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दिल्ली की एक अदालत ने 'आबकारी नीति घोटाले' में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की वह याचिका बुधवार को खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने अपने वकीलों के साथ मुलाकात के लिए और समय दिए जाने का अनुरोध किया था। अदालत ने कहा कि संबंधित नियम केजरीवाल पर और अन्य कैदियों पर समान रूप से लागू होते हैं और उन्होंने कुछ प्रशासनिक निर्देश जारी करने के लिए अदालत द्वारा अनुमति दी गई कानूनी परामर्श का कथित तौर पर उपयोग किया था।
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केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामलों की विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि इस मामले में उन्हें राहत देने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है। अदालत ने हर सप्ताह अपने वकीलों के साथ पांच बैठकें करने की केजरीवाल की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह अदालत को संतुष्ट करने में विफल रहे कि वह प्रति सप्ताह दो अनुमत कानूनी बैठकों का उपयोग केवल अपने वकील के साथ लंबित मुकदमों पर चर्चा करने के उद्देश्य से कर रहे थे।
विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने कहा, '' ईडी द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट इंगित करती है कि आवेदक ने एक कानूनी बैठक के दौरान अपने एक वकील को जल मंत्री को दिए जाने वाले कुछ निर्देश दिए थे। इस प्रकार ऐसा प्रतीत होता है कि आवेदक अपने लंबित मुकदमों पर चर्चा करने के लिए अपने वकीलों के साथ प्रति सप्ताह दो कानूनी साक्षात्कारों की अनुमति का भी उपयोग नहीं कर रहा है और आवंटित समय का उपयोग उपरोक्त तरीके से कानूनी साक्षात्कारों के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए कर रहा है। न्यायाधीश ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि भारत का प्रत्येक नागरिक कानून की सुरक्षा का हकदार है, जो उस पर भी समान रूप से लागू होगा।
न्यायाधीश ने केजरीवाल की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि उनके खिलाफ देश भर में लगभग 35 मामले लंबित हैं, जिसके लिए उन्हें परामर्श के लिए अपने वकील से चर्चा करने के लिए अधिक समय की जरूरत है।ईडी ने केजरीवाल की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सिर्फ इस आधार पर उन्हें विशेषाधिकार नहीं दिया जा सकता कि वह जेल से सरकार चलाना चाहते हैं। केजरीवाल की ओर से पेश हुए वकील ने न्यायाधीश से कहा कि नेता के खिलाफ कई मामले लंबित हैं और किसी व्यक्ति को समझाने और निर्देश देने के लिए सप्ताह में एक घंटा पर्याप्त नहीं है।
वकील ने केजरीवाल की ओर से दलील पेश करते हुए कहा, "यह सबसे बुनियादी कानूनी अधिकार है कि मैं अपने वकील से मिलने के लिए कह रहा हूं। संजय सिंह को उनके वकील के साथ तीन बैठकों की अनुमति तब दी गई जब उनके खिलाफ केवल पांच या आठ मामले थे।"
ईडी ने केजरीवाल के उस अनुरोध का विरोध किया था, जिसमें वह हर हफ्ते अपने वकीलों से पांच बार मिलना चाहते थे। ईडी ने कहा था कि ये जेल के नियमों के खिलाफ है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने अदालत को बताया कि केजरीवाल को पहले ही अपने वकीलों के साथ एक के बजाय दो बैठकें करने की अनुमति दी गई है।
उन्होंने आरोप लगाया कि जेल के अंदर से केजरीवाल द्वारा परामर्श के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए कानूनी साक्षात्कारों का दुरुपयोग किया जा रहा है। केजरीवाल ने सलाखों के पीछे से ही सरकार संबंधी मामलों में कुछ निर्देश जारी किये हैं। उनकी आम आदमी पार्टी (आप) ने दावा किया था कि वह जेल से ही सरकार चलाएंगे। आप संयोजक ने यह दावा करते हुए अदालत में आवेदन दायर किया था कि वकीलों से मिलने के लिए हर हफ्ते केवल दो बैठक करना उनके लिए पर्याप्त नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ कई राज्यों में विभिन्न मामलों की जांच चल रही है इसलिए उन्हें वकीलों से परामर्श लेने के लिए ज्यादा समय की जरूरत है।
अदालत ने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में केजरीवाल को एक अप्रैल से 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजा है।
ईडी ने मुख्यमंत्री केजरीवाल पर आबकारी नीति घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता, नीति का मसौदा तैयार करने और उसे लागू करने, रिश्वत लेने और अंत में घोटाले से मिली आय का कुछ हिस्सा गोवा विधानसभा चुनाव के प्रचार में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।