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Year ender 2023 : चांद, सूरज के बाद अंतरिक्ष, भारत के लिए जय विज्ञान का साल

Desk Team

अपने अंतरिक्ष विजय अभियान को तेज करते हुए इस साल भारत ने चंद्रमा और सूर्य, दोनों ग्रहों पर अपनी सशक्‍त उपस्थिति दर्ज कराई। दोनों अभियान, अपनी तरह से अनूठे थे। खासकर चंद्रयान-3, जिसने न सिर्फ चार साल पहले के भारतीय चंद्र मिशन-2 की असफलता से उपजी हताशा को दूर किया, बल्कि कई अभू‍तपूर्व उपलब्धियां भी अपने नाम लिखाईं। जैसे कि इसकी सफलता ने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने वाला पहला और चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला विश्‍व का चौथा देश बनाया।

   HIGHLIGHTS 

  • चांद, सूरज के बाद अंतरिक्ष, भारत के लिए जय विज्ञान का साल 
  • चंद्रमा की चट्टानों और मिट्टी में मौजूद ऑक्सीजन   
  • सिंतबर को इसरो ने एक और रिकॉर्ड बनाया  

चंद्रमा की चट्टानों और मिट्टी में मौजूद ऑक्सीजन

इसके रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा की चट्टानों और मिट्टी में मौजूद ऑक्सीजन के अलावा एल्यूमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैगनीज, सिलिकॉन और सल्‍फर (गंधक) की उपस्थिति का पता लगाकर वहॉं वाटर आइस की मौजूदगी की उम्‍मीदों को मजबूत किया। इसी ने पहली बार दुनिया भर के अंतरिक्ष विज्ञानियों को बताया कि चंद्रमा की ऊपरी और निचली सतह के तापमान के बीच का अंतर उनके अनुमान से, 40-50 डिग्री सेंटीग्रेड ज्‍यादा है।

सिंतबर को इसरो ने एक और रिकॉर्ड बनाया

इसके कुछ ही दिनों के भीतर, 2 सिंतबर को इसरो ने एक और रिकॉर्ड बनाया। देश के पहले सोलर मिशन आदित्‍य एल-1 को अंतरिक्ष में भेजकर। इस अभियान का उद्देश्‍य, अंतरिक्ष के मौसम पर सौर गतिविधियों के प्रभावों को समझना और उनका अध्ययन करना है। पीएसएलवी के जरिए अंतरिक्ष में भेजे गए आदित्‍य को एक दिन बाद ही भीषण सौर तूफान का सामना करना पड़ा। लेकिन, विशिष्‍ट धातुओं से बनी उसकी मजबूत देह यह तूफान आसानी से झेल गई और मिशन इससे अप्रभावित रहा। इस तरह आदित्‍य ने विश्‍व को बता दिया कि वह भी भारत के इरादों जितना ही मजबूत है। यह अगले वर्ष 7 जनवरी को एल 1 पॉइंट पर पहुँचेगा।

भारत की तीसरी उपलब्धि है गगनयान


21 अक्‍टूबर को भारत ने गगनयान मिशन की पहली टेस्‍ट फ्लाइट लॉन्‍च कर इतिहास रच दिया। यह 2025 में भारत के मानवयुक्‍त अभियान की पहली परीक्षण उड़ान थी, जिसमें इसरो ने अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बनाए गए क्रू मॉड्यूल को एक रॉकेट के जरिए, पृथ्‍वी से साढ़े सोलह किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाने में सफलता प्राप्‍त की और अगले साल की दूसरी परीक्षण उड़ान के लिए रास्‍ता खोल दिया, जिसमें व्‍योममित्रा नामक यंत्रमानव को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इन तीन शानदार उपलब्‍धियों से पहले भी इसरो ने कई बड़ी उपलब्धियॉं हासिल की थीं। जैसे कि 1 अप्रैल को री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल का सफल परीक्षण। यह विश्‍व में पहली बार था, जब विंग बॉडी एयरक्राफ्ट को हेलिकॉप्टर से साढ़े चार किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाकर हवाई जहाज की तरह रनवे पर लैंडिग के लिए छोड़ा गया और वह सुरक्षित रहा। इससे पहले के सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल आसमान में जाने के बाद नष्ट हो जाते थे। इस सफलता का मतलब यह है कि एक ही व्‍हीकल को बार-बार इस्‍तेमाल करने से भविष्‍य में अंतरिक्ष अभियानों की लागत कम होगी और अंतरिक्ष पर्यटन को भी सुगम व सस्‍ता बनाया जा सकेगा।

संस्‍थागत भागीदारी का मार्ग प्रशस्‍त

अप्रैल 2023 में सरकार ने अपनी बहु प्रतीक्षित भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 को मंजूरी देकर अंतरिक्ष अभियानों व परिचालनों में निजी क्षेत्र की संस्‍थागत भागीदारी का मार्ग प्रशस्‍त कर दिया। इससे निवेश और नवाचारों को तो बढ़ावा मिलेगा ही, साथ ही भारत के एक स्‍पेस सुपरपॉवर बनने में भी मदद मिलेगी। यह नीति इसरो, इन-स्‍पेस, एनजीई और न्‍यू स्‍पेस इंडिया लिमिटेड की भूमिकाओं और दायित्‍वों को परिभाषित करती है। रक्षा उत्‍पादन और निर्यात, दोनों उच्‍चस्‍तर पर जहॉं तक रक्षा क्षेत्र की बात है तो यहॉं भी भारत ने कई कीर्तिमान बनाए हैं। जैसे कि पहली बार भारत में रक्षा उत्‍पादन ने एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर लिया। इसकी वजह नीतिगत सुधार, आपूर्ति श्रृंखला में एमएसएमई और स्टार्ट-अप का एकीकरण आदि शामिल हैं। इनके चलते, डिजाइन, डेवलपमेंट और प्रोडक्‍शन में इनका योगदान बढ़ा है। निजी उद्यमियों को प्रोत्‍साहित करने से देश का रक्षा निर्यात भी अपने उच्‍चतम स्‍तर, 16 हजार करोड़ रुपए, पर जा पहुँचा। वर्तमान में देश की सौ से अधिक कंपनियॉं 85 से अधिक देशों को डोर्नियर-228, 155 मिमी एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन, ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम, रडार, सिमुलेटर, माइन प्रोटेक्टेड वाहन, बख्तरबंद वाहन, पिनाका रॉकेट और लॉन्चर, गोला-बारूद, थर्मल इमेजर्स, बॉडी आर्मर जैसे उत्‍पाद निर्यात कर रही हैं।

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