जम्मू कश्मीर

भारत की सम्प्रभुता पर हमला करने वाले अब्दुल्ला-मु़फ्ती पर हो कार्रवाई : VHP

विहिप ने गुरुवार को जम्मू -कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों -फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के भारत विरोधी तथा राज्य में सांप्रदायिक

Desk Team

विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने गुरुवार को जम्मू -कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों -फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के भारत विरोधी तथा राज्य में सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करने वाले बयानों की चुनाव आयोग से शिकायत की और उनके खिलाफ कड़ कार्रवाई करने की मांग की।

विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष एडवोकेट आलोक कुमार, प्रवक्ता विनोद बंसल तथा दिल्ली प्रांत कार्याध्यक्ष वागीस इस्सर ने यहां निर्वाचन आयोग जाकर मुख्य चुनाव आयुक्त और दोनों आयुक्तों को इस आशय का ज्ञापन सौंपा। विहिप ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस तथा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के प्रमुख नेताओं द्वारा बार-बार दिए जा रहे भारत विरोधी बयानों एवं धमकियों से कश्मीर घाटी के बहुसंख्यक मुस्लिम समाज तथा अल्पसंख्यक गैर मुस्लिमों के बीच वैमनस्य पैदा हो रहा है।

विहिप के प्रतिनिधि मण्डल ने चुनाव आयोग से कहा कि जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों ने पाकिस्तान की कठपुतली बनकर जम्मू- कश्मीर की बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी का हवाला देते हुए धारा 370 एवं 35-ए का विरोध करके वहां के माहौल को योजना पूर्वक साम्प्रदायिक बनाने की कुचेष्टा की है। अत: इन नेताओं के विरुद्ध आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाए।

विहिप ने चुनाव आयोग को सौंपे अपने चार पृष्ठों के विस्तृत ज्ञापन में तथ्यों के साथ कहा है कि तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों ने कश्मीर को भारत से अलग करने की धमकी देते हुए जिस शब्दावली का प्रयोग किया है उससे स्पष्ट होता है कि ये नेता सीधे-सीधे पाकिस्तान की उँगलियों पर नाचते हुए भारत के दुश्मन को पूर्व नियोजित तरीके से समर्थन कर रहे हैं।

ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि इन नेताओं द्वारा बार-बार ''कश्मीर की बहु-संख्यक मुस्लिम आबादी'' पर जोर देना, मामले को साम्प्रदायिक बना कर, वहां रह रहे गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों से वैमनश्य को बढाने का भी सुनियोजित प्रयास है।

ज्ञापन में कहा गया है कि इन नेताओं द्वारा जनता को मुस्लिम सम्प्रदाय के आधार पर खुले आम देशद्रोह के लिए उकसा कर भारत के टुकडे करने का प्रयास किया जा रहा है। यह इन नेताओं और उनके सम्बन्धित दलों द्वारा न सिर्फ भारत के संविधान और इसके अंतर्गत बनाए गए उच्चतम न्यायालय, संसद एवं चुनाव आयोग की सर्वोच्चता पर बल्कि भारत की सम्प्रभुता पर भी सीधा हमला है। इस प्रकार के गैर जिम्मेदाराना बयानों को किसी भी लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के आधार पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।