हरियाणा सिविल मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर सोमवार को सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने दो घंटे तक हड़ताल की। डॉक्टरों की हड़ताल के चलते सरकारी अस्पतालों में ओपीडी में कामकाज ठप रहा। दरअसल, हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने और स्पेशलिस्ट का अलग कैडर बनाए जाने की मांग को लेकर हरियाणा सिविल मेडिकल एसोसिएशन ने हड़ताल का आह्वान किया था। डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर सोमवार सुबह दो घंटे के लिए विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने सरकार से मांगें पूरी करने का आह्वान किया।
हरियाणा सिविल मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजेश ख्यालिया ने कहा, "हमने पहले भी सरकार के सामने अपनी मांगें रखी हैं। हमारी मांग है कि हरियाणा में डॉक्टरों की कमी को पूरा किया जाए। स्वास्थ्य विभाग में जो कमियां हैं, उन्हें भी दूर किया जाए। एक डॉक्टर रोजाना लगभग 200 से 250 मरीजों को देखता है। डब्लूएचओ ने खुद कहा है कि एक डॉक्टर सिर्फ 60 से 70 मरीजों की जांच करे। इसलिए डॉक्टरों की कमी के कारण हम मरीजों को पूरा समय नहीं दे पाते हैं, जिस वजह से डॉक्टर और मरीज दोनों परेशान हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि मरीजों का अच्छा इलाज करने के लिए डॉक्टरों की संख्या अधिक होनी चाहिए। हरियाणा में करीब 10 हजार डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में होने चाहिए, लेकिन इस समय राज्य में डॉक्टरों की संख्या लगभग 3 हजार है। एक डॉक्टर पर मरीजों का काफी भार है। हम सरकार के सामने अपनी मांगों को लगातार उठाते आ रहे हैं, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। डॉ. राजेश ख्यालिया ने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि एसएमओ की सीधी भर्ती पर रोक लगाई जाए और पीजी बॉन्ड की कीमत 50 लाख से एक करोड़ रुपये तक की जाए। उन्होंने कहा कि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन छह महीने बाद भी मांगों को पूरा नहीं किया गया। उन्होंने डीजी हेल्थ ऑफिस पर भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हमने अपनी मांगों से संबंधित फाइल को डीजी हेल्थ ऑफिस भेजा था, लेकिन उन्होंने हमारी फाइल को अपने पास ही होल्ड कर दिया। अब हमने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन शुरू किया तो उसके बाद हमारी फाइलों पर ध्यान जा रहा है।
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