बताऊंगा।

भारत में विवाह को एक विशिष्ट संस्था का दर्जा दिया जाता है। सफल वैवाहिक जीवन से व्यक्ति का आधा जीवन सफल माना जा सकता है। मेरे पास विवाह से संबंधित बहुत सी समस्याओं से दुःखी लोग आते हैं। विवाह नहीं होने से लेकर वैवाहिक जीवन से जुड़ी अनेक समस्याएं हैं। जो इन समस्याओं से जूझता है, वही इनके दर्द को महसूस कर सकता है।

वैवाहिक जीवन की शुरूआत

विवाह के संबंध में दो बातें सामने आती है, पहली तो यह कि सगाई के लिए रिश्ते तो बराबर आ रहें हैं लेकिन दुर्भाग्य से सगाई हो नहीं रही है। दूसरी बात यह है कि सगाई के लिए कोई भी प्रस्ताव नहीं आ रहा है। प्रिय पाठकों को क्लीयर कर दूँ कि यह दोनों बिलकुल अलग-अलग चीजें हैं और इन बातों को ध्यान में रखते हुए ही हमें समस्या को समझना चाहिए। उपाय भी दोनों का अलग-अलग होता है। इसलिए मैं पहले इस संबंध में क्लीयर होता हूँ इसके बाद ही किसी प्रकार के समाधान की बात होती है।

सगाई और विवाह को देखने के लिए जन्म कुंडली और हस्तरेखाओं के साथ-साथ वास्तु का भी अवलोकन करना चाहिए। क्योंकि मेरे पास बहुत से ऐसे केस भी आते हैं जब कि जन्म कुंडली और हस्तरेखाओं में कोई समस्या नहीं होने का बाद भी विवाह में विलम्ब होता है। इस स्थिति में घर का अवलोकन बहुत आवश्यक हो जाता है। इसलिए यहां मैं अपने प्रिय पाठकों के लिए जन्म कुंडली, हस्तरेखाओं और वास्तु तीनों का ही सम्मिलित आकलन प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगा।

हस्तरेखाओं में सामाजिक विवाह के संबंध में मस्तिष्क रेखा से संकेत मिलते हैं। मस्तिष्क रेखा से उठने वाली रेखाएँ विवाह की औसत आयु बताती है। लेकिन वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा इसके संकेत हमें बृहस्पति के पर्वत और हृदय रेखा से मिलते हैं।

विवाह किस दिशा में होगा और दाम्पत्य जीवन कैसा रहेगा इसके संकेत हमें कुंडली के सातवें भाव से मिलते हैं। इसके अलावा लड़की की कुंडली में बृहस्पति और पुरुष की कुंडली में शुक्र की स्थिति का अवलोकन भी किया जाना चाहिये।

वास्तु क्या कहता है?

वास्तु की नजर से देखा जाए तो घर के बहुत से स्थानों से हमें संकेत मिलते हैं कि समस्या कहाँ पर है। जैसे घर का मुख्य द्वार यदि गलत जगह पर है तो ऐसे घर में प्रवेश के साथ ही लोगों की मानसिकता बदल जाती है। इसके अलावा अवसरों को देने का काम अग्नि कोण करता है। यदि वह ठीक नहीं है तो सगाई वाले आयेंगे ही नहीं। विवाह होना तो दूर की बात है। यदि घर में पिछले 10-15 वर्षों से कोई मांगलिक कार्य नहीं हुआ है तो इसका मतलब है कि भूमि में कोई दोष है। इसे जागृत करने के लिए घर में कोई मांगलिक कार्य आयोजित करें।

इस प्रकार से ज्योतिष, हस्तरेखाओं और वास्तु तीनों टूल्स के सम्मिलित आकलन से ही विवाह के संदर्भ में कोई निर्णय करना चाहिए जिससे शीघ्रता से परिणाम मिल सकें।

कैसे बनते मैरिज के योग

आमतौर पर यह माना जाता है कि सबसे छोटी अंगुली के नीचे प्रेम या विवाह की रेखाएं होती हैं। जनमानस में यह भ्रम फैला दिया गया है कि यहां जितनी रेखाएँ होंगी, उतनी संख्या में विवाह होते हैं। लेकिन अनुभव में मैंने देखा है कि इन रेखाओं का विवाह से कोई संबंध नहीं है। जिन लोगों की हथेली में तीन रेखाएँ हैं उनका भी एक ही विवाह होता है। दूसरी बात यह भी है कि यदि इतनी आसानी से रेखाओं से संकेत मिलते तो, हर कोई ज्योतिषी बन जाता। हस्तरेखा या ज्योतिष में कोई भी योग हार्ड एण्ड फास्ट नहीं होता है। केवल संकेत मिलते हैं और उन्हीं के आधार पर हमें अपनी धारणा बनानी होती है। और यह कतई आसान नहीं है और लम्बे अनुभव से आता है।

प्रेम विवाह की रेखाएँ बृहस्पति और मंगल के स्थान पर होती हैं। जब इन रेखाओं का परस्पर योग बने, तो उस उम्र में व्यक्ति प्रेम संबंध बनाने की शुरुआत करता है। ये रेखाएँ जितनी दीर्घ होंगी, प्रेम संबंध उतना ही लम्बे समय तक चलता है। जब ये रेखाएँ सुंदर और स्पष्ट आकार में जहाँ परस्पर मिलें, उसी उम्र विशेष में जातक का प्रेम विवाह होता है। यदि ये रेखाएँ एक दूसरे से दूर रहकर ही रुक जाती हैं तो प्रेम तो होगा लेकिन यह प्रेम विवाह में कन्वर्ट नहीं होगा। इस स्थिति में अरैन्जड मैरिज कहना चाहिए। इसका अर्थ है कि जिससे प्रेम किया है उससे विवाह नहीं होगा। जब ये रेखाएँ एक दूसरे को काट कर आगे बढ़ रही हों तो भी प्रेम विवाह होता है। जब ये रेखाएँ कटी-फटी स्थिति में एक-दूसरे से मिल रही हों तो प्रेम विवाह तो होगा लेकिन शीघ्र ही दोनों प्रेमियों में मतभेद हो जाएगा और दोनों अलग हो जायेंगे।

वैवाहिक समस्या

वैवाहिक समस्या का पहला उपाय तो यही है कि सगाई से पूर्व यह ध्यान में रखें कि यदि जातक मांगलिक है तो उसका विवाह किसी मांगलिक से ही हो। यदि किन्हीं कारणों से यह संभव नहीं हो पा रहा है तो विवाह में जल्दबाजी नहीं करें। जब आप पूरी तरह से संतुष्ट हो जाएं कि मांगलिक दोषों के समुचित उपाय कर लिये गये हैं, तो ही विवाह के बारे में विचार करें।

मोटे तौर पर मांगलिक दोष के अलावा जब सातवां भाव पाप प्रभावित हो तो वैवाहिक जीवन में तनाव उत्पन्न होता है। यदि दोष कम हो तो साधारण मतभेद के बाद विवाह सफल रहता है लेकिन दोष अधिक होने पर तलाक की नौबत आती है। इन सब तरह की समस्याओं के निराकरण के लिए पाप ग्रहों के उपाय करने चाहिए।

Astrologer Satyanarayan Jangid