आंध्र प्रदेश पुलिस ने कौशल विकास निगम घोटाले में तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू को शनिवार को 'मुख्य षड्यंत्रकारी' बताया। ऐसा आरोप है कि इस घोटाले से राज्य सरकार को 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। नायडू को शनिवार सुबह उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वह सभी सुविधाओं से लैस अपनी बस में सो रहे थे। पुलिस ने बताया कि सीआईडी के दल ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को सुबह करीब छह बजे नंदयाल शहर के ज्ञानपुरम स्थित आर के फंक्शन हॉल के बाहर से गिरफ्तार किया, जहां उनकी बस खड़ी थी। नायडू की गिरफ्तारी के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए पुलिस अधिकारी ने कहा कि जांच में यह पाया गया कि धन की हेराफेरी से नायडू और तेदेपा को लाभ मिला।
संजय ने मंगलागिरी में सीआईडी कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''…यह मामला कुल अनुमानित परियोजना मूल्य 3,300 करोड़ रुपये के साथ उत्कृष्टता केंद्रों के समूह की स्थापना से जुड़ा है।'' उन्होंने कहा, ''इस कथित धोखाधड़ी से आंध्र प्रदेश सरकार को 300 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।'' वहीं, नायडू ने अपनी गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया मंच 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, ''पिछले 45 वर्षों से, मैंने निस्वार्थ भाव से तेलुगु लोगों की सेवा की है। मैं तेलुगु लोगों के हितों की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान करने के लिए तैयार हूं। धरती पर कोई ताकत मुझे तेलुगु लोगों, मेरे आंध्र प्रदेश और मेरी मातृभूमि की रक्षा करने से नहीं रोक सकती।'' उन्होंने कहा, ''अंतत: सच्चाई और धर्म की जीत होगी। वे मेरे साथ जो कुछ भी करें, मैं लोगों के लिए आगे बढूंगा।''
सीआईडी प्रमुख ने मामले की जानकारी देते हुए कहा, ''पूरी योजना के पीछे के मुख्य षड्यंत्रकारी, जिसने मुखौटा कंपनियों के जरिये सरकार से निजी संस्थाओं में सार्वजनिक धन के अंतरण की साजिश रची, उसने सारा काम श्री नारा चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में किया।'' उन्होंने कहा कि नायडू के पास समय-समय पर सरकारी आदेश जारी करने और समझौता ज्ञापन के लिए लेनदेन की विशेष जानकारी थी, जो उन्हें जांच के केंद्र में खड़ा करती है। उन्होंने कहा कि नायडू से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है। कौशल विकास मामला दक्षिणी राज्य में 3,300 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित परियोजना मूल्य के साथ उत्कृष्टता केंद्रों के समूह की स्थापना से संबद्ध है, लेकिन ऐसा आरोप है कि इससे राज्य सरकार को 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
आरोपों के अनुसार, इस परियोजना में शामिल निजी कंपनियों द्वारा कोई भी पैसा खर्च किए जाने से पहले ही राज्य सरकार ने 371 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि जारी कर दी। राज्य सरकार द्वारा जारी धन को फर्जी बिल के जरिए मुखौटा कंपनियों को भेज दिया गया, जबकि बिल में उल्लेखित वस्तुओं की बिक्री या आपूर्ति नहीं की गयी। कुछ मुखौटा कंपनियां सिंगापुर में भी स्थित थी। संजय के अनुसार, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत दर्ज सरकारी अधिकारियों के बयान से साफ तौर पर अग्रिम राशि जारी करने के मुख्य निर्णय लेने वाले के रूप में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री की संलिप्तता का पता चलता है। उन्होंने कहा कि 'डिजाइन टेक सिस्टम्स' के प्रबंध निदेशक विकास खानवेल्कर जैसे लोगों से पूछताछ की आवश्यकता है।
सीआईडी प्रमुख ने कहा कि इस मामले के कई अहम दस्तावेज गायब हो गए हैं और इसके पीछे नायडू तथा अन्य व्यक्तियों का हाथ होने का संदेह है। इन आरोपों के तहत 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है, जबकि वित्तीय धोखाधड़ी के सभी पहलुओं की जांच के लिए हिरासत में पूछताछ आवश्यक है। संजय ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) प्राधिकारी पहले ही इस मामले की जांच कर चुके हैं। उन्होंने कहा, ''पूरा अपराध गबन के पैसों के मुख्य प्रस्तावक, साजिशकर्ता और अंतिम लाभार्थी की जानकारी में हुआ। वह आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हैं।''
उन्होंने कहा कि यह सामने आया है कि गवाहों तथा अन्य आरोपियों पर नायडू का प्रभाव है, जिससे उनके पद के कारण उनकी गिरफ्तारी जरूरी है और यह साफ है कि वह जांच से बचने और सबूतों से संभावित रूप से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस अधिकारी ने बताया कि दो आरोपी मनोज वासुदेव और पेंडयाला श्रीनिवास क्रमश: दुबई और अमेरिका भाग गए हैं। उन्हें पकड़ने के लिए उन देशों में विशेष दलों को भेजा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आंध्र प्रदेश फाइबरनेट, कौशल विकास घोटाला और अमरावती इनर रिंग रोड में कथित अनियमितताओं के मामलों में तेदेपा के महासचिव नारा लोकेश और उनके मित्र किलारू राजेश की भूमिका की गंभीरता से जांच की जाएगी।