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Orchha Ram Temple: बुंदेलखंड में राम नहीं है भगवान, प्रचलित मान्यताओं के अनुसार दी जाती है तीन पहर की सलामी

Desk News

Orchha Ram Temple: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है मगर बुंदेलखंड की ओरछा ऐसी नगरी है जहां राम भगवान नहीं, बल्कि राजा हैं। वेतवा नदी के तट पर बसी यह ऐसी नगरी है जहां सिर्फ राम राजा को सलामी दी जाती है। वर्तमान में जहां मंदिर है वहां राज परिवार की कभी रसोई हुआ करती थी।

Highlights

  • बुंदेलखंड में राम नहीं है भगवान
  • ओरछा नगरी में राम भगवान नहीं, बल्कि राजा हैं
  • तीन पहर की दी जाती है सलामी

जानिए क्या है इस मंदिर के पीछे की मान्यता

Orchha Ram Temple

भोपाल के बुंदेलखंड के निवाड़ी जिले में स्थित ओरछा में भगवान राम (Orchha Ram Temple) का भव्य मंदिर है, मगर यहां उन्हें राजा माना जाता है। वेतवा नदी के तट पर बसी यह ऐसी नगरी है जहां सिर्फ राम राजा को सलामी दी जाती है। किसी भी विशिष्ट व्यक्ति को ओरछा की चारदीवारी के भीतर कभी भी सलामी नहीं दी जाती। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के ओरछा में राजा के तौर पर पूजे जाने की कहानी है। बात करीब 1554 से 1594 के बीच की है जब ओरछा में बुंदेला राजवंश का राज हुआ करता था। यहां के तत्कालीन राजा मधुकर शाह कृष्ण भक्त थे और उनकी पत्नी कुंवर गणेश राम भक्त। ऐसा कहा जाता है कि राजा मधुकर शाह ने वृंदावन जाने का कार्यक्रम बनाया, मगर कुंवर गणेश जाने को तैयार नहीं हुई। इसी बात पर दोनों में बहस हो गई और राजा ने रानी को चुनौती दे दी कि अगर वाकई में राम भगवान हैं तो उन्हें ओरछा लेकर आओ। कहा जाता है कि राजा की चुनौती को स्वीकारते हुए रानी कुंवर गणेश अयोध्या को चल दी। अयोध्या पहुंचकर राम की प्रार्थना की और उनसे अयोध्या से ओरछा चलने का आग्रह किया, मगर सफलता नहीं मिली। इससे रानी निराश हो गई और उन्होंने आत्महत्या के लिए सरयू में छलांग लगा दी। इस दौरान रानी के पल्लू में राम जी की प्रतिमा आ गई। राम जी ओरछा के लिए चलने को तैयार हुए मगर कुछ शर्तों के साथ। उन्होंने कहा कि उन्हें लेकर कुंवर गणेश पैदल चलेंगे और सिर्फ उस दिन जिस दिन पुख्य नक्षत्र होगा। इतना ही नहीं जहां एक बार विराजे जाएंगे, वहीं पर स्थिर रहेंगे। साथ ही ओरछा के राजा कहलायेंगे। फिर क्या था कुंवर गणेश राम जी को लेकर अयोध्या से चल दीं।

ऐसे बना रसोई से राजा राम का मंदिर

Orchha Ram Temple

रानी ओरछा पहुंचीं तो मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा था। ऐसे में रानी ने राम जी की प्रतिमा को रसोई में रख दिया और फिर राम जी वहां से उठे नहीं। बता दें कि वर्तमान में जहां मंदिर है वहां राज परिवार की कभी रसोई हुआ करती थी। स्थानीय जानकार पंडित जगदीश तिवारी बताते हैं कि ओरछा में राम भगवान नहीं बल्कि राजा हैं। राम जी को तीन पहर की सलामी दी जाती है और अन्य किसी को यहां सलामी का प्रावधान नहीं है। इसीलिए कहा जाता है "राम के दो निवास खास, दिवस ओरछा रहत शयन अयोध्या वास।" अयोध्या में सोमवार 22 जनवरी को रामलला (Orchha Ram Temple) की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है और इस मौके पर ओरछा में भी विविध आयोजन होंगे। बुंदेलखंड की इस अयोध्या में राम को राजा माना जाता है।

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