Ram Navami 2024: भारतीय कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नये वर्ष की शुरुआत होती है। गत 8 अप्रैल 2024 को 2081 का नया विक्रम संवत आरम्भ हो चुका है। इसी मास की नवमी तिथि को भगवान श्रीराम का जन्म दिन माना जाता है। जिस प्रकार से चैत्र मास की प्रतिपदा को शुभ मुहूर्त माना जाता है इसी प्रकार से राम नवमी को भी सर्वसिद्ध मुहूर्त माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किसी भी कार्य की शुरुआत हमेशा शुभ होती है।
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क्या आप जानते हैं कि इस बात को बहुत वर्ष नहीं हुए है कि रामनवमी को नये खातों का श्रीगणेश होता था। व्यापारी नई बुक्स अर्थात् बही-खातों का आरम्भ करते थे। आज भी बहुत से लोग शगुन के तौर पर रामनवमी को नई खाता-बही को लिखने की शुरूआत करते हैं। हालांकि वर्तमान में यह चलन 1 अप्रैल से आरम्भ हो चुका है। लेकिन इसके बावजूद प्रत्येक व्यापारी को नवमी के दिन एक रोकड़ की शुरूआत जरूर करनी चाहिए। नई बही पर श्रीं और स्वस्तिक का कुंकुम से अंकन करें। बही के पहले पृष्ठ पर तिथि के तौर पर श्री चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी, संवत् 2081 वार बुधवार, अंकित करें। इस प्रकार से रामनवमी के शुभ फलों से व्यापार में लगातार उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
श्रीराम का जन्म चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को गुरुवार के दिन माना जाता है। इस दिन पुष्य नक्षत्र था और भगवान श्रीराम का जन्म प्रसिद्ध कर्क लग्न में हुआ था। उपरोक्त पौराणिक मत से श्रीराम का जन्मांग चक्र निम्न प्रकार से बनता है।
भगवान श्रीराम के जन्मांग चक्र में उच्चस्थ बृहस्पति और स्वराशिस्थ चन्द्रमा पड़े हैं। चन्द्रमा पक्षबली भी है। और चन्द्र-बृहस्पति से शक्तिशाली गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। इस योग के कारण ही श्रीराम को अमर लोकप्रियता, स्नेहीजनों का वात्सल्य और प्रजा का असीम प्रेम मिला।
मंगल-शनि की संयुक्त पाप दृष्टि के कारण भगवान श्री राम की देह श्याम वर्ण थी। लेकिन बृहस्पति-चन्द्रमा और लग्नेश की जलीय राशि कर्क ने उनको अनुपम सौंदर्य, तेज और रूप लावण्य से भरपूर काया प्रदान की। आधुनिक संदर्भ में बात करें तो दक्षिण भारतीय ज्योतिषी श्री एन. नरसिंह राव के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म 11 फरवरी 4433 ईसा पूर्व हुआ था। इनका जन्म अयोध्या में प्रातः 10 बजकर 50 मिनट पर माना गया है। वैसे ज्यादातर मान्यताओं में श्रीराम का जन्म अभिजीत में माना जाता है।
उपरोक्त जन्मपत्रिका के अनुसार श्रीराम को मांगलिक दिखाया गया है। जो कि उनके कष्टपूर्ण वैवाहिक जीवन का प्रतीक है। देवी सीता से उनका एक वर्ष का अलगाव भी इसी सप्तमस्थ मंगल के कारण ही हुआ होगा। प्रो. श्रीनिवास राघवन के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म 10 जनवरी 4439 ईसा पूर्व हुआ। दोनों मतों में करीब पांच वर्ष का अंतर दिखाई देता है। काल की पेचिदगियों के परिप्रेक्ष्य में यह क्षम्य है। एक तीसरे मत से श्रीराम का जन्म 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व को हुआ माना जाता है। श्रीराम का यह जन्म काल श्री हनुमान के जन्म से कुछ सामंजस्य रखता है। आधुनिक मतों के अनुसार श्री हनुमान का जन्म 5139 ईसा पूर्व हुआ था।
अंग्रेजी दिनांक के आधार पर बात करें तो 16 अप्रैल 2024 दोपहर 1 बजकर 25 मिनट से नवमी तिथि का आरम्भ हो चुका होगा। लेकिन शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय की तिथि को ही मान्यता प्राप्त है। इस प्रकार से देखें तो अंग्रेजी दिनांक 17 अप्रैल को रामनवमी तिथि आती है। इसलिए रामनवमी 17 अप्रैल को ही आयोज्य की जानी चाहिए।
श्री चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान श्रीराम ने अयोध्या नगरी के महाराजा दशरथ के पुत्र के रूप में अवतार लिया था। भगवान श्रीराम का अवतरण अभिजीत मुहूर्त में होना प्रसिद्ध है। इसलिए अभिजीत में ही भगवान की पूजा करने का विधान है। लेकिन इस रामनवमी को बुधवार होने के कारण अभिजीत मुहूर्त शास्त्र सम्मत नहीं है। वैसे रामनवमी स्वयं में स्वयंसिद्ध मुहूर्त है फिर भी प्रातः 07 बजकर 45 मिनट से 09 बजकर 15 मिनट तक का समय मुहूर्त का अमृत काल है। इस समय पर भगवान श्रीराम की पूजा की जानी चाहिए। इसके अलावा प्रातः 11 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 15 मिनट भी पूजा के लिए शुभ समय अवधि है। Astrologer Satyanarayan Jangid
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