भाजपा आलाकमान ने शुक्रवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री और विधायक आर. अशोक को कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त किया।
विधायक दल की बैठक के बाद की गई घोषणा
सूत्रों के अनुसार, यहां एक निजी होटल में विधायक दल की बैठक के बाद यह घोषणा की गई। पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने अशोक के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका पूर्व मंत्री और विधायक वी. सुनील कुमार ने समर्थन किया।
पार्टी आलाकमान की ओर से पर्यवेक्षक के तौर पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम को दिल्ली भेजा गया था।
बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा और उनके बेटे तथा नवनियुक्त राज्य भाजपा प्रमुख बी.वाई. विजयेंद्र भी मौजूद थे। सात बार के विधायक अशोक वर्तमान में बेंगलुरु के पद्मनाभनगर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
कम उम्र में ही आरएसएस में शामिल हुए थे अशोक
वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले अशोक कम उम्र में ही आरएसएस में शामिल हो गए थे। आपातकाल के दौरान उन्हें लालकृष्ण आडवाणी के साथ बेंगलुरु सेंट्रल जेल में एक महीने के लिए रखा गया था।
इस बीच, भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल यत्नाल ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि राज्य भाजपा को एक परिवार तक सीमित नहीं रहना चाहिए।
केंद्रीय नेतृत्व को चंद चापलूसों के आगे नहीं झुकना चाहिए – यतनाल
यतनाल ने बैठक से पहले कहा था, "मैंने राज्य में समायोजन की राजनीति के बारे में बात की है। मैंने पर्यवेक्षकों के सामने कोई मांग नहीं रखी है। केंद्रीय नेतृत्व को चंद चापलूसों के आगे नहीं झुकना चाहिए और उचित निर्णय लेना चाहिए। पर्यवेक्षक मेरी राय से खुश हैं और उन्होंने आश्वासन दिया है कि वे मेरी राय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के संज्ञान में लाएंगे।"
उन्होंने यह भी कहा था कि विपक्ष के नेता का पद उत्तर कर्नाटक क्षेत्र के किसी नेता को दिया जाना चाहिए।