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दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर दोपहर 12 बजे किसान संगठनों की बैठक, सरकार के साथ टली आज की वार्ता

बंद के बाद किसान नेताओं ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। घंटों चली बैठक में सरकार ने साफ किया कि ये कानून वापस नहीं होंगे।

Desk Team
केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों की तरफ से मंगलवार को बुलाए गए भारत बंद का देशभर में मिला जुला असर देखने को मिला। बंद के बाद किसान नेताओं ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। घंटों चली बैठक में सरकार ने साफ किया कि ये कानून वापस नहीं होंगे। किसानों के मसले को लेकर सरकार के साथ पहले से तय आज (बुधवार) की वार्ता टल गई है। 
किसान नेताओं ने बताया कि किसानों के मसले को लेकर आज अब कोई बैठक नहीं होगी। उन्होंने बताया कि गृहमंत्री के साथ हुई बैठक में यह तय हुआ कि नए कृषि कानूनों में संशोधन को लेकर किसान संगठनों को सरकार की ओर से बुधवार को एक प्रस्ताव भेजी जाएगी। इसमें उन बिंदुओं का जिक्र होगा जिस पर सरकार कानून में संशोधन कर सकती है। इस प्रस्ताव पर विचार करके किसान नेता सरकार को अपना निर्णय बताएंगे। इसलिए फिलहाल अब कोई बैठक नहीं होगी। 
उन्होंने बताया कि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की उनकी मांग ठुकरा दी है और कहा गया है कि इन कानूनों में सिर्फ संशोधनों पर विचार किया जा सकता है। गृहमंत्री के साथ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की यह बैठक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), पूसा में हुई थी। बैठक में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेलमंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद थे। 
बैठक में किसानों के 13 नेताओंका एक प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया। उधर, किसान संगठनों के आह्वान पर मंगलवार को देशव्यापी बंद शांतिपूर्ण रहा। मोदी सरकार द्वारा लागू तीन नए कृषि कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने बीते सितंबर महीने में कृषि से जुड़े तीन कानून लागू किए जिनमें कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार के मकसद से लागू किए गए तीन नए कानूनों में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 शामिल हैं। 
किसान नेताओं का कहना है कि इन कानूनों का लाभ किसानों के बजाए कॉरपोरट को होगा, जबकि सरकार का कहना है कि ये तीनों कानून किसानों के हितों को ध्यान में रखकर ही लाए गए हैं। हालांकि सरकार किसान नेताओं के सुझावों के अनुसार, इनमें संशोधन करने को तैयार है।