पुराने संसद भवन में लोकसभा में अपना आखिरी भाषण देते हुए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के योगदान को सराहते हुए राष्ट्र निर्माण में सभी प्रधानमंत्रियों के योगदान को याद किया। पीएम मोदी ने 14-15 अगस्त, 1947 को आधी रात में संविधान सभा में जवाहर लाल नेहरू द्वारा दिए गए ऐतिहासिक भाषण ट्रिस्ट विद डेस्टिनी को याद करते हुए कहा कि पंडित नेहरू का वह भाषण हम सबको प्रेरित करता रहेगा।
पीएम मोदी जब जवाहर लाल नेहरू के भाषण और योगदान को याद करते हुए उनकी प्रशंसा कर रहे थे, उस समय सत्ता पक्ष की तरफ से मेज थपथपाकर उनके तारीफ का समर्थन किया जा रहा था लेकिन कांग्रेस सांसदों की तरफ से ऐसा कुछ नहीं किया गया। ऐसे में कांग्रेस के तालियां नहीं बजाने पर कटाक्ष करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कुछ बातें ऐसी हैं जो हर किसी की ताली की हकदार है, लेकिन इसमें भी राजनीति आड़े आ रही है। जब नेहरू के योगदान को याद किया जा रहा हो तो भला कौन उसे नहीं मानेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में दोनों सदनों को मिलाकर 7,500 के लगभग जनप्रतिनिधि (सांसद) जिसमें 600 के लगभग महिला जनप्रतिनिधि भी शामिल रही है, ने देश के निर्माण में अपनी अपनी भूमिका निभाई है। जवाहर लाल नेहरू से लेकर शास्त्री,अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह तक बड़ी श्रृंखला रही है जिन्होंने देश का नेतृत्व किया है। आज का दिन इन सबके गुणगान करने का अवसर है। पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि आज हम इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। इस सदन से विदा लेना भावुक पल है।
75 वर्षों की संविधान सभा और भारतीय संसद की यात्रा का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस संसद ने पंडित नेहरू का आधी रात का ऐतिहासिक भाषण सुना, अटल बिहारी वाजपेयी का यह देश रहना चाहिए के ऐतिहासिक भाषण का गवाह बना, बांग्लादेश की मुक्ति भी देखी,आपातकाल भी देखा, फिर लोकतंत्र की वापसी भी देखी, ग्रामीण मंत्रालय बनने का गवाह बना, मतदान की उम्र को 21 से घटाकर 18 इसी सदन ने किया, नरसिम्हा राव सरकार के आर्थिक सुधारों और साहसिक फैसलों का गवाह बना, अटल सरकार में सर्वशिक्षा अभियान और परमाणु परीक्षण एवं आदिवासी और नॉर्थ ईस्ट मंत्रालय भी बनते देखा और मनमोहन सिंह सरकार में कैश फ़ॉर वोट कांड भी देखा। इस सदन ने अपने तीन प्रधानमंत्री-जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी को अश्रुभरी विदाई भी दी। उस समय यह सदन आंसू से भर गया था।
उन्होंने सदन में अपने पहले दिन को याद करते हुए कहा कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला गरीब का बच्चा देश की संसद तक पहुंच गया। उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि देश इतना मान सम्मान देगा और प्यार देगा। प्रधानमंत्री ने भारत की संसदीय यात्रा में मीडिया और पत्रकारों की भूमिका की भी सराहना की। प्रधानमंत्री मोदी ने दावा किया कि संसद के नए भवन में हमारा लोकतंत्र नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा।