सुप्रीम कोर्ट ने साल 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कथित तौर पर मनगढ:त सबूत बनाने की आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को शनिवार एक सप्ताह की अंतरिम राहत देते हुए उन्हें तत्काल आत्मसमर्पण करने के गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।
जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की विशेष पीठ ने आदेश देते हुए कहा,''हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि (हाईकोर्ट के) एकल पीठ ने उन्हें (सीतलवाड़ को) एक सप्ताह की भी सुरक्षा न देकर सरासर गलत किया।'' विशेष पीठ ने रात करीब 9:15 सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया। सीतलवाड़ की याचिका पर तुरंत सुनवाई करते हुए पीठ ने स्पष्ट किया कि वह मामले के गुण-दोष पर गौर नहीं कर रही है। विशेष पीठ ने जस्टिस अभय एस ओका और प्रशांत कुमार मिश्रा की दो सदस्यीय पीठ के याचिकाकर्ता को अंतरिम सुरक्षा देने के मुद्दे पर मतभेद के कारण रात में सुनवाई की।
उल्लेखनीय है कि गुजरात हाईकोर्ट ने शनिवार को ही सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज कर दी।अदालत ने 30 दिन का समय देने की सीतलवाड़ की याचिका खारिज करते हुए उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ता को किसी भी तरह की राहत देने का पुरजोर विरोध किया। इस पर पीठ ने मौखिक रूप से कहा, ''इतनी जल्दी क्या है कि उस व्यक्ति को सात दिन की सुरक्षा भी नहीं दी जानी चाहिए? हाईकोर्ट द्वारा उसकी याचिका को खारिज करना, इतनी चिंताजनक बात क्या है? हम इसे समझने में विफल हैं।'' वहीं, याचिकाकर्ता सीतलवाड़ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील चंदर उदय सिंह ने कहा कि उन्हें (सीतलवाड़) पहले 02 सितंबर 2022 को अंतरिम जमानत दी गई थी। इस दौरान उन्होंने अदालत द्वारा निर्धारित किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है।