सभी चाहते हैं कि वे एक सफल जीवन जिये। लेकिन दुर्भाग्यवश सभी के लिए यह संभव नहीं हो पाता है। इसके बहुत से कारण हो सकते हैं। जैसे जब जन्म कुंडली में कारक ग्रह पीड़ित हो तो व्यक्ति का जीवन संघर्ष में व्यतीत होता है। बहुत प्रयासों के उपरान्त भी सफलता दूर की कौड़ी बन जाती है। अनेक बार बिजनेस बदलने के बावजूद भी जातक सफलता के लिए तरसता रहता है। अच्छा पूंजी निवेश और पर्याप्त दिमाकी कसरत के बाद भी अन्ततः वही ढ़ाल के तीन पात। ऐसा क्यों होता है?
जब हम उपरोक्त स्थिति की के बारे में ज्योतिषीय कारण अनुभव करते हैं तो मैं कह सकता हूं कि किसी भी व्यक्ति के बिजनेस या नौकरी में फेल होने के उसकी जन्म कुंडली में अनेक कारण हो सकते हैं। किसी एक योग के कारण इस प्रकार की कोई धारणा नहीं बनानी चाहिए। मैंने ऐसी कुण्डलियां भी देखी है जिनमें बहुत से शक्तिशाली योग होने के बावजूद भी जातक मजदूर बना रहता है। इसलिए केवल प्रसिद्ध योगों के आधार पर ही किसी के भाग्यशाली या दुर्भाग्य ग्रस्त कहना जल्दबाजी होगी। स्थूल आकलन से जो अनुभव में आता है उसके आधार पर निम्न योग होने पर व्यक्ति के जीवन में संघर्ष रह सकता है।
जीवन में बाधा और संघर्ष उत्पन्न करने वाले योग
हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि लग्न ही चीजों को ग्रहण करने की शक्ति रखता है। जैसे यदि हमारे शरीर में ताकत नहीं होगी तो हम सांसारिक वस्तुओं को भोग नहीं पायेंगे। केवल देखते रहेंगे। उसी प्रकार से जब किसी कुंडली में उदय लग्न, चन्द्र लग्न और सूर्य लग्न तीनों के स्वामी ग्रह बलहीन होकर 6-8-12 में चले जाएं तो जातक की ग्रहण करने की क्षमता नष्ट हो जाती है जिसके कारण जातक सफल नहीं होता है। किसी भी जन्म कुंडली में संघर्ष की पोजीशन दिखाने के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण योग है।
दूसरा महत्वपूर्ण योग है केमदु्रम यो। पूर्ण केमद्रुम होने से भी जातक बिजनेस में असफल रहता है और जीवन में एक बार दिवालिया जरूर होता है। जब चन्द्रमा से लग्न, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, दशम या द्वादश भाव में कोई शुभ ग्रह नहीं हो तो केमदु्रम योग बनता है। यह गरीबी का प्रसिद्ध योग है। यह होने का मतलब है जीवन में संघर्ष जरूर होगा।
यदि चौथे भाव में पाप ग्रह हों तो जीवन में संघर्ष रह सकता है।
जब अमावस्या के आसपास जन्म हो अर्थात चन्द्रमा पक्ष बलहीन होकर छठे, आठवें या बारहवें भाव में चला जाए तो बिजनेस में नुकसान हो सकता है।
उपरोक्त साधारणतया पाये जाने वाले योग हैं। इनके अलावा भी बहुत से योग बनते हैं जो कि जीवन में संघर्ष पैदा करते हैं। इसलिए पूरी कुंडली का अवलोकन करने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाना चाहिए।
जिस तरह से जन्म कुंडली में योग होते हैं उसी प्रकार से हस्तरेखाओं में भी कुछ योग पाए जाते हैं जिनके होने से व्यक्ति लगभग जीवन भर गरीब बना रहता है। यहां मैं कुछ महत्वपूर्ण योगों के बारे में जानकारी दे रहा हूं जिनको पढ़कर एक सामान्य व्यक्ति भी अपने हथेली के आधार पर एक दृष्टिकोण बना सकता है।
जब शनि ग्रह का क्षेत्र दबा हुआ हो, और वहां पर गड्ढ़ा जैसा दिखाई दे और साथ हथेली में शुक्रमुद्रिका भी हो तो निश्चित तौर पर आर्थिक संकट आते हैं और कोई भी कार्य आसानी से नहीं होता है।
जब हथेली मध्य से गहरी हो तो भी व्यक्ति को जीवन में आसानी से सफलता नहीं मिलती है। यदि दूसरी रेखाएं और ग्रह ठीक हो तो संघर्ष के बाद या अधिक प्रयासों के बाद कुछ हद तक सफलता मिलती है।
धन के मामले में हाथों में बृहस्पति का क्षेत्र और तर्जनी अंगुली को भी देखना चाहिए। यह दोनों दोष ग्रस्त हों तो भी जीवन गरीबी पीछा नहीं छोड़ती है। जब बृहस्पति का क्षेत्र और तर्जनी अंगुली खराब हो तो खाने पीने की वस्तुओं का व्यापार नहीं करना चाहिए।
जब अंगुलियों के नाखून बहुत ज्यादा ऊपर उठे हुए तो भी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती है। जीवन में सफलता एक उम्र के बाद ही मिल पाती है। युवावस्था में संघर्ष रहता है।
वास्तु दोषों से भी गरीबी आती है
यदि जन्म कुंडली और हस्त रेखाओं में सब कुछ ठीक दिखाई दे रहा हो तो घर का वास्तु चेक करना चाहिए। आमतौर पर देखा जाता है कि यदि नैर्ऋत्य कोण में गहरा गड्ढ़ा हो या फिर वहां बेसमेन्ट हो तो भी बिजनेस बंद हो जाता है और व्यक्ति को शहर छोड़ कर जाना पड़ता है।
जब ईशान कोण में टॉयलेट, किचन, सीढ़ियां जैसे अशुभ निर्माण हो तो व्यक्ति अपने गलत फैसलों के कारण बर्बाद हो जाता है।
जब अग्नि कोण में पानी का स्थान हो या फिर टॉयलेट जैसे निर्माण हो तो बिजनेस बंद हो जाता है। प्रतिदिन आमदनी कम होती जाती है और अन्ततः सब कुछ खत्म हो जाता है।
जब घर का मुख्य द्वार अशुभ देवता या किसी असुर के स्थान पर हो तो भी घर में धन का प्रवेश नहीं होता है। घर में महिलाओं के मध्य विवाद होकर कलह का वातावरण बना रहता है।
क्या करें
सर्वप्रथम तो मैंने जो ऊपर वास्तु दोष बताएं हैं यदि वे घर में है तो पहले उनको दूर करना चाहिए। यदि रेंट का मकान है तो मकान को बदल लेना चाहिए। यदि स्वयं का घर है तो जितना जल्दी हो सके वास्तु दोषों को ठीक करें। यदि जन्म कुंडली में खराब योग बन रहे हों तो अशुभ ग्रहों की शान्ति करवानी चाहिए। यदि आप ज्यादा खर्च करने की स्थिति में नहीं है तो अशुभ ग्रहों के मंत्र जाप करें और उनके दान करें। यदि शुभ और कारक ग्रह कमजोर और पीड़त हो तो उनके रत्न धारण करें और उनसे संबंधित अंकों को जीवन में बार-बार प्रयोग करें।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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