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जगन मोहन रेड्डी को बड़ा झटका, बहन शर्मिला ज्वाइन करेगी कांग्रेस

Desk Team

वाईएसआर तेलंगाना पार्टी (वाईएसआरटीपी) की अध्यक्ष वाई.एस. शर्मिला 4 जनवरी को अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने के लिए तैयार हैं। मंगलवार को हैदराबाद में पार्टी नेताओं के साथ एक अहम बैठक के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा कि एक-दो दिन में सब कुछ साफ हो जाएगा। वाईएसआरटीपी के अन्य नेताओं ने पुष्टि की कि वह कांग्रेस में शामिल होंगी।

HIGHLIGHTS 

  • विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को दिया था समर्थन
  • शर्मिला को कांग्रेस में मिलेगा महत्वपूर्ण पद!
  • गुरुवार को शर्मिला थामेंगी कांग्रेस का हाथ

शर्मिला बुधवार को नई दिल्ली पहुंचेंगी। अगले दिन शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी में कांग्रेस पार्टी में शामिल होंगी। वाईएसआरटीपी के महासचिव टी. देवेंद्र रेड्डी ने कहा कि शर्मिला को कांग्रेस में एक महत्वपूर्ण पद मिलने की संभावना है। कांग्रेस नेतृत्व उन्हें आंध्र प्रदेश में पार्टी को पुनर्जीवित करने का काम दे सकता है। यहां पर साल 2014 में राज्य के विभाजन पर जनता के गुस्से के कारण पार्टी का लगभग सफाया हो गया था। वह 2014 और 2019 में आंध्र प्रदेश में एक भी विधानसभा या लोकसभा सीट जीतने में विफल रही और उसका वोट शेयर दो प्रतिशत से भी कम हो गया।

पार्टी को आंध्र में पुनर्जीवन देने की योजना का करेंगी नेतृत्व

कर्नाटक और हाल ही में तेलंगाना में जीत के बाद उत्साहित कांग्रेस शर्मिला के पिता और दिवंगत मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी की विरासत का सहारा लेकर आंध्र प्रदेश में पार्टी में नई जान फूंकने की उम्मीद कर रही है। शर्मिला आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के अध्यक्ष वाईएस जगन मोहन रेड्डी की बहन हैं। आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव इस साल लोकसभा चुनाव के साथ अप्रैल-मई में होने हैं। शर्मिला ने 2019 के चुनावों में वाईएसआरसीपी के लिए सक्रिय रूप से प्रचार किया था। उन्होंने तेलंगाना की राजनीति में प्रवेश किया और अपने भाई के साथ मतभेदों के बाद 2021 में वाईएसआरटीपी का गठन किया था।
उन्होंने तेलंगाना में पदयात्रा भी की थी और वाईएसआर के कल्याणकारी शासन के संदर्भ में 'राजन्ना राज्यम' लाने की शपथ ली थी।

हालांकि, तेलंगाना में राजनीतिक करियर बनाने के उनके प्रयास परिणाम देने में विफल रहे। तेलंगाना विधानसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी के विलय के लिए कांग्रेस के साथ उनकी बातचीत पार्टी नेताओं के एक वर्ग के विरोध के कारण आगे नहीं बढ़ पाई थी। लेकिन वाईएसआरटीपी ने तेलंगाना में हालिया चुनाव नहीं लड़ा और कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन दिया। शर्मिला ने कहा था कि यह निर्णय यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया था कि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के खिलाफ वोटों का विभाजन न हो।

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