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Chandrayaan-3 ने फिर कर दिया कमाल, इसमें लगा लेजर उपकरण दशकों तक रहेगा एक्टिव

Shera Rajput

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को घोषणा की कि चंद्रयान-3 लैंडर पर लेजर रेट्रोरेफ्लेक्टर एरे (एलआरए) ने चंद्रमा पर फिडुशियल पॉइंट पॉइंट (संदर्भ के लिए सटीक रूप से स्थित मार्कर) के रूप में काम करना शुरू कर दिया है।
इसरो ने कहा कि नासा के लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) ने 12 दिसंबर, 2023 को इसके द्वारा परावर्तित संकेतों का सफलतापूर्वक पता लगाकर एलआरए के उपयोग जरिए लेजर रेंज माप हासिल किया।
इसरो के मुताबिक रेंजिंग ने एलआरओ पर लूनर ऑर्बिटर लेजर अल्टीमीटर (लोला) का उपयोग किया। अवलोकन चंद, रात्रि के समय हुआ। उस समय एलआरओ चंद्रयान-3 के पूर्व में चढ़ रहा था। नासा के एलआरए को अंतरराष्ट्रीय सहयोग के तहत विक्रम लैंडर पर समायोजित किया गया है। इसमें एक अर्धगोलाकार समर्थन संरचना पर आठ कोने-घन रेट्रोरिफ्लेक्टर शामिल हैं। यह सरणी उपयुक्त उपकरण के साथ किसी भी परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष यान द्वारा विभिन्न दिशाओं से लेजर की सुविधा प्रदान करती है। लगभग 20 ग्राम वजनी निष्क्रिय ऑप्टिकल उपकरण को चंद्रमा की सतह पर दशकों तक चलने के लिए डिज़इन किया गया है।
तेईस अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा, चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर तब से लोला माप के लिए सुलभ है।