Rajsthan विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस तैयारी में पूरी ताकत से लगे हुए हैं। दोनों पार्टियों की ओर दिग्गजों को मैदान में उतारा जा रहा है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी के खिलाफ BJP ने महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ को चुनावी मैदान में उतारा है। विश्वराज सिंह के चुनावी अखाडा में आने के बाद नाथद्वारा सीट चर्चाओं में है।दरअसल, साल 2008 में सी.पी. जोशी सिर्फ एक वोट से विधानसभा चुनाव हार गए थे। ऐसे में अब लोग ये भी कयास लगा रहे हैं कि क्या इस बार भी कुछ ऐसा कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है। 15 साल पहले के ऐतिहासिक चुनाव में कुल 51 फीसदी वोट पड़े थे, जिसमें भाजपा के कल्याण सिंह को 62,216 वोट मिले थे, जबकि जोशी को 62,215 वोट मिले। जोशी पहली बार 1980 में नाथद्वारा से विधायक चुने गए। पर वो कुल 5 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं।इसके साथ ही जोशी एक बार भीलवाड़ा से सांसद भी रह चुके हैं।ऐसे में उन्हें हराना आसान नहीं होगा।
बीजेपी में शामिल होते ही मिला टिकट
सी.पी. जोशी के प्रभावशाली ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए यहां भाजपा के लिए उन्हें हराना आसान नहीं होगा। इसलिए, भारतीय जनता पार्टी ने विश्वराज सिंह मेवाड़ को मैदान में उतारा है, जो पूर्व मेवाड़ शाही परिवार से हैं। भाजपा में शामिल होने के तीन दिन बाद ही महाराणा प्रताप के इस वंशज को नाथद्वारा सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया गया।
सीट पर 80 हजार मतदाता राजपूत
अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या नाथद्वारा में 2008 का एपिसोड दोहराया जा सकता है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि सी.पी. जोशी की वजह से यह सीट कांग्रेस का गढ़ है, लेकिन भाजपा यहां कई बार भाग्यशाली रही है, खासकर राजपूत उम्मीदवार उतारने के बाद। नाथद्वारा, जहां देश भर से हजारों भक्त भगवान श्रीनाथजी की पूजा करने के लिए आते हैं, उदयपुर शहर से सिर्फ 45 किमी दूर है, जो इसे मेवाड़ की राजधानी का निकटतम शहर बनाता है। इसलिए उदयपुर भी यहां प्रभाव डालता है। नाथद्वारा में मतदाताओं की संख्या 2.34 लाख है और इनमें से करीब 80 हजार मतदाता राजपूत समुदाय से हैं। इसके बाद यहां आदिवासियों और फिर ब्राह्मण समुदाय का दबदबा है। दोनों उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला होगा क्योंकि जहां जोशी पांच बार विधायक रह चुके हैं, वहीं मेवाड़ के वंशज की भी अपनी प्रसिद्धी है। उन्होंने अक्सर राजपूतों के लिए आवाज उठाई है और जब समुदाय ने फिल्म 'पद्मावत' पर आपत्ति जताई तो उन्होंने आगे बढ़कर नेतृत्व किया।