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कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 42वें दिन जारी, सिंघु बॉर्डर पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात

कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध-प्रदर्शन आज 42वें दिन भी जारी है। प्रदर्शनकारी किसानों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच सोमवार को सातवें दौर की वार्ता बेनतीजा समाप्त हुई थी।

Desk Team
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध-प्रदर्शन आज 42वें दिन भी जारी है। किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बॉर्डर पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पंजाब इकाई के नेताओं ने मंगलवार को दावा किया कि तीन नए कृषि कानूनों को लेकर जारी किसानों के आंदोलन से संबंधित गतिविधियों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूरी तरह वाकिफ हैं और जल्द ही इस मसले का हल निकाल लिया जाएगा।
पिछले लगभग छह सप्ताह से जारी आंदोलन के बीच पंजाब के भाजपा नेता और पूर्व मंत्री सुरजीत कुमार ज्याणी और हरजीत सिंह ग्रेवाल ने प्रधानमंत्री मोदी से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। वहीं प्रदर्शनकारी किसान संघों ने छह जनवरी को प्रस्तावित अपने ट्रैक्टर मार्च को खराब मौसम के पूर्वानुमान के चलते मंगलवार को सात जनवरी के लिए टाल दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि वे आने वाले दिनों में अपने आंदोलन को तेज करेंगे।
गौरतलब है कि कृषि कानूनों को सितंबर में लागू किया गया था। इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अध्यादेश के रूप में इन्हें जून में मंजूरी दी थी और इन्हें लागू किया गया था। किसान नेताओं ने कहा कि हजारों किसान सात जनवरी को सिंघू, टीकरी, गाजीपुर और शाहजहांपुर (हरियाणा-राजस्थान सीमा) में सभी प्रदर्शन स्थलों से कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) के लिए ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे।
यादव ने कहा कि बुधवार को खराब मौसम की संभावना के बाद मार्च को टालने का फैसला किया गया है। पिछले तीन दिन से दिल्ली और आसपास के इलाकों में रुक-रुककर बारिश हो रही है। किसान संघों ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को आने वाले दिनों में तेज किया जाएगा। किसान नेता जोगिंदर नैन ने 26 जनवरी को दिल्ली के लिए प्रस्तावित एक और ट्रैक्टर मार्च के बारे में कहा, ''हम हरियाणा के हर गांव से 10 ट्रैक्टर ट्रॉलियां भेजेंगे। हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि हर घर से कम से कम एक व्यक्ति और एक गांव से कुल 11 महिलाएं आएं।''
प्रदर्शनकारी किसानों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच सोमवार को सातवें दौर की वार्ता बेनतीजा समाप्त हुई थी। किसान समूह तीनों कानूनों को वापस लिये जाने की अपनी मांग पर कायम रहे, वहीं सरकार ने नये कानून के अनेक लाभ दोहराये। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आठ जनवरी को आगामी बैठक में समाधान निकलेगा, लेकिन ताली दोनों हाथों से बजती है।