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Haryana News: हरियाणा में विधायक का निधन, अल्पमत में चल रही सरकार पर गहराया संकट; जानें क्या कहता है नियम?

Desk News

Haryana News: हरियाणा में अल्पमत में चल रही भारतीय जनता पार्टी की सरकार का संकट गहराता हुआ नजर आ रहा है। निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद की हार्ट अटैक से अचानक मौत हो गई है, जिसके बाद सरकार के सामने बहुमत का संकट खड़ा हो गया है। हरियाणा में बीजेपी के पास 42 विधायकों का समर्थन है। मौजूदा विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 44 है। बहुमत के लिए बीजेपी को दो और विधायकों का समर्थन चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधायक के आकस्मिक निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि दौलताबाद ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। पीएम मोदी ने एक्स पोस्ट में लिखा "हरियाणा के विधायक राकेश दौलताबाद जी के आकस्मिक निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से बहुत ही कम उम्र में लोगों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई। उनका निधन राज्य की राजनीति के लिए बड़ी क्षति है. दुख की इस घड़ी में भगवान उनके परिवार और समर्थकों को शक्ति प्रदान करें।' ओम शांति,'' 

दरसल हरियाणा में निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के मौत के बाद राज्य की नायब सिंह सैनी सरकार मुश्किल में फंस गई है। राकेश हरियाणा की बादशाहपुर विधानसभा सीट से विधायक थे, जो कि गुरुग्राम जिले के अंतर्गत आती है। शनिवार को हार्ट अटैक की वजह से उनकी मौत हो गई। निर्दलीय विधायक की मौत के बाद पहले से अल्पमत में चल रही नायब सिंह सैनी सरकार के सामने बहुमत का आंकड़ा हासिल करना एक बड़ी चुनौती बन गई है। इससे पहले तीन निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया था जिसके वजह से सरकार अल्पमत में चल रही थी। अब एक और विधायक की कमी हो गई है।

क्या है हरियाणा का नंबर गेम?
हरियाणा के 90 विधायक दल वाले सदन में फिलहाल कुल विधायक 87 हैं। लोकसभा चुनाव लड़ रहे और विधायक पद से इस्तीफा दे चुके पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और रणजीत चौटाला के इस्तीफों और निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद की मौत के बाद तीन विधायक पद खाली हैं। हरियाणा विधानसभा में बहुमत का आकंड़ा 44 है। लेकिन ना तो कांग्रेस के पास बहुमत है और ना ही बीजेपी के पास।

राकेश दौलताबाद की मौत के बाद तीन सीटें खाली
वर्तमान में बीजेपी के 40 विधायक हैं और एक निर्दलीय व हरियाणा लोकहित पार्टी के विधायक गोपाल कांडा के सपोर्ट के बाद बीजेपी के पास कुल 42 विधायकों का समर्थन है। लेकिन राकेश के निधन के बाद यह आंकड़ा 41 पहुंच गया है। अब सैनी को अपनी सरकार बचाने के लिए 3 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी जबकि पहले दो के समर्थन से ही बात बन जाती। हालांकि बहुमत के लिए भारतीय जनता पार्टी को दो और विधायकों की जरूरत है।

कांग्रेस के पास 33 विधायकों का समर्थन
वहीं विपक्षी पार्टी कांग्रेस के विधानसभा में 30 विधायक हैं। तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ कांग्रेस के पास कुल 33 विधायकों का समर्थन है। सदन में 12 विधायक न्यूट्रल भूमिका में हैं यानी वे किसी के पक्ष में नहीं हैं। इनमें जेजेपी के 10 विधायक, इंडियन नेशनल लोकदल के अभय चौटाला और निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू शामिल हैं। हलांकि अल्पमत में होने के बाद भी हरिणाया सरकार के गिरने का खतरा नहीं है।

क्या कहता है नियम?
अब सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस अभी बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए सदन में कह सकती है या नही ? तो इसका जवाब है- नहीं, क्योंकि कानून के मुताबिक, एक बार बहुमत साबित करने के बाद छह महीने तक विधानसभा में कोई बहुमत परीक्षण नहीं होता है। इस हिसाब से देखें तो सैनी सरकार के पास 13 सितंबर तक का समय है। इसके बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव का दौर शुरू हो जाएगा।

सरकार गिरने का खतरा नहीं
कुछ दिनों पहले हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार से तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद राज्य अल्पमत में आ गई थी। इन तीनों विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दिया है। निर्दलीय विधायकों के पाला बदल लेने से राजनीतिक समीकरण भी बदल गए थे। हालांकि, सरकार गिरने का खतरा नहीं है।

उपचुनाव पर भी टिकी हैं नजरें
लोकसभा चुनाव के साथ-साथ करनाल में विधानसभा का उप-चुनाव भी हो रहा है। पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हुई थी। इस सीट से नायब सिंह सैनी चुनाव मैदान में हैं। ऐसे में अगर उप-चुनाव में सैनी की जीत हो जाती है तो यह बीजेपी की राह और आसान कर देगी।

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