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रातों रात गायब हो गया था राजस्थान का यह गांव, जानिए कुलधरा का काला रहस्य

Desk News

भारत कई रहस्यमयी जगहों से घिरा हुआ देश है। यहां इतनी मिस्ट्री हैं की सभी के बारे में जानना लोगों के लिए मुश्किल है। भारत में एक नहीं न जाने कितने ही राज आज भी दफन हैं। बहुत सुलझाने के बाद भी ये राज आज तक खुल नहीं पाएं हैं। वैज्ञानिकों की रिसर्च के बावजूद भी ऐसी जगहों की सच्चाई सामने नहीं आ पाती है। चाहे आप भूतों की कहानी पर विश्वास रखें या न रखें लेकिन कभी न कभी तो आपने भी कुछ ऐसी जगहों के बारे में सुना होगा जहां की कहानियां भूतिया होंगी और कई लोग उस बारे में बताकर आपको यकीन करने को भी कहते होंगे। यदि हम बात करें भारत में कुछ रहस्यमयी जगहों के बारे में तो राजस्थान के जैसलमेर में आज से 200 साल पहले बने कुलधरा गांव में कई राज छुपे हैं। ऐसा माना जाता है कि राजस्थान का कुलधरा गांव लगभग 170 साल से खाली और खंडहर पड़ा हुआ है। यदि आप ऐसी जगहों पर जाना पसंद करते हैं जो जगहें रहस्य से भरी हुई हैं तो अपनी अगली ट्रिप कुलधरा गांव की करें। कुलधरा में कैसे कब क्या हुआ यह बात आज तक भी कोई पूरी तरह साबित नहीं कर पाया है। हां, लेकिन इसके पीछे एक कहानी प्रचलित है जिसके बारे में हम आपको आगे बताएंगे। कहानी के अनुसार, रातों-रात खाली हुआ यह गांव सूना और उदास दिखाई पड़ता है। इस गांव में दाखिल होने पर आपको ऐसा अहसास होगा मानों चारों तरफ सन्नाटा और खौफ बना हुआ है। यहां की श्रापित कहानी जानने के बाद लोग इस गांव में घूमने के लिए उत्सुक हो जाते हैं।

  • भारत कई रहस्यमयी जगहों से घिरा हुआ देश है।
  • यहां इतनी मिस्ट्री हैं की सभी के बारे में जानना लोगों के लिए मुश्किल है
  • आज से 200 साल पहले बने कुलधरा गांव में कई राज छुपे हैं

क्या है कुलधरा की श्रापित कहानी?

रातों-रात वीरान हुआ राजस्थान का कुलधरा गांव 1291 में राजस्थान के पालीवाल ब्राम्हणों ने बसाया था, यह एक श्रापित गांव माना जाता है। आज भी इस गांव में शाम 6 बजे के बाद एंट्री बंद है और दिन में भी लोग उस गांव में अकेले जाने से डरते हैं। आखिर इस गांव में जाने से लोग इतना क्यों ड़रते हैं? दरअसल इस गांव की प्रचलित कहानी आज से 200 साल पुरानी है। आज से 200 साल पहले कुलधरा गांव बहुत खूबसूरत और हरा-भरा गांव था। उस दौरान कुलधरा के आसपास के 84 गांव पालीवाल ब्राह्मणों से घिरे हुए थे। सब कुछ अच्छा चलते-चलते एक दिन मानो उस गांव के बुरे दिन शुरू हो गए। ऐसा माना जाता है कि जिस रियासत में कुलधरा गांव बसा हुआ था, उसी रियासत का दीवान सालेम सिंह अय्याशबाज और क्रूर था उसे जो चीज पसंद आ जाती थी उसपर अपना पूरा हक समझने लगता है और छीन कर लड़कर या किसी भी कीमत पर उस चीज को हासिल कर लेता था। एक दिन उसकी गन्दी नज़र गांव के एक ब्राह्मण की बेटी पर पड़ गयी। दीवान सालेम सिंह उस लड़की की खूबसूरती देख पागल सा हो गया वह किसी भी हालत में लड़की को अपनी बनाना चाहता था। उसने उसी तरफ कदम बढ़ाते हुए गांव के ब्राह्मणों के सामने यह प्रस्ताव रखा की इस लड़की का विवाह उससे करा दिया जाए। गांव के ब्राह्मणों ने उसकी बात मानने से साफ इंकार कर दिया। बहुत कोशिश करने और ब्राह्मणों पर दबाव बनाने के बावजूद भी गांव वाले इसके लिए तैयार नहीं हुए। सभी हथकंडे अपना लेने के बाद अब दीवान सालम सिंह ने सत्ता का घमंड दिखाते हुए गांववालों को एक सन्देश भिजवाया, जिसमें उसने लिखा था कि यदि अगली पूर्णमासी आने तक उसे खुद ब्राम्हण की लड़की नहीं भिजवाई गयी तो वह गांव पर अपनी सेना के साथ आक्रमण बोल कर लड़की को जबरदस्ती उठाकर ले जायेगा और गांव को पूरी तरह बर्बाद कर देगा।

