भारतीय शास्त्रों में 84 प्रकार के रत्नों का उल्लेख पाया जाता है जिनमें से एक मोती भी है। मोती एक शीतल प्रकृति का रत्न है और यह मानसिक भावनाओं और क्षमताओं को नियंत्रित करता है। जिस प्रकार से मूंगा एक जैविक रत्न है ठीक उसी प्रकार से मोती भी एक जैविक रत्न माना जाता है। ये दोनों ही रत्न समुद्र में पाये जाते हैं और इनका सीधा संबंध जीवों से है। इसके अलावा बाकी के सभी 82 रत्न वास्तव में पाषाण हैं। जिस प्रकार से मूंगा किसी समुद्री जीव का घोंसला है उसी प्रकार से शीप नामक समुद्री जीव के पेट में से मोती को प्राप्त किया जाता है। सभी 84 रत्नों में मूंगा और मोती की हार्डनेस सबसे कम होती है। इसलिए कहा जाता है कि मोती को प्रत्येक 3 वर्ष में बदल देना चाहिए।
भारतीय ज्योतिष में चन्द्रमा को दूसरे लग्न की संज्ञा दी जाती है। और हमारा जो जन्म नाम या राशि होती है वह भी चन्द्रमा की ही राशि होती है। यानी जिस राशि में जन्म के समय चन्द्रमा स्थित होता है वही हमारी नाम राशि होती है। इसलिए चन्द्रमा का महत्व दूसरे सभी ग्रहों से अधिक है। जन्म कुंडली में चन्द्रमा को मानसिक शक्ति, विल-पॉवर और कल्पना का प्रतिनिधि ग्रह माना जाता है। इसलिए हम जीवन में जो भी डिसिजन लेते हैं उन पर चन्द्रमा का विशेष प्रभाव देखा जाता है। चन्द्रमा कर्क राशि का स्वामी है। और रिश्तों में माता का कारक माना जाता है। इसलिए मातृ सुख के लिए चन्द्रमा के बल को देखा जाता है और माता से लगाव पैदा करने के लिए भी मोती को धारण करने की परम्परा है। मोती वास्तव में चन्द्रमा का रत्न है। इसे संस्कृत में मुक्तक कहा जाता है। किसी समय इसे चन्द्रमणि भी कहा जाता था।
वैसे तो मोती चन्द्रमा का प्रतिनिधि रत्न माना जाता है। लेकिन जो लोग किसी भी प्रकार से मानसिक यातना और तनाव का सामना कर रहे होते हैं उनके लिए मोती रामबाण की तरह है। लेकिन फिर भी मोती को पहनने से पहले कुंडली का अवलोकन जरूरी है। क्योंकि मोती या कोई भी रत्न कुंडली के अनुसार ही धारण किया जाना चाहिए। फिर भी मोती चूंकि बहुत शीतल प्रकृति का रत्न है इसलिए माना जाता है कि मोती वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर भी धारण किया जा सकता है। जैसे जब आपको यह लगे कि आपके डिसिजन गलत हो रहे हैं और उन गल्तियों के कारण आपको बहुत नुकसान हो रहा है तो अवश्य मोती धारण कर लेना चाहिए। क्योंकि मोती आपके सोचने और समझने की क्षमता को बहुत बढ़ा-चढ़ा देता है। जिससे आपके निर्णय हमेशा ठीक होंगे और आपको बाद में पछताना नहीं पड़ेगा। यदि कुंडली की बात करें तो जब आपका मेष, वृष, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक या मीन लग्न है तो आप मोती पहन सकते हैं। यदि आपकी राशि कर्क हो तो भी मोती पहन सकते हैं। जब आपकी उम्र 36 वर्ष से अधिक हो चुकी हो तो भी मोती धारण किया जाता सकता है।
मोती हमेशा गोल होना चाहिए। इसलिए केवल वही मोती धारण करें तो हथेली पर लेने पर मूवमेंट करता हो। जो मोती हथेली पर लेने पर एक ही स्थान पर टिक जाता हो वह मोती बहुत अच्छा परिणाम नहीं दे पाता है। कभी भी खंडित या बेडौल मोती धारण नहीं करना चाहिए। जिस मोती में काले धब्बे हो वह भी धारण योग्य नहीं होता है।
वैसे तो दूसरे रत्नों के साथ किसी रत्न को धारण करने का अर्थ होता है कि एक ही उंगली या अंगूठी में दो या ज्यादा रत्न धारण करना। यदि आप किसी दूसरी अंगुली में मोती के अलावा कोई रत्न धारण करना चाहते हैं तो निःसंकोच धारण कर सकते हैं। इस स्थिति में कोई शास्त्रीय बंधन नहीं है। लेकिन एक ही अंगूठी या अंगूठी में मोती के साथ दूसरा रत्न धारण करना हो तो नीलम, गोमेद और लहसुनिया कभी भी मोती के साथ नहीं होने चाहिए। इसके अलावा माणिक्य, पन्ना और हीरा भी मोती के साथ ही अंगूठी या अंगुली में पहना जाना बहुत शुभ नहीं होता है। पुखराज और मूंगा मोती के साथ पहन सकते हैं।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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