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नर्क से भी बदतर ‘पीनल कॉलोनी’! रखे जाते हैं पुतिन के विरोधी, दी जाती है सिर्फ यातना

Ritika Jangid

ताकतवर देश रूस में सत्ता में बैठी सरकार के बारे में कहा जाता है कि इसका कोई विपक्ष नहीं होता है। जो भी सरकार देश की कमान संभालेगी वह सालों तक विरोधियों को दबाकर रखेगी। और जो भी कोई सरकार के खिलाफ जाने की कोशिश करेगा उसे या तो दुनिया की सबसे खतरनाक जेल पीनल कॉलोनी में भेज दिया जाएगा या फिर वह इंसान गायब हो जाएगा।

अब ऐसी ही खबर पुतिन के धुर विरोधी ऐलेक्सी नावाल्नी के बारे में कही जा रही हैं, जिन्हें साल 2022 में कथित तौर पर चरमपंथी समूह बनाने के लिए आईके-6 नाम की पीनल कॉलोनी यानी एक खास तरह की जेल में रखा गया था। लेकिन अब वह वहां नहीं है।

उनके सहयोगियों का कहना है कि नावाल्नी रूस की जेल व्यवस्था में खो गए हैं। पिछले कुछ दिनों से ना तो उनका, ना ही नावाल्नी के वकीलों का उनसे कोई संपर्क हो पाया है। नावाल्नी की प्रवक्ता कीरा यारमश ने बताया कि वह वीडियो माध्यम से होने वाली अदालती सुनवाई की तारीख में भी नहीं आए। आगे यारमश ने ये भी बताया कि जब 11 दिसंबर को वकील नावाल्नी से मिलने गए, तो जेल कर्मचारियों ने उन्हें सूचना दी कि अब नावाल्नी वहां नहीं हैं।

आइए जानते है कि पीनल कॉलोनी क्या है, जहां से नावाल्नी के गायब होने की खबर आ रही हैं और जिसे दुनिया का नर्क कहा जाए तो गलत नहीं होगा है।

गुलाग का नया रूप पीनल कॉलोनी

बता दें, दूसरे वर्ल्ड वॉर के समय रूस पर आरोप लगा कि वो दुश्मन सेना और आम नागरिकों को एक जेल में डाल रही है। यहां बंदियों से इतनी मेहनत करवाई जाती थी कि वे दम तोड़ दें। साइबेरिया से सटे इन कैंपों में न तो बर्फबारी से बचने का इंतजाम था, न ही भरपेट खाना और इलाज मिलता था। इस कैंप को गुलाग कहा गया।

यह 18वीं सदी के हैं। कैदियों को सभ्यता से अलगाव के साथ-साथ मुश्किल जीवन, कामकाजी और मौसम की स्थिति का सामना करने के लिए रूस के दूरदराज के क्षेत्रों में भेजा गया था। सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन की मृत्यु तक, 1929 और 1953 के बीच अनुमानित 18 मिलियन लोगों को गुलाग की सज़ा सुनाई गई थी। वर्क कैंप्स में लगभग 1.6 मिलियन लोगों की मृत्यु हो गई। बाद में युद्ध के बाद गुलाग बंद हो गया, लेकिन उसका नया रूप आ गया। इसे ही पीनल कॉलोनी कहते हैं।

रूस में हैं करीब 869 पीनल कॉलोनीज

ओएसडब्ल्यू की रिपोर्ट के अनुसार, रूस में करीब 869 पीनल कॉलोनीज हैं। ये बर्फीली सीमाओं से सटे हुए हैं, यहां तक जाने के लिए कोई खास सुविधा नहीं है। पीनल कॉलोनी में राजनैतिक बंदियों को भेजा जाता है। यहां तक पहुंचने का सफर भी काफी थका देने वाला होता है। क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए चार-पांच दिन नहीं बल्कि एक महीने तक का समय लगता है। ये यात्रा ट्रेन, बस, बर्फ हर जगह से होते हुए गुजरती है। इस दौरान ही कई कैदी बीमार पड़ जाते हैं।

बता दें, महिलाओं के लिए भी 40 पीनल कॉलोनीज हैं, जो रूस के बर्फीले इलाकों में हैं। ऐसे में महिलाओं की स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाती है, कहा जाए तो इस सफर के दौरान महिला कैदी दुनिया से लगभग कट जाती है। सुदूर इलाकों में बनी इन कॉलोनीज में रह रहे कैदियों से इसी कारण, उनके परिवार और वकीलों नियमित संपर्क में नहीं रह पाते हैं।

खतरनाक मिलता है ट्रीटमेंट

पीनल कॉलोनी के अंदर जाते ही यातना का नया दौर शुरू हो जाता है। माइनस तापमान पर भी कैदी को नंगे पांव ही चलना है, पहनने के लिए भी कम कपड़े दिए जाते हैं। यहां तक कि सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक कैदियों को सिर्फ चलना या खड़े रहना है, उन्हें बैठने की इजाजत नहीं होती है। कैदियों को लिखने-पढ़ने की छूट भी नहीं है। हालांकि उन्हें यहां टीवी देखने का मौका जरूर मिलता है लेकिन उसपर बस स्टेट स्पॉन्सर्ड खबरें ही चलती हैं।

बता दें, पिछले साल नावाल्नी ने पीनल कॉलोनी के भीतर से ही एक इंटरव्यू दिया था। जिसमें उन्होंने बताया था कि उन्हें हर दिन आठ घंटे से ज्यादा वक्त तक सरकारी टीवी देखने के लिए मजबूर किया जाता है और करीब सात घंटे सिलाई मशीन चलानी पड़ती है। नावाल्नी ने पीनल कॉलोनी की तुलना करते हुए इसे चीन के लेबर कैंप्स जैसा बताया था, जहां हर जगह निगरानी के लिए वीडियो कैमरा लगे हैं।

पीनल कॉलोनी की है 4 श्रेणियां

पीनल कॉलोनी में कैदियों को चार प्रकार की श्रेणियां में रखा जाता हैं, किस कैदी को किस श्रेणी में रखा जाएगा यह कैदियों के अपराध पर तय होता है, जिसका जितना गंभीर अपराध उतना ही ज्यादा यातना। सबसे कम सख्ती वाली कॉलोनियों को कॉलोनीज सैटलमेंट कहा जाता है। यहां कैदी कुछ बड़ी बैरक में रहते हैं और घूम-फिर भी सकते हैं। उन्हें रिश्तेदारों से मिलने की भी छूट रहती है। वहीं, स्पेशल रेजीम और स्ट्रिक्ट रेजीम के कैदी सख्त पाबंदी में रहते हैं।

माना जा रहा है कि नावाल्नी को सबसे सख्त कॉलोनी में भेजा जा चुका होगा। एक बार वहां पहुंचने के लिए बाद जेल प्रशासन और सत्ता के अलावा किसी को भी कैदी की खबर नहीं मिल पाती।नवलनी के जुर्म को सबसे बड़ा माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने सीधे पुतिन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. यहां तक कि वे लोकप्रिय भी हो चुके थे। यही बात सत्ता के खिलाफ जाती थी।

सजा सुनाने से काफी पहले से ही नवलनी जेल में डाले जा चुके थे। उन्हें मॉस्को से करीब ढाई सौ किलोमीटर दूर एक कॉलोनी में जा चुके होंगे। फिलहाल नवलनी के सपोर्टर सिर्फ इसका अंदाजा ही लगा रहे हैं।

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