बिहार के बक्सर में नॉर्थ-ईस्ट एक्सप्रेस के 21 डिब्बे पटरी से उतरने पर शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में भारतीय रेलवे की कार्यप्रणाली और यात्री सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं, बता दें कि देर रात हुए हादसे में चार यात्रियों की मौत हो गई और 30 से अधिक घायल हो गए थे। सामना ने रेलवे संपत्तियों, सेवाओं और बुनियादी ढांचे में सुधार लाने के केंद्र के दावों खोखले बताया।
उन्होंने आगे हमला करते हुए कहा, किसी भी रेल दुर्घटना के बाद कुछ दिनों तक हादसे के कारणों की जांच और चर्चा चलती है, जैसे तकनीकी खामियां हों, मानवीय गलतियाँ हों या फिर कोई साजिश हो, एक जांच समिति या आयोग का गठन किया जाता है और एक रिपोर्ट पेश की जाती है। रेलवे विभाग की गलतियां सामने आती है, लेकिन अब जब तक ऐसी रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है, तब तक एक नई दुर्घटना हो जाती है, और फिर वहीं सिलसिला पूछताछ और रिपोर्ट की वही जटिल प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
पिछले कुछ वर्षों से, मोदी सरकार रेलवे के सुरक्षा तंत्र के झूठे दावे कर रही है। यदि रेलवे सिस्टम में अगर सच में सुधार किया गया है, तो बार-बार रेलवे दुर्घटनाएं क्यों हो रही हैं, इससे पहले बालासोर में तीन ट्रेनें आपस में टकरा गईं, जिसमें 295 यात्रियों की मौत हो गई। दुर्घटना के 28 अज्ञात शवों का चार महीने बाद बुधवार को ही अंतिम संस्कार किया गया। उन्होंने ये भी कहा कि अभी बालासोर हादसे को कुछ ही महीने हुए थे कि एक और हादसे में छह यात्रियों की जान चली गई।