उच्चतम न्यायालय ने 11 साल पुराने अवमानना मामले में जाने माने वकील प्रशांत भूषण का स्पष्टीकरण नामंजूर करते हुए गुण-दोष के आधार पर सुनवाई करने का सोमवार को निर्णय लिया। इसके साथ ही, भूषण के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला जारी रहेगा। अब इस मामले की सुनवाई 17 अगस्त को होगी।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, ''हमें इस बात को (कानून की कसौटी पर) परखने की जरूरत है कि भूषण का भ्रष्टाचार को लेकर दिया गया बयान अदालत की अवमानना का मामला बनता है या नहीं? इस प्रकार इस मामले की सुनवाई करना जरूरी है।'' न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख मुकर्रर की। भूषण ने अदालत कक्ष में फिर से परम्परागत तरीके से सुनवाई शुरू होने के बाद मामले को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया, लेकिन इसे ठुकरा दिया गया।
भूषण के पिता एवं पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने न्यायालय से अपनी बातें रखने की इजाजत मांगी, लेकिन न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि वह 17 अगस्त को सुनवाई के दौरान उन्हें अपनी बात रखने का मौका देंगे। न्यायालय ने गत चार अगस्त को इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था। यह मामला तहलका पत्रिका में प्रकाशित भूषण के साक्षात्कार से है, जिसमें उन्होंने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार संबंधी बयान दिये थे।