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उमर अब्दुल्ला का अमित शाह पर प्रहार: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की जिम्मेदारी कौन लेगा?

Desk News

जम्मू-कश्मीर: नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर में एक रैली के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि घाटी के लोग मौजूदा हालात से बेहद परेशान हैं और समाधान की तलाश में हैं। अब्दुल्ला ने युवाओं के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर का भी उल्लेख किया, यह आरोप लगाते हुए कि इनमें से कई युवाओं को जम्मू-कश्मीर के बाहर की जेलों में रखा गया है, जिससे उनकी चिंता और बढ़ गई है।

Highlights:

  • अमित शाह की टिप्पणियों पर सवाल: क्या उनकी राजनीति जम्मू-कश्मीर में फेल होगी?
  • सरकार की दोहरी नीति का पर्दाफाश!
  • आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस: शाह का संदेश

अमित शाह की टिप्पणियों पर सवाल

उमर अब्दुल्ला ने अमित शाह की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें गृह मंत्री ने कहा था कि एनसी, कांग्रेस और महबूबा मुफ्ती की पीडीपी के शासन में 35 वर्षों में 40,000 लोग मारे गए। अब्दुल्ला ने यह पूछने की कोशिश की कि केंद्रीय मंत्री को यह स्पष्ट करना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के लिए वास्तव में किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। "आपको पहले यह तय करना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के लिए कौन जिम्मेदार है," उन्होंने कहा।

दोहरी नीति का आरोप

अब्दुल्ला ने भाजपा की दोहरी नीति पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "जब भाजपा शेष भारत में बात करती है, तो वे इसके लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराते हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर में हमें ही दोषी ठहराया जाता है। यदि एनसी और कांग्रेस आतंकवाद के लिए जिम्मेदार हैं, तो फिर पाकिस्तान से बात करने में हिचक क्यों?" अब्दुल्ला ने यह तर्क दिया कि अगर उनकी पार्टी जिम्मेदार है, तो सरकार को पाकिस्तान से संवाद करना चाहिए।

शाह का संदेश: आतंकवाद पर नियंत्रण

इस बीच, अमित शाह ने यह आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ाने में गांधी, मुफ्ती और अब्दुल्ला परिवारों का हाथ रहा है। उन्होंने कहा, "35 वर्षों तक जम्मू-कश्मीर आतंक की आग में जलता रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद को खत्म करने में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।" शाह ने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति को सुधारने की कोशिश में इन परिवारों की भूमिका नकारात्मक रही है और "आप चाहे जितनी कोशिश कर लें, आपकी तीसरी पीढ़ी भी आतंकवाद को वापस नहीं ला सकती।"

इस प्रकार, यह राजनीतिक संवाद जम्मू-कश्मीर के वर्तमान हालात, स्थानीय युवाओं के मुद्दे, और आतंकवाद के संदर्भ में महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है, जो देश की सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता के लिए आवश्यक हैं।