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पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ बोले- सोमवार से क्या होगा? सेवानिवृत्ति के बाद का प्लान भी बताया

DY Chandrachud: देश के मुख्य न्यायाधीश रहे डीवाई चंद्रचूड़ सेवानिवृत्त हो गए हैं। उन्होंने अपने भविष्य के प्लान पर कहा है कि वह कोई पद ग्रहण करते हैं तो उनके काम करने का अंदाज ठीक वैसा ही होगा, जैसा बतौर मुख्य न्यायाधीश रहा है।

Ranjan Kumar

DY Chandrachud Statement : देश के मुख्य न्यायाधीश पद से डीवाई चंद्रचूड़ सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनके फ्यूचर प्लान को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने इन सब अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा है कि अगर, वह किसी पद पर आसीन होते हैं तो उनके काम का अंदाज भले जैसा ही रहेगा। यह भी कहा कि मैं शायद सबसे अधिक ट्रोल होने वाला न्यायाधीश हूं। मैं सोच रहा हूं कि सोमवार (11 नवंबर) से क्या होगा, क्योंकि मुझे ट्रोल करने वाले लोग बेरोजगार हो जाएंगे। वहीं, 11 नवंबर को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना 51वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे। बता दें, डीवाई चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को देश के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला था।

बुलडोजर जस्टिस की आलोचना की थी

बता दें, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बुलडोजर जस्टिस पर अपना आखिरी फैसला सुनाया है। उन्होंने बुलडोजर जस्टिस की काफी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि यह (बुलडोजर) कानून के तहत अस्वीकार्य है। भविष्य की योजनाओं पर चंद्रचूड़ ने कहा कि मेरा विश्वास है कि जब आप सीजेआई या न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त होते हैं तो रिटायरमेंट के बाद भी लोग आपको न्यायाधीश या सीजेआई के रूप में देखते हैं। मैं मानता हूं कि मुझे अपने पद के प्रति और सेवानिवृत्ति होने के बाद हर काम में ईमानदार रहना चाहिए।

रिटायरमेंट बाद कई न्यायाधिकरणों में करना पड़ता है काम

पूर्व सीजेआई ने कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT), दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग जैसे न्यायाधिकरणों में काम करना होता है। इन न्यायाधिकरणों के समक्ष आने वाले मामले काफी अहम होते हैं, जिन पर सुनवाई के लिए ईमानदार और विशेषज्ञ लोगों की जरूरत होती है। इस कारण इन न्यायाधिकरणों में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त किए जाते हैं।

न्यायाधीशों पर सवाल उठाना गलत

चंद्रचूड ने कहा कि न्यायाधीशों पर सवाल नहीं उठाए जाने चाहिए। अब मीडिया को इस बात पर पुनर्विचार करना चाहिए कि वह इन पदों को स्वीकार करने वाले सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को कैसे दिखाती है।

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