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केरल सहकारी बैंक घोटाला: माकपा के बाद अब भाकपा भी कठघरे में

Desk Team

केरल में सत्तारूढ़ माकपा कुछ सहकारी बैंक घोटालों को लेकर कठघरे में है, जिनकी जांच वर्तमान में त्रिशूर जिले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की जा रही है। भाकपा – सत्तारूढ़ वामपंथ में दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी है। सरकार को उस समय झटका लगा जब राज्य के राजधानी जिले में उसके एक शीर्ष नेता को जांच टीम ने 'उठा' लिया। कांडला सर्विस कोऑपरेटिव बैंक में बुधवार तड़के शुरू हुई ईडी की छापेमारी गुरुवार को 27वें घंटे में प्रवेश कर गई और इस प्रक्रिया में बैंक के पूर्व अध्यक्ष भासुरंगन को भाकपा से बाहर कर दिया गया।

पार्टी से निष्कासित करने का फैसला

भाकपा तिरुवनंतपुरम जिला मसचिव मंगोडु राधाकृष्णन ने कहा, जब माला सामने आया, तो पहले उन्हें पार्टी की निचली समिति में ले जाया गया और अब ईडी की छापेमारी शुरू होने के बाद हमने उन्हें पार्टी से निष्कासित करने का फैसला किया है। कंडाला बैंक में पिछले कुछ समय से परेशानी चल रही थी। बैंक में 100 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी का पता चलने के बाद बैंक के जमाकर्ता, जिनमें ज्यादातर राज्य की राजधानी के ग्रामीण इलाकों के आम लोग थे, गुस्से में थे। छापेमारी को ज्यादा तूल नहीं देते हुए राज्य के सहकारिता मंत्री वी.एन. वासवन ने कहा कि ईडी को वही सब पता चला जो केरल अपराध शाखा पुलिस ने पहले पता लगाया था। 

पुलिस को धोखाधड़ी का पता चल गया

इस बयान ने कई लोगों को चकित कर दिया और सवाल उठाए गए कि अगर पुलिस को धोखाधड़ी का पता चल गया था तो पिनाराई विजयन सरकार दागी भासुरंगन को मिल्मा के तिरुवनंतपुरम क्षेत्रीय सहकारी दूध उत्पादक संघ (टीआरसीएमपीयू) के प्रशासनिक संयोजक के पद पर कैसे बने रहने दे सकती है। जब देर रात ईडी की छापेमारी चल रही थी, भासुरंगन को बेचैनी हो गई और वह वर्तमान में यहां एक प्रमुख निजी अस्पताल में भर्ती हैं। ईडी अधिकारियों ने राज्य की राजधानी में कई स्थानों पर छापेमारी की है, जिसमें भासुरंगन के साथ बैंक प्रशासन का हिस्सा रहे कुछ पूर्व अधिकारियों के आवास भी शामिल हैं। भाकपा नेतृत्व असमंजस में है क्योंकि भासुरंगन को बचाने के तरीके से पार्टी का एक वर्ग नाखुश है।

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