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क्या मुसलमान इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा को करेगा वोट ?, जानिए ! बीजेपी ने इसको लेकर क्या की है खास तैयारी !

Shera Rajput

भाजपा इस बार के लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत मिलने और ऐतिहासिक जीत का दावा कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने भाजपा 370 और एनडीए गठबंधन के लिए 400 पार का लक्ष्य रख दिया है।
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पार्टी अपना जनाधार बढ़ाने का प्रयास कर रही है। बल्कि, इस क्रम में अल्पसंख्यक समाज को भी जोड़ने के मिशन में लगी हुई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 10 साल के कार्यकाल में मुस्लिम समाज की स्थितियों को बदला
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने समाचार एजेंसी को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 10 साल के कार्यकाल में मुस्लिम समाज की स्थितियों को बदला है, उन्हें बदहाली से निकाला है, उनकी शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। उस वजह से मुस्लिम समाज अब देश की मुख्यधारा से जुड़ गया है, उनके अंदर का डर खत्म हो गया है, उन्हें गुंडाराज से मुक्ति मिल गई है। देश के मुसलमानों के सामने कांग्रेस, सपा, बसपा, आरजेडी और टीएमसी जैसे दल अब पूरी तरह से बेनकाब हो गए हैं।
जमाल सिद्दीकी ने आगे बताया कि मुस्लिम समाज को जिस तरह के नेता की तलाश थी, वह नेता उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में मिल गया है। उन्होंने कहा कि पहली बार किसी प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने पसमांदा समाज को भागीदारी देने का काम किया।
क्या मुसलमान इस बार के लोकसभा चुनाव में BJP को वोट करेगा ?
इस सवाल का जवाब देते हुए भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने बताया कि इसका ट्रेलर रामपुर और आजमगढ़ (लोकसभा उपचुनाव) में दिख गया है और अब देश का मुसलमान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में काम करना चाहता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति दिलाई और मुस्लिम समाज खासकर मुस्लिम बहनों ने 'ना दूरी है ना खाई है, मोदी हमारा भाई है' के नारे के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जुड़ना शुरू कर दिया है।
भाजपा ने देशभर में 65 ऐसी लोकसभा सीटों का किया चयन , मुस्लिम मतदाताओं की तादाद 35 % से ज्यादा
आपको बता दें कि भाजपा ने देशभर में 65 ऐसी लोकसभा सीटों का चयन किया है, जहां मुस्लिम मतदाताओं की तादाद 35 प्रतिशत से ज्यादा है। मुस्लिम बहुल इन 65 लोकसभा सीटों में से सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 14 लोकसभा सीट हैं और दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल है, जहां कि 13 लोकसभा सीटों को इसमें शामिल किया गया है। केरल की 8, असम की 7, जम्मू कश्मीर की 5, बिहार की 4, मध्य प्रदेश की 3 और दिल्ली, गोवा, हरियाणा, महाराष्ट्र और तेलंगाना की 2-2 लोकसभा सीट इस लिस्ट में शामिल हैं।
वहीं, तमिलनाडु की एक लोकसभा सीट को इन 65 अल्पसंख्यक बहुल सीटों की सूची में शामिल किया गया है। इनमें से कई लोकसभा क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की तादाद 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है। इन 65 लोकसभा सीटों के अलावा देश में 35 से 40 के लगभग लोकसभा की सीटें ऐसी भी हैं, जहां मुस्लिम वोटर्स पूरी तरह से निर्णायक भूमिका में भले ही ना हो, लेकिन जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भाजपा ने लोकसभा की मुस्लिम बहुल इन 100 से ज्यादा सीटों को लेकर की खास तैयारी
भाजपा ने लोकसभा की मुस्लिम बहुल इन 100 से ज्यादा सीटों को लेकर खास तैयारी की है। इन सीटों पर लोकसभा प्रभारी के साथ-साथ विधानसभा अनुसार विधानसभा प्रभारी, विधानसभा सह प्रभारी और 'मोदी मित्रों' की तैनाती की गई है।
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने कहा कि मोर्चा लगातार मुस्लिम समाज के लोगों के साथ संवाद कर उन तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों को पहुंचा रहा है। मोदी सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और जनकल्याणकारी योजनाओं से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को क्या-क्या लाभ पहुंचा है, इस बात की भी जानकारी दे रहे हैं।
50 लाख से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ किया सीधा संपर्क 
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ महीनों के दौरान पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे ने मुस्लिम समाज तक पहुंचने के लिए कई अभियान चलाए। मोर्चे ने 'युवा स्नेह संवाद', 'महिला स्नेह संवाद', 'मोदी स्नेह संवाद', 'सद्भाव स्नेह संवाद', 'बूथ प्रमुख स्नेह संवाद' और 'मोदी मित्र' जैसे कार्यक्रमों के जरिए विधानसभा और बूथ स्तर तक जाकर देशभर में 22 हजार 700 संवाद कार्यक्रम किए। इन कार्यक्रमों के जरिए भाजपा कार्यकर्ताओं ने देशभर में 1,468 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया और 50 लाख से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ सीधा संपर्क किया।
सूफी समाज के लोग बड़े पैमाने पर भाजपा के साथ
उन्होंने बताया कि देशभर में मुस्लिम समाज से जुड़े 18 लाख 400 व्यक्ति 'मोदी मित्र' बन चुके हैं। हर जिले में सूफी समाज के लोग भी बड़े पैमाने पर भाजपा के साथ जुड़े हैं।
आपको बता दें कि भाजपा ने अपने संगठन में बूथ स्तर से मुस्लिम वर्ग को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है। इसका असर उत्तर प्रदेश में हुए स्थानीय निकाय के चुनावों में भी साफ-साफ नजर आया। पार्टी ने मुस्लिम मतदाताओं के बहुमत वाले इलाकों में मुस्लिम बूथ अध्यक्षों की भी नियुक्ति की है और जिन बूथों पर मुस्लिम मतदाताओं की तादाद अच्छी खासी है, उन बूथों के लिए बनाई गई कमेटियों में भी मुस्लिमों को जगह दी गई है। भाजपा की कोशिश है कि सभी वर्गों के लाभार्थियों के साथ-साथ मुस्लिम समाज के भी ऐसे सभी लाभार्थियों तक पहुंचा जाए, जिन्हें केंद्र की मोदी सरकार अथवा राज्य की भाजपा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का किसी न किसी रूप में लाभ मिला है।
'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास'
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी लगातार विरोधी दलों पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' के एजेंडे के साथ देश में रहने वाले सभी लोगों के विकास के लिए काम करने की बात कहते रहे हैं, चाहे वो समाज के किसी भी तबके या धर्म से जुड़े हो। भाजपा की बैठकों में भी पीएम मोदी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को वोट की चिंता किए बगैर समाज के सभी तबकों के साथ संवाद करने की नसीहत देते रहे हैं। मोदी सरकार की उपलब्धियों और पार्टी द्वारा चलाए जा रहे आउटरीच कार्यक्रमों को मिल रहे रिस्पांस से भाजपा के रणनीतिकारों को यह लग रहा है कि कि इस बार मुस्लिम समाज के लोग बड़े पैमाने पर भाजपा को वोट करने जा रहे हैं।