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Solar Eclipse 2024: सूर्यग्रहण पर लॉन्च किए जाएंगे तीन रॉकेट, जानिए क्या है वजह 

Shera Rajput

SOLAR ECLIPSE 2024 : वर्ष 2024 का पहला सूर्यग्रहण आज यानी 8 अप्रैल को लगने जा रहा है। यह एक अनोखा ग्रहण है जो आज से पहले 1971 में लगा था और अब 54 वर्ष के बाद ये ग्रहण फिर लगने जा रहा है।

भारतीय समय के अनुसार वर्ष 2024 का ये सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को रात 09 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर रात 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा। सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। ये ग्रहण एक पूर्ण सूर्य ग्रहण है जो की सोमवती अमावस्या के दिन लग रहा है।

कहां दिखाई देगा ये ग्रहण ?
ये सूर्य ग्रहण भरता में दिखाई नहीं देगा बल्कि ये पश्चिमी यूरोप, पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक, मेक्सिको, उत्तरी अमेरिका, कनाडा, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भागों में, इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम क्षेत्र और आयरलैंड में ही दिखाई देगा।

क्या होता है सूर्य ग्रहण ?
ग्रहण एक खास समय अवधि होती है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा के आने के कारण सूर्य का प्रकाश धरती तक नहीं पहुँच पता है और चंद्रमा की छाया ही धरती पर पड़ पाती है जिकी वजह से उस समय रात जैसा नजारा देखने को मिलता है।

क्या होता है सोमवती अमावस्या ?
सोमवती अमावस्या ऐसा मुहूर्त होता है जिस दिन दान-स्नान की प्राथमिकता होती है। चूँकि ग्रहण सोमवती अमावस्या के दिन लग रहा है इसीलिए लोग कन्फ्यूज्ड है कि वो क्या करे वो दान-स्नान करें या नहीं ?

क्या होता है ये सूतक काल ?
सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले का समय सूतक काल कहलाता है। ये एक ऐसा समय होता है जब पूजा-पाठ, दान स्नान सब नहीं की जाती है। लेकिन ज्योतिषियों का कहना है कि सूतक काल वहीं मान्य होता है जहां सूर्य ग्रहण देखा जाता है चूँकि आज का ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसीलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा।

सूर्य ग्रहण का इतिहास –
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण का उल्लेख इतिहास के घटानों में मिलता है. एक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि सबसे सबसे पहला सूर्य ग्रहण समुद्र मंथन के समय हुआ था। एक मान्यता ये भी है कि भगवान राम ने खर-दूषण का वध सूर्य ग्रहण के दिन ही किया था। इसके साथ ही महाभारत काल में जिस दिन पांडव जुए में हारे थे, उस दिन भी सूर्य ग्रहण लगा था. वहीं रामायण के अरण्य कांड में भी सूर्य ग्रहण का जिक्र मिलता है.

इस सूर्य ग्रहण के लिए क्या है वैज्ञानिकों की तयारी ?
वैज्ञानिकों ने इस ग्रहण के दौरान ग्रह के वातावरण में होने वाले परिवर्तन की निगरानी के लिए फ्लोरिडा में एम्ब्री रिडल एयरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी में आरोह बड़जात्या ग्रहण से सैकड़ों किमी की दूरी पर तीन साउंडिंग रॉकेट रॉकेट लॉन्च करने का फैसला लिया है। जिस राकेट की लम्बाई 18 मीटर है।