प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को आंध्र प्रदेश विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवारों के समर्थन में विजयवाड़ा में एक विशाल रोड शो किया।
पीएम मोदी ने चंद्रबाबू नायडू, पवन कल्याण के साथ विजयवाड़ा में किया रोड शो
खुली छत वाली गाड़ी में तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू और जनसेना पार्टी (जेएसपी) के अध्यक्ष पवन कल्याण के साथ पीएम मोदी को अपने दोनों हाथ उठाकर भीड़ की ओर हाथ हिलाते देखा गया। चंद्रबाबू नायडू और पवन कल्याण ने भी हाथ जोड़कर लोगों के जयकारे का जवाब दिया।
एनडीए गठबंधन के नेताओं के स्वागत के लिए बंदर रोड के दोनों ओर काफी संख्या में लोग जुटे थे। कुछ लोग हाथों में टीडीपी, बीजेपी और जेएसपी के झंडे और तख्तियां लिए हुए थे। महिलाओं का एक समूह पीएम मोदी के पोस्टर के साथ नेताओं की गाड़ी के आगे-आगे चल रहा था।
रोड शो के लिए पुलिस ने किए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
रोड शो इंदिरा गांधी म्यूनिसिपल स्टेडियम से बेंज सर्कल तक तीन किमी तक आयोजित किया गया।
रोड शो के लिए पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे।
विजयवाड़ा लोकसभा सीट से टीडीपी उम्मीदवार केसिनेनी शिवनाथ और सात विधानसभा क्षेत्रों के एनडीए उम्मीदवारों ने भी रोड शो में भाग लिया।
विजयवाड़ा पहुंचने से पहले पीएम मोदी ने रायलसीमा क्षेत्र के राजमपेट में एनडीए की एक जनसभा को संबोधित किया।
पीएम मोदी ने डबल इंजन सरकार चुनने की अपील की
पीएम मोदी ने कहा कि वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। उन्होंने लोगों से राज्य के तीव्र विकास के लिए डबल इंजन सरकार चुनने की अपील की।
175 सदस्यीय आंध्र प्रदेश विधानसभा और 25 लोकसभा के लिए एक साथ चुनाव 13 मई को होने हैं। सीट बंटवारे के समझौते के तहत टीडीपी 144 विधानसभा और 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
इसमें बीजेपी के लिए 10 विधानसभा और छह लोकसभा सीटें और जेएसपी के लिए 21 विधानसभा और दो लोकसभा सीटें छोड़ी गईं।
एक दशक के अंतराल के बाद टीडीपी, बीजेपी और जेएसपी एक साथ आए हैं।
2014 में जेएसपी ने टीडीपी-बीजेपी गठबंधन का समर्थन किया था। बाद में पवन कल्याण ने दोनों पार्टियों से दूरी बना ली थी, वहीं टीडीपी ने भी बीजेपी से नाता तोड़ लिया था। टीडीपी, जिसने 2019 का चुनाव अपने दम पर लड़ा था, वाईएसआर कांग्रेस से हार गई थी।
बीजेपी, जो अकेले चुनाव लड़ रही थी, विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनावों में शून्य पर सिमट गई। बसपा और वाम दलों से हाथ मिलाने वाली जेएसपी सिर्फ एक सीट जीतने में सफल रही थी।