राजनीतिक

मणिपुर हिंसा और चुनाव पर Mohan Bhagwat के बयान से तेज हुई सियासी हलचल

Pannelal Gupta
Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान सामने आया है। ऐसे में उनके द्वारा दिए गए बयान की टाइमिंग ने सियासी हलचल तेज कर दी है। इसके अलावा, उन्होंने अपने बयान में जिन विषयों का चयन किया है, वो भी बड़े पैमाने पर लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

Highlights

  • Mohan Bhagwat के बयान से तेज हुई सियासी हलचल
  • मणिपुर हिंसा और चुनाव पर मोहन भागवत ने दिए थे बयान
  • मोहन भागवत का मोदी सरकार को नसीहत 

चुनाव प्रचार में तकनीकी का दुरुपयोग करना ठीक नहीं- Mohan Bhagwat

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत(Mohan Bhagwat) ने मणिपुर हिंसा और चुनाव को लेकर बयान दिए थे। गौर करने वाली बात यह है कि उन्होंने यह बयान ऐसे वक्त में दिया है, जब नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है और मंत्रालय का भी बंटवारा हो चुका है। दरअसल, मोहन भागवत ने कहा, "चुनाव सहमति बनाने की प्रक्रिया है। सहचित्त संसद में किसी भी प्रश्न के दोनों पहलू सामने आए इसलिए ऐसी व्यवस्था है। चुनाव प्रचार में जिस प्रकार एक-दूसरे को लताड़ना, तकनीकी का दुरुपयोग, असत्य प्रसारित करना ठीक नहीं है।"

मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा पर रखी अपनी बात

राजनीतिक जगत में मोहन भागवत के इस बयान को सत्तापक्ष के लिए नसीहत के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। इसके अलावा, वो विपक्ष पर भी जोर देते हुए दिख रहे हैं। मोहन भागवत ने अपने पोस्ट में कहा कि 'विरोधी' की जगह 'प्रतिपक्ष' होना चाहिए। उनके बयान से यह साफ जाहिर होता है कि वो ऐसा कहकर विपक्ष का पक्ष ले रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने मणिपुर हिंसा पर भी अपनी बात रखी। मणिपुर में अभी भी हिंसा की आग रह रहकर सुलग जा रही है। शांति स्थापित करने की दिशा में ढेर सारे कदम उठाए गए लेकिन अभी तक इस हिंसा के दबने और इन कदमों के कोई सकारात्मक नतीजे सामने नहीं आए हैं।

एक साल से मणिपुर देख रहा है शांति की राह- Mohan Bhagwat

मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा पर कहा, "एक साल से मणिपुर शांति की राह देख रहा है। इससे पहले 10 साल शांत रहा। पुराना गन कल्चर समाप्त हो गया ऐसा लगा और अचानक जो कलह वहां पर उपजा या उपजाया गया, उसकी आग में अभी तक जल रहा है, त्राहि-त्राहि कर रहा है। इस पर कौन ध्यान देगा? प्राथमिकता देकर उसका विचार करना यह कर्तव्य है।" मोहन भागवत के इस बयान को केंद्र की मोदी सरकार के लिए नसीहत के रूप में रेखांकित किया जा रहा है।

(शीर्षक को छोड़कर, यह कहानी पंजाब केसरी स्टाफ द्वारा संपादित नहीं की गई है और एक सिंडिकेटेड फ़ीड से प्रकाशित हुई है )

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