ब्राह्मणों ने दिया था कुलधरा को श्राप

यह सन्देश पत्र पढ़कर सभी पालीवाल ब्राह्मण चिंता में आ गए वे अपनी बेटी को उस अय्याशबाज सालेम सिंह के पास किसी भी हालत में नहीं भेजना चाहते थे। पूरा गांव उस लड़की के साथ खड़ा था और उसके सम्मान को अपना सम्मान मान चुका था। बहुत सोचने के बाद पालीवाल ब्राह्मणों ने गांव का आत्मसम्मान और लड़की का सम्मान बचाने के लिए एक बैठक बुलाई। बैठक में यह फैसला लिया गया कि, अपने सम्मान को बनाये रखने के लिए सभी यह रियासत छोड़ दें, इस फैसले में गांव में मौजूद 5000 से ज्यादा परिवारों ने सहमति जताई। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार यह फैसला लेने के लिए सभी 84 गांव वाले लोग एक मंदिर पर इकट्ठा हुए यहां आने के बाद पंचायतों ने यह निर्णय लिया की किसी भी हालत में उस दीवान को अपनी लड़की देकर उसका सम्मान नहीं जाने देंगे। उसी रात सभी पालीवाल ब्राम्हणों के साथ पुरे सभी ने कुलधरा गांव खाली कर दिया। ऐसा कहा जाता है कि, जाते-जाते ब्राह्मणों ने गांव को यह श्राप दिया था कि, कभी भी किसी भी सदी में यह गांव नहीं बसेगा यह हमेशा एक खंडर बना रहेगा। उसी रात के बाद से कुलधरा पूरी तरह वीरान और सन्नाटेदार हो गया अब भी शाम के समय वहां जाने पर पाबंदी है। जानकारी के लिए बता दें की उस समय वीरान हुए 82 गांव दोबारा बस चुके हैं लेकिन 2 गांव खाभा और कुलधरा लाख कोशिश करने के बावजूद भी खंडर ही पड़े हुए हैं। इस गांव के आस-पास बहुत से लोग जानें से डरते हैं। अब यह गांव भारतीय पुरातत्व विभाग के अंडर आता है शाम 6 बजे के बाद यह बंद रहता है उससे पहले जाकर यहां घुमा जा सकता है।

कुलधरा में आज भी सुनाई देती हैं ड़रावनी आवाजें

आज भी इस गांव में घूमकर आने वाले लोग कई तरह की कहानियां बताते हैं, जानकारी के अनुसार यह गांव भूतिया माना जाता है यहां कई तरह की एब्नार्मल घटनाएं घटित होती हैं। अब यह गांव टूरिस्ट प्लेस बन चुका है। यहां घूमने आने वाले लोगों के अनुसार इस गांव में पालीवाल ब्राह्मणों की चीख-पुकार आज भी सुनाई देती है। लोगों के मुताबिक वहां जाने से ऐसा लगने लगता है की उनके आसपास कोई है या उनके साथ चल रहा है। वहां पर बाजार की चहलकदमी जैसी आवाजें, महिलाओं की बात करने जैसी आवाज़े, उनकी चूड़ियों और छन-छन पायल की आवाज़ भी आती है। इस गांव में जाने के लिए एक दरवाज़ा बनवाया गया है जहां से लोग दिन में घूमकर रात होने से पहले आ जाते हैं शाम 6 बजे के बाद यहां से अजीब आवाज़े आने लगती हैं। कुलधरा गांव में यदि कुछ श्रापित नहीं है तो वह यहां बना एक मंदिर और पीने के पानी की एक बावड़ी है। लोगों के अनुसार यहां से आने वाली आवाज़े पालीवाल ब्राह्मण के दर्द को बयां करती हैं। लोगों का ऐसा भी मानना है कि यहां कुछ मकानों के खंडरों में अक्सर रहस्यमयी परछाई भी दिखती हैं। ऐसा माना जाता है ग़लती से भी रात को यहां जानें वाला किसी न किसी दुर्घटना का शिकार हुआ है। शाम को गेट बंद होते ही यहां नेगटिविटी एक्टिव हो जाती है।

पेरानॉर्मल सोसायटी की जांच में सामने आए कई रहस्य

इस गांव के बारे में इतना सुनकर मई 2013 में दिल्ली से भूत प्रेत व आत्माओं पर रिसर्च करने वाली पेरानार्मल सोसायटी की टीम कुलधरा गांव में एक रात ठहरने के लिए आई और यहां का सच जानने के लिए शाम होते ही उन्होंने ड्रोन कैमरा छोड़ दिया उन्होंने बताया कि कैमरा छोड़ने के बाद वह तस्वीरें लेने लगा लेकिन जैसे ही ड्रोन बावड़ी के ऊपर पहुंचा वह खराब होकर नीचे जमीं पर गिर गया। मानो किसी ने जानकर उसको गिराया हो। पेरानॉर्मल सोसायटी के उपाध्यक्ष अंशुल शर्मा ने बताया था कि हमारे पास एक डिवाइस था जिसका नाम गोस्ट बॉक्स था। इसके माध्यम से हम ऐसी भूतिया जगहों पर रहने वाली आत्माओं से वहां से जुड़े कुछ सवाल करते हैं। हमनें कुलधरा गांव में भी बिल्कुल ऐसा ही किया। यह प्रयोग सफल भी रहा क्योंकि इस दौरान बहुत सी आवाजें आई और कहीं असामान्य रूप से आत्माओं ने अपने नाम भी हमें बताए। रात भर कुलधरा गाँव में काम करने के बाद जब सुबह हमारी टीम वापस जाने लिए अपनी कार के पास आई तो, तो जो हमनें देखा वह अचंभित कर देने वाला था दरअसल हमने देखा की हमारी कार के शीशे पर कुछ बच्चों के हाथ के निशान बनें हुए थे। यहां रात भर हमारी टीम को छोड़कर कोई अन्य व्यक्ति नहीं था। ये बयान पेरानॉर्मल सोसायटी टीम के सदस्यों ने मीडिया में दर्ज कराया था। लेकिन यह सच है कि कुलधराम में फैली ये कहानियां सिर्फ अफवाह मानी जाती हैं।