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संसद के विशेष सत्र को लेकर सरकार की ओर से केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री ने सभी मंत्रियों को भी सदन में मौजूद रहने का दिया निर्देश

18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र को लेकर बीजेपी ने पहले ही तीन लाइन का व्हिप जारी कर दिया है, जिसमें अपने सभी सांसदों को 18 से 22 सितंबर तक सदन की कार्यवाही के दौरान सभी दिन अनिवार्य रूप से सदन में उपस्थित रहने को कहा गया है और सरकार के रुख का समर्थन करने के निर्देश दिये गये हैं।

Shera Rajput
18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र को लेकर बीजेपी ने पहले ही तीन लाइन का व्हिप जारी कर दिया है, जिसमें अपने सभी सांसदों को 18 से 22 सितंबर तक सदन की कार्यवाही के दौरान सभी दिन अनिवार्य रूप से सदन में उपस्थित रहने को कहा गया है और सरकार के रुख का समर्थन करने के निर्देश दिये गये हैं।
सूत्रों की मानें तो बीजेपी के बाद अब सरकार ने भी अपने सभी मंत्रियों को सत्र के दौरान सदन में मौजूद रहने के निर्देश जारी किए हैं।
वैसे आम तौर पर संसद सत्र के दौरान सरकार संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में मंत्रियों की ड्यूटी लगाती रही है और इसे रोस्टर ड्यूटी कहा जाता है, लेकिन यह ड्यूटी सिर्फ 4 घंटे के लिए लगाई जाती है। यानी एक मंत्री को अपने रोस्टर समय के मुताबिक सिर्फ 4 घंटे ही सदन में रहना होता था और उसके बाद दूसरे मंत्री की रोस्टर ड्यूटी शुरू हो जाती थी। लेकिन बताया जा रहा है कि संसद के विशेष सत्र को लेकर सरकार की ओर से केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सभी मंत्रियों को पांचों दिन सदन में मौजूद रहने को कहा है। 
इससे पहले भाजपा अपने लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों को अलग-अलग पहले ही 3 लाइन का व्हिप जारी कर विशेष सत्र के दौरान सभी दिन सदन में मौजूद रहने का निर्देश देते हुए यह कह चुकी है कि कुछ अति महत्वपूर्ण विधायी कार्य चर्चा एवं पारित करने के लिए सोमवार दिनांक 18 सितंबर से शुक्रवार दिनांक 22 सितंबर 2023 को लाए जाएंगे और भाजपा के सभी सदस्यों से निवेदन है कि वे सोमवार दिनांक 18 सितंबर से शुक्रवार दिनांक 22 सितंबर 2023 तक पांचों दिन, पूरे समय सदन में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहकर सरकार के पक्ष का समर्थन करें।। 
सांसदों को व्हिप जारी कर पांचों दिन सदन में उपस्थित रहने का निर्देश देने के बाद विशेष सत्र के दौरान सभी मंत्रियों की स्पेशल ड्यूटी लगाने के सरकार के फैसले से फिर एक बार इन कयासों को बल मिलने लगा है कि भले ही सरकार ने सत्र के एजेंडे को सार्वजनिक कर दिया हो, लेकिन सरकार इस सत्र के दौरान कोई बड़ा और महत्वपूर्ण बिल या प्रस्ताव लाना चाहती है।
संसद के विशेष सत्र के एजेंडे को लेकर विपक्षी दलों द्वारा उठाए जा रहे सवालों के बीच सरकार ने बुधवार को ही विशेष सत्र के एजेंडे को मंजूरी दे दी थी. संसद के आगामी विशेष सत्र के दौरान आजादी के 75 सालों – संविधान सभा से लेकर आज तक की उपलब्धियां पर चर्चा होगी। इसके साथ ही सरकार की ओर से यह भी साफ कर दिया गया है कि विशेष सत्र के एजेंडे में 75 साल के सफर पर चर्चा के साथ-साथ चार अहम बिल भी शामिल हैं. हालाँकि, आम तौर पर यह एक अस्थायी एजेंडा है और सरकार सत्र के दौरान भी इसमें कोई नया एजेंडा जोड़ सकती है या उनमें से किसी को हटा सकती है।