भारत में ऐसे कई राजा-महारानियों की कहानी आपने सुनी होगी जिसमें उनकी लग्जरी की बात की गई हैं। हीरे से जड़ा मुकूट, सोने के आभूषणों से खुद को सजाना आदि। लेकिन बिहार के कूच की रानी जानी ही अपनी लग्जरी लाइफ के लिए जाती थी। उनके महंगे शौक के चर्चे देश नहीं विदेश तक थे। हम बात कर रहे हैं महारानी इंदिरा देवी की, जो अपने जमाने में देश की सबसे खूबसूरत महिला मानी जाती थी।
1892 में पैदा हुई महारानी इंदिरा देवी, जयपुर की महारानी गायत्री देवी की मां थी। इंदिरा देवी को बनने संवरने का बहुत शौक था, उन्हें फैशन सिंबल माना जाता था। देश में सिल्क, शिफॉन साड़ियों को ट्रेंड बनाने का श्रेय उनको दिया जाना चाहिए। वह जब सज संवर कर तैयार होती थीं तो उनका ग्रेस अलग ही लगता था। विदेशी फैशन के भी वो लगातार टच में रहती थीं और यूरोप में पार्टियां दिया करती थी। रानी को जुए की लत थी। हॉलीवुड के कई स्टार रानी के अच्छे दोस्त थे, जिसमें से कई उसकी पार्टियों में शामिल होते रहते थे।
महारानी इंदिरा देवी ने एक बार इटली की एक जानी-मानी जूता निर्माता कंपनी को 100 जोड़ी सैंडल्स बनाने का आर्डर दिया था। ये आम जूते नहीं थे क्योंकि इनमें हीरे और बेशकीमती रत्न भी जड़े गए थे। आज के दौर में इन सैंडल की कीमत करोड़ों में होगी। बता दें, उन्होंने इटली की जिस कंपनी को सौ जोड़ी जूते बनाने का आर्डर दिया था। कंपनी का नाम साल्वातोर फेरोगेमो था। ये कंपनी 20वीं सदी की सबसे फेमस डिजाइनर कंपनी मानी जाती थी। आज भी इस कंपनी के लग्जरी शो-रूम पूरी दुनिया में हैं।
महंगे-महंगे शौक रखने वाली महरानी इंदिरा देवी जितनी अपनी खूबसूरती और फैशन के लिए जानी जाती थी उनकी लव लाइफ उतनी ही उल्ट थी। बता दें, बड़ौदा के गायकवाड़ राजवंश से ताल्लुक रखने वाली इंदिरा की सगाई बचपन में ही ग्वालियर के होने वाले राजा माधो राव सिंधिया से पक्की हो चुकी थी।
इस बीच वो अपने छोटे भाई के साथ 1911 में दिल्ली दरबार में गईं, वहीं उनकी मुलाकात कूचबिहार के तत्कालीन महाराजा के छोटे भाई जितेंद्र से हुई। कुछ ही दिनों में उन्हें उनसे प्यार हो गया और उन दोनों ने शादी का फैसला किया।
रानी इंदिरा देवी जानती थी कि उनके इस फैसले से माता-पिता को बिल्कुल नाखुश होंगे। क्योंकि शादी के साथ ही कई मामले जुड़े हुए थे। इससे ग्वालियर के सिंधिया शासकों और बड़ौदा के बीच राजनीतिक संबंध बिगड़ जाएंगे। उस समय ग्वालियर राजघराना देश के विशिष्ट राजवंशों में था। शादी तोड़ने का मतलब था एक बड़े विवाद को खड़ा करना। वहीं जितेंद्र चूंकि महाराजा के छोटे भाई थे लिहाजा उनके राजा बनने के हालात भी नहीं नजर आ रहे थे।
उस समय इंदिरा देवी ने खुद साहस दिखाते हुए ये सगाई तोड़ दी, उस दौर में सोचा नहीं जा सकता था कि कोई 18 साल की राजकुमारी ऐसा भी कर सकती हैं। उन्होंने अपने मंगेतर को खत लिखा कि वो उनसे शादी नहीं करना चाहतीं। इसके बाद बड़ौदा में इंदिरा के पिता को ग्वालियर के महाराजा का एक लाइन का टेलीग्राम मिला, आखिर राजकुमारी के पत्र का क्या मतलब है।
इंदिरा गांधी के माता-पिता ये जानकर हैरान रह गए। हालांकि ग्वालियर के महाराजा इस मामले में बहुत शालीनता से पेश आए। उन्होंने फिर एक खत लिखकर इंदिरा के माता-पिता से कहा कि उनकी स्थिति समझ सकते हैं, इसके नीचे उन्होंने आपका बेटा लिखकर अपने हस्ताक्षर किए। हालांकि बेटी के कदम से अभिभावकों को गहरा झटका लगा था।
महारानी इंदिरा देवी के माता-पिता रानी के प्रेम विवाह से खुश नहीं थे। क्योंकि जितेंद्र की इमेज प्लेबॉय की थी। इंदिरा के माता-पिता ने जितेंद्र को चेतावनी दी कि वो उनकी बेटी से दूर रहें। लेकिन ये सब कुछ काम नहीं कर सका। क्योंकि जितेंद्र और इंदिरा आपस में शादी करने का पक्का मन बना चुके थे।
इंदिरा के पेरेंट्स नहीं चाहते थे दोनों की शादी हो, लेकिन दोनों अपना मन बना चुके थे। वहीं इंदिरा के अभिभावकों ने उन्हें लंदन जाने को कहा। जहां दोनों एक दूसरे के साथ शादी के बंधन में बंधे। इंदिरा और जितेंद्र ने लंदन के एक होटल में शादी की, जिसमें इंदिरा के परिवार से कोई मौजूद नहीं था। उन्होंने ब्रह्म समाज के रीतिरिवाजों से शादी की। शादी के कुछ ही समय बाद जितेंद्र के बड़े भाई और कूच बिहार के महाराजा राजेंद्र नारायण गंभीर तौर पर बीमार पड़े और उनका निधन हो गया। फिर जितेंद्र कूच बिहार के महाराजा बने।
इंदिरा देवी और जितेंद्र का आगे का जीवन खुशनुमा रहा। उनके पांच बच्चे हुए। लेकिन ज्यादा शराब पीने से महाराजा जितेंद्र का जल्द निधन हो गया। ऐसे में महारानी ने खुद ही लंबे समय तक कूच बिहार का राजकाज पांच बच्चों के साथ संभाला। इंदिरा की प्रशासकीय क्षमता औसत थी लेकिन सोशल लाइफ में उनकी सक्रियता गजब की थी। उनका ज्यादा समय यूरोप में गुजरा करता था।
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