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गाजियाबाद समेत उत्तर प्रदेश में किस – किस ज़िले का होगा नाम परिवर्तन

Desk Team

किसी बड़े लेखक ने क्या खूब लिखा था नाम में क्या रखा है। हालंकि ये लाइन एक नाटक का हिस्सा थी। फिर भी इस बात को लेकर कई लोगो की विभिन्न राय है। किसी का मानना है की एक नाम बनाने में कई दिन से लेकर एक उम्र बीत जाती है और नाम ख़राब करने में एक क्षण भी नहीं लगता। उत्तरप्रदेश में की राजनीति नाम परिवर्तन को लेकर राजनीतिक पारा कभी भी गरमा जाता है। योगी सरकार ने जब से उत्तर प्रदेश की सत्ता की ज़िम्मेदारी संभाली तब से प्रदेश में कई बड़े बदलाव हुए है। जिसमे जिलों के नाम में परिवर्तन बड़े बदलावों में से एक है। भारत की राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के जिला गाज़ियाबाद का नाम परिवर्तन होने की खबरे एक बार फिर से चर्चा में है। आज की इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कौन से और उत्तर प्रदेश के जिले है जिनके नाम बदलने की मांग चल रही है। इन जिलों के संभावित नाम क्या हो सकते है। उत्तरप्रदेश में जिलों के नाम करण होने का चलन नया नहीं है। योगी सरकार से पहले की सरकारे भी जिलों के नाम बदल चुकी है।

गाज़ियाबाद में क्यों उठी मांग

गाजियाबाद का नाम गजनगर या फिर हरनंदी नगर करने की मांग हो रही है। गाजियाबाद के कई हिंदू संगठनों की मांग के बाद नगर निगम की बैठक में इस विषय पर चर्चा हुई। भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों ने एक बैठक में इस विषय पर प्रस्ताव भी पेश किया जिस पर अन्य पार्षदों ने भी सहमति जताई।

योगी सरकार इन जिलों का बदल चुके है नाम

2018 में योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया। इसके बाद फैजाबाद का नाम अयोध्‍या कर दिया गया। इसके बाद से यूपी के कई जिलों के नाम बदलने की मांग चल रही है। आइए जानते हैं ऐसे जिले जिन की नाम बदलने की मांग चल रही है।

नाम बदलने का चलन नया नहीं


उत्तरप्रदेश में जिलों का नाम बदलना कोई नई बात नहीं है इससे पहले बसपा के शासनकाल में भी बदलाव हो चुके है। उस समय की मुख्यमंत्री मायावती ने अमेठी को छत्रपति शाहूजी महाराजनगर, हाथरस को महामायानगर, कानपुर देहात को रमाबाई नगर और कासगंज को कांशीराम नगर बना दिया था।

सपा ने बदले नाम को लिया वापसी

इसके बाद सपा सरकार आई तो मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने मायावती की तरफ से बदले गए जिलों के नाम वापस कर दिए थे। 2017 में योगी आदित्‍यनाथ के मुख्‍यमंत्री बनने पर फिर से जिलों के नाम बदलने की शुरुआत हो गई। 2017 में सबसे पहले मुगलसराय तहसील का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय किया गया। केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद 2018 में मुगलसराय रेलवे स्‍टेशन का नाम भी पंडित दीनदयान के नाम पर हो गया।

नया नाम करने की मांग

जिलानया नाम करने की मांग
गाजियाबादगजप्रस्थ, हरनंदीपुरम या दूधेश्वरनाथ नगर
अलीगढ़हरीगढ़
लखनऊलक्ष्‍मणपुरी
आगराअग्रवन
आजमगढ़आर्यमगढ़
सुल्‍तानपुरकुशभवनपुर
फर्रुखाबादपांचाल नगर
बदायूंवेद मऊ
फिरोजाबादचंद्रनगर
शाहजहांपुरशाजीपुर
मैनपुरीमयानपुरी
संभलकल्कि नगर या पृथ्‍वीराज नगर
देवबंददेववृंदपुर
गाजीपुरविश्‍वामित्र नगर
बहराइचमहाराजा सुहेलदेव नगर
2018 से चल रही गाजियाबाद का नाम बदलने की मांग

दरअसल गाजियाबाद जिले के नाम में परिवर्तन की मांग 2018 से हो रही है।
दो वर्ष से पूर्व 2022 में भाजपा पार्षद संजय सिंह ने मुख्यमंत्री योगी अदितयनाथ से मिलकर इस विषय में ज्ञापन सौंपा।

प्रस्तावित नाम

दो साल पहले 2022 में बीजेपी पार्षद संजय सिंह ने सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर इस संबंध में ज्ञापन सौंपा था। इस दौरान गाजियाबाद का नाम बदलकर गजप्रस्थ, हरनंदीपुरम या दूधेश्वरनाथ नगर किए जाने का प्रस्ताव रखा गया। संजय सिंह ने गजप्रस्थ नाम के पीछे महाभारतकालीन हस्तिनापुर राजधानी का जिक्र किया, जब यह वन्य क्षेत्र हुआ करता था और हाथी मुख्य जानवर था। इसके अलावा यहां बहने वाली हिंडन नदी के आधार पर हरनंदी नगर नाम और दूधेश्वर नाथ मंदिर की वजह से नाम रखे जाने का प्रस्ताव रखा गया।

अब गजीपुर और बहराइच को लेकर होने लगी मांग

गाजियाबाद के आलावा कुछ और जिलों से भी नाम बदलने की लगातार मांग हो रही है। कुछ वक्त पहले सुभासपा के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने भी गाजीपुर और बहराइच का नाम बदलें जाने की डिमांड करी थी। इस विषय में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी को पत्र भी लिखा था। इसमें उन्‍होंने कहा है कि गाजीपुर के पौराणिक इतिहास में महर्षि विश्‍वामित्र और बहराइच के इतिहास में महाराजा सुहेलदेव राजभर की बड़ी भूमिका रही है। इसलिए गाजीपुर का नाम विश्‍वामित्र नगर और बहराइच का नाम महाराजा सुहेलदेव नगर किया जाए।

उत्तर प्रदेश की राजधानी के नाम में बदलाव की मांग

प्रतापगढ़ से भाजपा सांसद संगमलाल गुप्‍ता भी लखनऊ का नाम बदलने की मांग कर चुके हैं। सीएम को लिखे पत्र में उन्‍होंने यूपी की राजधानी का नाम लक्ष्‍मणपुर किए जाने की मांग की है।